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केरल में “आवारा कुत्तों का चिड़ियाघर”

  • 11 Jul 2017
  • 4 min read

संदर्भ
केरल में हाल ही के वर्षों में आवारा कुत्तों की संख्या में आक्रामक रूप से वृद्धि हुई है, जिससे निपटने के लिये राज्य सरकार “आवारा कुत्तों का चिड़ियाघर” जैसी व्यवस्था बनाने पर विचार कर रही है।  

प्रमुख बिंदु

  • केरल सरकार राज्य में कुत्तों को सड़कों से दूर रखने के लिये "आवारा कुत्तों का चिड़ियाघर" की योजना बना रही है। 
  • इस बावत राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ को सूचित किया कि उसने सभी ज़िला पंचायतों को दो से तीन एकड़ ज़मीन अलग रखकर उन्हें 'आवारा कुत्तों का चिड़ियाघर' के रूप में सूचित करने के लिये कहा   था। 
  • इस पर पशु कल्याण संघ का कहना है कि राज्य इन कुत्तों के लिये जो करने की सोच रहा है उससे ये और अधिक क्रूर हो जाएंगे  और उनकी आबादी में वृद्धि होगी। 
  • इसके बजाय केरल सरकार को केंद्र के पशु जन्म नियंत्रण (कुत्तों) नियम 2001 का अनुसरण करना चाहिये, जो आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण पर बल देती है। 
  • पशु जनगणना 2012 के तहत आवारा कुत्तों के प्रति व्यक्ति घनत्त्व के मामले में केरल छठे स्थान पर है। 
  • इस मामले में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है उसके पश्चात पश्चिम बंगाल का स्थान है।

पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम 2001

  • 2001 के नियम, पशुओं से क्रूरता रोकथाम अधिनियम के तहत तैयार किये गए हैं।  इनका उद्देश्य रेबीज़ के खतरे को समाप्त करने और मानव एवं कुत्तों के बीच संघर्ष को कम करना है। 
  • भारत सरकार और अदालत ने विशेष रूप से सड़क के कुत्तों की हत्या को अवैध माना है। अदालतों ने कहा है कि कुत्ते शहर का एक हिस्सा हैं और केवल आवारा होने के आधार पर उनको मारा नहीं जा सकता है। 
  • कुत्ते या अन्य जानवर पृथ्वी पर अतिक्रमण नहीं हैं और उन्हें नष्ट करने का कोई सवाल ही नहीं है। यह हर नागरिक का कर्त्तव्य है कि कुत्तों सहित अन्य जानवरों के लिये करुणा रखे। नगरपालिका इस दायित्व की अनदेखा नहीं कर सकती  है। 
  • पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम डब्ल्यूएचओ द्वारा सड़क के कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने और रेबीज़ को समाप्त करने के लिये एकमात्र व्यावहारिक समाधान के रूप में विकसित किया गया है। 
  • इसकी सफलता के आधार पर भारत सरकार ने नियम 2001 तैयार किया है, जो निर्देश करता है कि नगरपालिकाएँ पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम को लागू करने के लिये पशु कल्याण संगठनों के साथ मिलकर कार्य करें। 
  • इस नियम के तहत किसी भी क्षेत्र में कुत्तों को मारना गैर-कानूनी है। 
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