लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली में शामिल होंगे गैर-बैंक PSPs

  • 29 Jul 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक, ई-कुबेर, नाबार्ड

मेन्स के लिये:

केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली में शामिल होने की अनुमति प्राप्त गैर-बैंक PSPs का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने गैर-बैंक भुगतान प्रणाली प्रदाताओं (PSPs) को केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली (CPS - RTGS और NEFT) में प्रत्यक्ष सदस्य के रूप में भाग लेने की अनुमति दी है।

प्रमुख बिंदु

चरणबद्ध तरीके से अनुमति:

  • पहले चरण में प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (पीपीआई), कार्ड नेटवर्क और व्हाइट लेबल एटीएम (डब्ल्यूएलए) ऑपरेटरों जैसे पीएसपी को एक्सेस की अनुमति होगी।
    • गैर-बैंकों द्वारा स्थापित एवं उनके स्वामित्व वाले और संचालित एटीएम को WLAs  कहा जाता है।
  • वर्तमान में केवल बैंक और चुनिंदा गैर-बैंक जैसे- नाबार्ड (नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट) और एक्ज़िम बैंक (एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक ऑफ इंडिया) को RBI के स्वामित्व वाले सीपीएस - एनईएफटी तथा आरटीजीएस तक पहुँच की अनुमति है।

गैर-बैंकों के लिये अलग IFSC:

  • इसका अर्थ है गैर-बैंकों को एक अलग भारतीय वित्तीय प्रणाली कोड (IFSC) का आवंटन, RBI के साथ अपने कोर बैंकिंग सिस्टम (ई-कुबेर) में एक चालू खाता खोलना और आरबीआई के साथ एक निपटान खाता बनाए रखना।
    • IFSC 11 अंकों का कोड है जो उन व्यक्तिगत बैंक शाखाओं की पहचान करने में मदद करता है जो NEFT और RTGS जैसे विभिन्न ऑनलाइन मनी ट्रांसफर विकल्पों में भाग लेते हैं।
    • कोर बैंकिंग सिस्टम एक ऐसा समाधान है जो बैंकों को 24x7 आधार पर कई ग्राहक-केंद्रित सेवाएँ प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
  • इसका अर्थ भारतीय वित्तीय नेटवर्क (INFINET) की सदस्यता और CPS के साथ संवाद करने के लिये संरचित वित्तीय संदेश प्रणाली (SFMS) का उपयोग भी है।
    • INFINET एक ‘बिना सदस्यता वाला उपयोगकर्त्ता समूह’ (CUG) नेटवर्क है जिसमें RBI, सदस्य बैंक और वित्तीय संस्थान शामिल हैं।
    • SFMS अंतर-बैंक वित्तीय संदेश और सीपीएस के लिये प्रमुख प्रणाली है।

    महत्त्व:

    • भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र के जोखिम को कम करना:
      • गैर-बैंकों के लिये ‘केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली’ तक सीधी पहुँच भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में समग्र जोखिम को कम कर सकती है।
    • भुगतान की लागत में कमी:
      • यह गैर-बैंकों को भुगतान की लागत में कमी, बैंकों पर निर्भरता में कमी, भुगतान पूरा करने में लगने वाले समय में कमी जैसे लाभ भी प्रदान करता है।
    • निधि निष्पादन में विफलता या विलंब में कमी:
      • गैर-बैंक संस्थाओं द्वारा प्रत्यक्ष लेन-देन शुरू करने और संसाधित किये जाने पर फंड ट्रांसफर के निष्पादन में विफलता या देरी के जोखिम से भी बचा जा सकता है।
    • कार्यक्षमता में बढ़ोतरी और बेहतर जोखिम प्रबंधन
      • गैर-बैंक संस्थाएँ परिचालन समय के दौरान अपने चालू खाते से RTGS निपटान खाते में और RTGS निपटान खाते से अपने चालू खाते में हस्तांतरित करने में सक्षम होंगी।
      • यह दक्षता और नवाचार में बढ़ोतरी तथा डेटा सुरक्षा के मानकों में सुधार करने के साथ-साथ बेहतर जोखिम प्रबंधन में भी सहायता करेगी।

    केंद्रीकृत और विकेंद्रीकृत भुगतान प्रणाली

    • भारत में केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली में रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) प्रणाली और राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (NEFT) प्रणाली तथा किसी भी अन्य प्रणाली के रूप में शामिल होंगे जिस पर समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्णय लिया जा सकता है।
    • RTGS: यह लाभार्थियों के खाते में वास्तविक समय पर धनराशि के हस्तांतरण की सुविधा को सक्षम बनाता है और इसका प्रयोग मुख्य तौर पर बड़े लेन-देनों के लिये किया जाता है।
      • यहाँ ‘रियल टाइम’ अथवा वास्तविक समय का अभिप्राय निर्देश प्राप्त करने के साथ ही उनके प्रसंस्करण (Processing) से है, जबकि ‘ग्रॉस सेटलमेंट’ या सकल निपटान का तात्पर्य है कि धन हस्तांतरण निर्देशों का निपटान व्यक्तिगत रूप से किया जाता है। 
    • NEFT: यह एक देशव्यापी भुगतान प्रणाली है, जो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से धन के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करती है। 
      • इसका उपयोग आमतौर पर 2 लाख रुपए तक के फंड ट्रांसफर के लिये किया जाता है। 
    • विकेंद्रीकरण भुगतान प्रणाली में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समाशोधन व्यवस्था [चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS)] के साथ-साथ अन्य बैंक [एक्सप्रेस चेक क्लियरिंग सिस्टम (ECCS) केंद्रों की जाँच] और किसी अन्य प्रणाली के रूप शामिल होंगे जिसमें समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्णय लिया जाएगा।

    ई-कुबेर

    • यह भारतीय रिज़र्व बैंक का कोर बैंकिंग समाधान है जिसे वर्ष 2012 में पेश किया गया था।
    • इस प्रकार केंद्रीकरण वित्तीय सेवाओं हेतु सुविधा मुहैया कराता है। कोर बैंकिंग समाधान (CBS) का उपयोग करके ग्राहक अपने खातों को किसी भी शाखा से, किसी भी जगह से एक्सेस कर सकते हैं। 
    • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) सहित वाणिज्यिक बैंकों की लगभग सभी शाखाओं को कोर-बैंकिंग के दायरे में लाया गया है।
    • ई-कुबेर प्रणाली को या तो INFINET या इंटरनेट के द्वारा एक्सेस किया जा सकता है।

    स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

    close
    एसएमएस अलर्ट
    Share Page
    images-2
    images-2