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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अभिनव वित्तीय प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों के लिये विनियामक सैंडबॉक्स दृष्टिकोण

  • 29 Jul 2017
  • 5 min read

संदर्भ
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा है कि भारत के वित्तीय क्षेत्र के नियामकों को वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नये विचारों को बाधित नहीं करना चाहिये और इसके बदले अभिनव वित्तीय प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों के पोषण के लिये एक विनियामक सैंडबॉक्स दृष्टिकोण का विकल्प चुनना चाहिये। 

प्रमुख बिंदु 

  • वित्तीय प्रौद्योगिकी का पोषण करने में मदद करने के लिये सैंडबॉक्स दृष्टिकोण आवश्यक है। 
  • भारत में नियामकों की भूमिका को और विकसित करना ज़रूरी है, क्योंकि वे अक्सर नये प्रौद्योगिकी के विकास में प्रतिबंधक बन जाते हैं। 

विनियामक सैंडबॉक्स क्या है ?

  • एक नियामकीय सैंडबॉक्स अभिनव उत्पादों और सेवाओं के लिये एक प्रयोगात्मक निरीक्षण तंत्र है, जो मौजूदा नियामक शासन के अधीन नहीं है या पारंपरिक नियामकों के अधिकार क्षेत्र में कटौती नहीं करते हैं। 
  • इस तरह के नवाचारों को इसकी प्रभावकारिता और निहितार्थ समझने के लिये सीमित पैमाने पर सीमित समय के लिये संचालित करने की अनुमति है, ताकि विनियमन के लिये सबसे अच्छा विकल्प विकसित हो सके।
  • सैंडबॉक्स का विकल्प जनसंख्या के एक बड़े वर्ग के लिये नवाचारों को बढ़ाने का एक बढ़िया तरीका हो सकता है, क्योंकि नियामकीय सैंडबॉक्स वित्तीय नवाचार को बढ़ावा देने और उपभोक्ता हितों की सुरक्षा करने के उद्देश्यों को संतुलित करता है।
  • विश्व स्तर पर यू.के., सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात में विनियामक सैंडबॉक्स व्यवस्था शुरू की गई हैं। 
  • प्रत्येक देश का एक निश्चित लक्ष्य समूह है, जिसके लिये सैंडबॉक्स की व्यवस्था की जाती है। 
  • इन सभी देशों ने अब तक वित्तीय संस्थाओं और वित्तीय प्रौद्योगिकी फर्मों के समर्थन के लिये एक सैंडबॉक्स वातावरण बनाया है।

नियंत्रित वातावरण में काम करने की इज़ाज़त

  • भारत में वित्तीय प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 600 से अधिक स्टार्ट-अप हैं। यदि उन्हें जीवित, लेकिन नियंत्रित वातावरण में कुछ नियमों के साथ काम करने की इज़ाज़त दी जाय तो यह उनकी ताकत और कमज़ोरियों से उभरने में एक ठोस आधार प्रदान करेगा।   
  • इनमें से 30 से अधिक स्टार्ट-अप की बाज़ार क्षमता 2020 तक 5 अरब डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है। कई स्टार्ट-अप बिटलॉइन, ब्लॉक-चैन- आधारित व्यवस्थाओं इत्यादि पर काम कर रहे हैं।

वित्तीय प्रौद्योगिकी का बाज़ार

  • भारत में कुल वित्तीय प्रौद्योगिकी का बाज़ार लगभग 8 अरब डॉलर है तथा 2020 तक इसके 14 अरब डॉलर तक पहुँचने की संभावना है।
  • 2016 में 17 अरब डॉलर से अधिक धन और 1,400 से अधिक सौदों के साथ, वित्तीय प्रौद्योगिकी विश्व स्तर पर सबसे अधिक आशाजनक क्षेत्रों में से एक है। 
  • 2016 में लगभग 270 मिलियन डॉलर के वित्त पोषण के साथ, विश्व में शीर्ष दस वित्तीय प्रौद्योगिकी बाज़ारों में भारत का स्थान है।
  • भारत में क्रिप्टो-मुद्राओं को आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त नहीं होने के कारण, ई-पर्स में संग्रहीत आभासी मुद्राओं  के हैकिंग से उपयोगकर्त्ताओं को किसी भी समस्या या विवाद के मामले में आश्रय की कमी का सामना करना पड़ता है। 
  • भारतीय रिज़र्व बैंक उपयोगकर्त्ताओं को आभासी मुद्राओं के खतरों के बारे सतर्क कर रहा है। वित्त मंत्रालय ने आभासी मुद्राओं के नियमन के अध्ययन के लिये एक पैनल स्थापित किया है।
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