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डेली न्यूज़

भारतीय समाज

जनसंख्या स्थिरता पर नीति आयोग की कार्ययोजना

  • 20 Dec 2019
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये :

नीति आयोग

मेन्स के लिये :

नीति आयोग की कार्यविधि और नीतिनिर्धारण में योगदान, बढ़ती जनसंख्या से संबंधित मुद्दे।

चर्चा में क्यों?

नीति आयोग बढ़ती जनसंख्या और इसके उपायों पर चर्चा करने के लिये 20 दिसंबर, 2019 को नई दिल्ली में भारतीय जनसंख्या संस्थान (POPULATION FOUNDATION OF INDIA) के साथ मिलकर एक सलाहकार सम्‍मेलन आयोजित करेगा।

मुख्य बिंदु:

  • इस बैठक का विषय- जनसंख्‍या स्थिरीकरण की सोच को साकार करने: किसी को पीछे नहीं छोड़ने’’ (Realizing the vision of population stabilization: leaving no one behind) होगा।
  • इस सम्मेलन में कई महत्त्वपूर्ण विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, अनुभवी सलाहकार और विषय विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे।
  • इस सम्मेलन का उद्देश्य जनसंख्या समस्या पर चर्चा करना तथा इसके निवारण के सुझाव तलाशना है, ये सुझाव 15 अगस्त, 2019 को भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा देश की जनसंख्या को स्थिर बनाए रखने के लिये किये गए आह्वान को पूरा करने में मदद करेंगे।
  • सुझावों के आधार पर नीति आयोग द्वारा तैयार की जाने वाली कार्ययोजना, परिवार नियोजन कार्यक्रमों में आने वाली कमियों को दूर करने में मददगार हो सकती है।
  • इस सम्मेलन का उद्देश्य, किशोरों और युवाओं पर विशेष ध्यान के साथ अंतर-विभागीय विषमताओं को दूर करने, मांग निर्माण, गर्भनिरोधक सेवाओं की पहुँच एवं देखभाल की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना तथा परिणामों में क्षेत्रीय विषमताओं को संबोधित करने के लिये रचनात्मक सुझाव देना है।

सम्‍मेलन से अपेक्षित कुछ प्रमुख सुझाव निम्न हैं -

  • गर्भनिरोधकों के विकल्प‍ बढ़ाना, बच्‍चों के जन्‍म के बीच के अंतर को बढ़ाना तथा महिलाओं को इस विषय पर विस्तृत जानकारी देना।
  • युवाओं को विवाह और यौन संबंधों के बारे में स्‍वास्‍थ्‍य और आयु संबंधित सामाजिक निर्धारकों की जानकारी देना।
  • परामर्श के साथ देखभाल सेवाओं को बेहतर बनाने, दवाओं के दुष्प्रभावों के बेहतर प्रबंधन और परिवार नियोजन में सहायता करना।
  • देश की 30% युवा जनसंख्या की ज़रूरतों को ध्‍यान में रखते हुए परिवार नियोजन योजना के लिये बजटीय आवंटन बढ़ाना।
  • गर्भनिरोधक के विकल्पों के प्रति मौजूदा सामाजिक-सांस्कृतिक दुष्प्रचारों को संबोधित करना तथा युवाओं से इन समस्याओं को लेकर संवाद बढ़ाने के लिये संचार के नए माध्यमों (जैसे- Social Media आदि) में बड़े पैमाने पर निवेश करना।
  • अंतर-विभागीय संवाद को बढ़ावा देने और बहुपक्षीय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये जनसंख्या स्थिरीकरण तथा परिवार नियोजन को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में रखना।

15 अगस्त, 2019 को लालकिले से अपने अभिभाषण में प्रधानमंत्री ने अनियंत्रित रूप से बढ़ती जनसंख्या पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि,“लगातार बढ़ती जनसंख्या हमारे और हमारी अगली पीढ़ी के लिये कई समस्यायें और चुनौतियाँ लाने वाली हैं।” साथ ही उन्होंने इस समस्या से निपटने के लिये देश के सभी नागरिकों से अपना योगदान देने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने जनसंख्या नियत्रंण के प्रति जागरूक लोगों की प्रशंसा की।

बढ़ती जनसँख्या की चुनौतियाँ :

  • किसी भी देश की स्वस्थ और शिक्षित जनसंख्या उसके लिये मानव पूँजी (Human Capital) के रूप में वरदान का काम करती हैं लेकिन यदि जनसंख्या इतनी बढ़ जाये कि देश के सभी नागरिकों के लिए मूलभूत सुविधाओं (शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा आदि) का प्रबंधन करना मुश्किल हो जाए तो यही जनसंख्या उसके लिये अभिशाप बन जाती है।
  • एक अनुमान के अनुसार भारत की वर्तमान जनसंख्या 37 करोड़ से अधिक है, जून 2019 में यू.एन. द्वारा जारी द वर्ल्‍ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्‍ट्स 2019: हाइलाइट्स (The World Population Prospects 2019: Highlights) नामक एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2027 तक भारत, चीन को पछाड़ते हुए विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा।
  • इतनी बड़ी संख्या में बच्चों के स्वास्थ्य, युवा रोज़गार, वृद्धों की देखभाल से लेकर बढ़ती शहरी आबादी के दबाव आदि को नियंत्रित करना देश के लिये एक बड़ी चुनौती है।

निष्कर्ष:

भारत में जनसंख्या बढ़ने के कारणों में अशिक्षा, कम आयु में विवाह तथा परिवार नियोजन जैसी स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति व्याप्त सामाजिक अंधविश्वास का होना है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में इतनी बड़ी जनसंख्या पर सरकारी दबाव के बजाय शिक्षा, जागरूकता और समाज के सभी वर्गों के आपसी सामाजिक सहयोग से ही इस समस्या से निपटा जा सकता है। परिवार नियोजन को विकास के क्षेत्र में सार्वभौमिक रूप से सर्वोत्तम निवेश माना जाता है। भारत को अपने सतत् विकास और आर्थिक आकांक्षाओं को साकार करने के लिये यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि लोगों तक शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ गर्भनिरोधकों के प्रति जागरूकता और गुणवत्तापूर्ण परिवार नियोजन सेवाओं की पहुँच बढ़ सके।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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