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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ऑपरेशन मालाबार: भारत-अमेरिका-जापान का संयुक्त युद्धाभ्यास

  • 11 Jul 2017
  • 5 min read

चर्चा में क्यों ?
विदित हो कि चीन के साथ संबंधों में तनाव के बावजूद भारत, अमेरिका और जापान का संयुक्त युद्धाभ्यास आरम्भ हो चुका है। दरअसल, सिक्किम बॉर्डर पर भारत और चीन के बीच बढ़ती तनातनी के बाद भारत, अमेरिका और जापान के इस सैन्य युद्ध अभ्यास को लेकर चीन की बौखलाहट सामने आने लगी है। उल्लेखनीय है कि भारतीय सेना का पिछले कुछ दिनों से सिक्किम बॉर्डर पर आक्रामक रुख को देखते हुए इस अभ्यास का विशेष महत्त्व है। इस युद्धाभ्यास को ऑपरेशन मालाबार नाम दिया गया है।

युद्धाभ्यास से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य ?

  • विवादित दक्षिणी चीन सागर में चीन की मज़बूत होती सैन्य मौजूदगी को देखते हुए और मौजूदा हालात में हिंद महासागर में भारत, अमेरिका और जापान की नौसेनाओं का युद्धाभ्यास करने का फैसला सामरिक दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण है। यह युद्धाभ्यास मालाबार में 1991 से होता आ रहा है।
  • विदित हो कि पहले इस सैनिक युद्धाभ्यास में भारत और अमेरिका ही शामिल हुआ करते थे, लेकिन वर्ष 2015 से भारत और अमेरिका के साथ जापान भी इस युद्धाभ्यास में नियमित तौर पर भाग ले रहा है।
  • चेन्नई के तट के करीब बंगाल की खाड़ी में होने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास है। इस अभ्यास के दौरान लगभग 20 ज़ंगी जहाज़ और दर्ज़नों फाइटर जेट्स आसमान में मंडराएंगे।
  • इस सैन्य अभ्यास में तीनों देशों के तीन विमान वाहक पोतों को भी शामिल किया जा रहा है। भारत का अब तक किसी भी देश के साथ हुए युद्धाभ्यास में एक साथ तीन विमान वाहक पोतों का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
  • इस सैन्य अभ्यास में भारत का आईएनएस विक्रमादित्य, जापान का इजूमो (हेलिकॉप्टर्स करियर) और अमेरिका का निमित्ज विमान वाहक पोत शामिल है।
  • सैन्य अभ्यास में शामिल होने वाले अमेरिकी बेड़े की खासियत यह है कि एक लाख टन वज़नी विमान वाहक पोत यूएसएस निमित्ज, न्यूक्लियर पावर से चलने वाला यूएसएस निमित्ज एफए-18 फाइटर जेट्स से लैस है।
  • इज़रायल के बाद भारत पहला देश है जहाँ अमेरिका सैन्य युद्धाभ्यास में न्यूक्लियर सबमरीन लेकर आया है। इस युद्धाभ्यास में सबसे बड़ा एंटी सबमरीन हथियार भी शामिल किया जा रहा है।
  • विदित हो कि इस युद्धाभ्यास में भारत के विमान वाहक युद्धपोत विक्रमादित्य के अलावा दो शिवालिक श्रेणी के युद्धपोत भी शामिल हैं।

आईएनएस विक्रमादित्य की खूबियाँ

  • इस संयुक्त अभ्यास में शामिल भारतीय नौसेना की शान आईएनएस विक्रमादित्य-विमानवाहक युद्धपोत है। आईएनएस विक्रमादित्य को वर्ष 2013 में रूस के सेवमास शिपयार्ड से भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया था। 
  • विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य 30 लड़ाकू जहाज ले जाने की क्षमता से लैस है। इस पर मौजूद चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमान मिग-29K इसका सबसे बड़ा हथियार है। 
  • समुद्र में 500 किलोमीटर के दायरे में चारों ओर नज़र रखने वाला यह युद्धपोत मिग-29K विमानों के ज़रिये आसमान पर 2000 किलोमीटर की दूरी तक दबदबा बनाए रख सकता है।

आईएनएस शिवालिक की खासियत

  • इस सुंयक्त अभ्यास में शामिल आईएनएस शिवालिक अत्‍याधुनिक हथियारों से लैस है।
  • इनमें इज़रायल में बनी सतह से हवा में मार करने वाली बराक मिसाइल, लंबी दूरी की एंटी-शि‍प मिसाइलें, मध्‍यम और कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और कई प्रकार की तोपें हैं, जो इसे किसी भी हमले से निपटने में सक्षम बनाती है।
  • साथ ही आईएनएस शिवालिक में तैनात कई भूमिका निभाने वाले दो हेलीकॉप्‍टर भी इसकी मारक क्षमता में बढ़ोतरी करते हैं।
  • 2010 में नौसेना में शामिल हुए आईएनएस  शिवालिक में 25 अधिकारी और 255 नौसैनिक कार्यरत हैं।
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