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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

वैश्विक परियोजनाओं के लिये नए दिशा-निर्देश

  • 11 Apr 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

विश्व बैंक (World Bank), आईएमएफ (International Monetary Fund) और एशियाई विकास बैंक (Asian Development Bank) जैसी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं के संबंध में केंद्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission – CVC) द्वारा दिशा-निर्देशों का एक नया सेट तैयार किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • ये नए दिशा-निर्देश सरकारी विभागों और विदेशी अनुसान कर्त्ताओं के दिशा-निर्देशों का दृढ़ता से पालन करने वाली एजेंसियों की मौजूदा कार्यनीति को समाप्त करेंगे।
  • विशेषकार वैसे विभागों और एजेंसियों की जो भारत सरकार के नियमों को नज़रअंदाज़ करते हुए उनके द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं के अनुबंधों के समापन में संलग्नित हैं।
  • नए दिशा-निर्देशों में अनुदान-सहायता और ऋण के बीच विभेदन भी किया गया है।
  • हालाँकि सीवीसी के इस निर्णय से इस बात पर बहस हो सकती है कि क्या वैसे भारतीय दिशा-निर्देश जो सबसे कम वित्तीय निविदाओं (lowest financial tender) पर बल देते हैं, अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा तय मानकों के मुकाबले बेहतर हैं अथवा नहीं?

पूर्व के नियमों के इतर होंगे नए निविदा मानदंड

  • निविदा मानदंडों के संदर्भ में सीवीसी के एक अधिकारी द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, स्वदेशी एवं विदेशी एजेंसियों द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं में महत्त्वपूर्ण अंतर यह था कि उनमें से अधिकतर का निविदा देने का तरीका सीवीसी के दिशा-निर्देशों से एकदम अलग है।
  • इससे पूर्व 1 अक्टूबर, 1999 को सीवीसी द्वारा एक आदेश के माध्यम से ऐसा ही एक औपचारिक स्पष्टीकरण जारी किया गया था जिसमें सरकारी एजेंसियों को इस तरह के अनुबंधों के लिये भारतीय मानदंडों को नज़रअंदाज़ करने की अनुमति दी गई थी।
  • इस आदेश के द्वारा 1998 के दिशा-निर्देशों में संशोधन किया गया था।
  • लगभग एक दशक बाद 28 अक्टूबर, 2011 को आयोग द्वारा स्पष्ट किया गया कि विश्व बैंक, एडीबी आदि द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं के संदर्भ में सीवीसी दिशा-निर्देश लागू नहीं होंगे।
  • यह फंडिंग एजेंसियों के प्रयोज्य वसूली नियमों के संदर्भ में संघर्ष की स्थिति उत्पन्न करता है।

केंद्रीय सतर्कता आयोग

  • केंद्रीय सतर्कता आयोग केंद्र सरकार में भ्रष्टाचार निरोध हेतु एक प्रमुख संस्था है जिसका गठन 1964 में संथानम समिति के प्रतिवेदन के आधार पर किया गया था। 2003 में इसे सांविधिक दर्जा प्रदान किया गया।
  • केंद्रीय सतर्कता आयोग का चरित्र न्यायिक है तथा इसे अपनी कार्यवाहियों के क्रियान्वयन हेतु दीवानी न्यायालय की शक्तियाँ प्रदान की गई हैं।
  • भ्रष्टाचार की आशंका पर यह केंद्र सरकार या इससे संबंधित प्राधिकरणों से किसी भी प्रकार की जानकारी मांग सकता है।
  • भ्रष्टाचार का आरोप होने पर यह अपने निर्देश पर किसी जाँच एजेंसी द्वारा की गई जाँच रिपोर्ट पर विचार करने के बाद केंद्र सरकार या इससे संबंधित प्राधिकरण को कार्यवाही करने की सलाह देता है।
  • केंद्र सरकार आयोग की सलाह पर अपेक्षित कदम उठाती है। यदि केंद्र सरकार आयोग की किसी सलाह को मानने से इनकार करती है तो उसे लिखित रुप में इसके कारणों को केंद्रीय सतर्कता आयोग को बताना होता है।
  • आयोग अपने वार्षिक कार्यकलापों की रिपोर्ट राष्ट्रपति को देता है जिसे राष्ट्रपति संसद के प्रत्येक सदन में प्रस्तुत करते हैं।
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