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ऑनलाइन शिकायत प्रबंधन पोर्टल: NCSC

  • 16 Apr 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में सरकार द्वारा डॉ. बी.आर अंबेडकर की 130वीं जयंती के अवसर पर ‘राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग’ (National Commission for Scheduled Castes- NCSC) हेतु एक  ‘ऑनलाइन शिकायत प्रबंधन पोर्टल’ (Online Grievance Management Portal) का शुभारंभ किया गया है।

  • यह पोर्टल अनुसूचित जाति से संबंधित मामलों में शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया को आसान बनाएगा।

प्रमुख बिंदु: 

ऑनलाइन पोर्टल के बारे में:

  • इस पोर्टल को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology) के अंतर्गत भास्कराचार्य इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लीकेशन एंड जियोइन्फॉर्मेटिक्स ( BISAG-N) द्वारा  उत्कृष्टता केंद्र  (Centre of Excellence) के रूप में डिज़ाइन किया गया है।
  • यह शिकायतों की एंड-टू-एंड ई-फाइलिंग ( End-to-End e-Filing of Complaint) और उनकी ट्रैकिंग करने की सुविधा प्रदान करेगा।
    • NCSC शिकायत प्रबंधन पोर्टल, अनुसूचित जाति के नागरिकों के खिलाफ हुए अत्याचारों से संबंधित शिकायतों को दर्ज करेगा।
  • यह सुनवाई प्रक्रिया को भारत में ई-कोर्ट परियोजना (e-Courts Project) के समान संचालित करेगा तथा समयबद्ध तरीके  से देश की अनुसूचित जाति की जनसंख्या हेतु एक शिकायत निवारण तंत्र उपलब्ध कराएगा।
  • यह शिकायतों को भौतिक रूप से प्रस्तुत करेगा।

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) के बारे में:

  • NCSC एक संवैधानिक निकाय है जो भारत में अनुसूचित जातियों के हितों की रक्षा हेतु कार्य करता है।
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 338 अनुसूचित जाति आयोग से संबंधित है।
    • यह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति हेतु कर्तव्यों के निर्वहन के साथ एक राष्ट्रीय आयोग के गठन का प्रावधान करता है जो अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से संबंधित सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जांँच और निगरानी कर सकता है, अनुसूचित जाति एवं जनजाति से संबंधित विशिष्ट शिकायतों के मामले में पूछताछ कर सकता है तथा उनकी सामाजिक-आर्थिक विकास योजना प्रक्रिया में भाग लेने के साथ सलाह देने  का अधिकार रखता है।
    • 89वांँ संविधान संशोधन अधिनियम 2003 द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति हेतु गठित पूर्ववर्ती राष्ट्रीय आयोग को वर्ष 2004 में दो अलग-अलग आयोगों में बदल दिया गया। इसके तहत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ( National Commission for Scheduled Castes- NCSC) और अनुच्छेद 338-A के तहत राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes- NCST) का गठन किया गया।

NCSC के कार्य:

  • संविधान के तहत अनुसूचित जातियों हेतु प्रदान किये गए सुरक्षा उपायों के संबंध में सभी मुद्दों की निगरानी और जांँच करना।
  • अनुसूचित जातियों को उनके अधिकारों और सुरक्षा उपायों से वंचित करने से संबंधित शिकायतों में पूछताछ करना।
  • अनुसूचित जातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास की योजना के संबंध में केंद्र या राज्य सरकारों को सलाह देना।
  • अनुसूचित जातियों के सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन के संबंध में राष्ट्रपति को नियमित रूप से रिपोर्टिंग करना ।
  • अनुसूचित जाति समुदाय के कल्याण, सुरक्षा, विकास और उन्नति के संबंध में कार्य करना।
  • आयोग को एंग्लो-इंडियन समुदाय (Anglo-Indian Community) के संबंध में भी इसी प्रकार  के कार्यों का निर्वहन करना आवश्यक है क्योंकि यह अनुसूचित जाति समुदाय से संबंधित है ।
  • वर्ष 2018 तक आयोग द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग ( Other Backward Classes- OBCs) के संबंध में भी इसी तरह के कार्यों का निर्वहन किया जाता था परंतु 2018 के 102वें संशोधन अधिनियम द्वारा इसे इस ज़िम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है।

अनुसूचित जाति के उत्थान के लिये अन्य संवैधानिक और कानूनी प्रावधान:

  • अनुच्छेद 15 (4) अनुसूचित जाति की उन्नति हेतु विशेष प्रावधान करता है।
  • अनुच्छेद 16 (4अ) राज्य की राय में राज्य संबंधित सेवाओं में अनुसूचित जातियों/जनजातियों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है तो अत: राज्य पदोन्नति में भी ऐसे किसी वर्ग या वर्गों के लिये आरक्षण की व्यवस्था कर सकता है।
  • अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता को समाप्त करता है।
  • अनुच्छेद 46 अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य कमज़ोर वर्गों के शैक्षिक और आर्थिक हितों की वृद्धि तथा शोषण से रक्षा का प्रयास करना।
  • अनुच्छेद 335: सेवाओं और पदों को लेकर SC और ST के दावों पर विचार करने हेतु विशेष उपायों को अपनाने का प्रावधान करता है, ताकि उन्हें बराबरी के स्तर पर लाया जा सके।
  • 82वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2000 द्वारा  अनुच्छेद 335 में एक प्रावधान शामिल किया गया  जो राज्य को किसी भी परीक्षा में अर्हक अंक में छूट प्रदान करने हेतु अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के पक्ष में कोई प्रावधान करने में सक्षम बनाता है।
  • संविधान के अनुच्छेद 330 और अनुच्छेद 332 क्रमशः लोकसभा  और राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के पक्ष में सीटों के आरक्षण का प्रावधान करते हैं।
  • पंचायतों से संबंधित भाग IX और नगर पालिकाओं से संबंधित संविधान के भाग IXA के तहत स्थानीय निकायों में SC और ST हेतु आरक्षण की परिकल्पना की गई है।
  •  एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) संशोधन कानून 2018

स्रोत: पी.आई.बी 

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