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सामाजिक न्याय

‘प्रौद्योगिकी हेतु राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन’ पहल

  • 14 Jan 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रौद्योगिकी हेतु राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE)

मेन्स के लिये:

एडटेक, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजिटल डिवाइड

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) ने उच्च शिक्षा क्षेत्र में बेहतर परिणाम प्राप्त करने हेतु प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिये ‘प्रौद्योगिकी हेतु राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन 3.0‘ (NEAT 3.0) की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु

  • NEAT योजना का मॉडल: यह सरकार और भारत की शिक्षा प्रौद्योगिकी (एडटेक) कंपनियों के बीच एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल पर आधारित है।
  • उद्देश्य: NEAT का उद्देश्य समाज के आर्थिक एवं सामाजिक रूप से कमज़ोर वर्गों की सुविधा के लिये शिक्षा अध्यापन में सर्वोत्तम तकनीकी समाधानों को एक मंच पर लाना है।
  • लक्षित क्षेत्र: इसके तहत अत्यधिक रोज़गार योग्य कौशल वाले विशिष्ट क्षेत्रों में सीखने या ई-सामग्री के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करने वाले प्रौद्योगिकी समाधानों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
  • कार्य पद्धति: इसके तहत सरकार एडटेक कंपनियों द्वारा पेश किये जाने वाले पाठ्यक्रमों की एक शृंखला के लिये मुफ्त कूपन वितरित करने की योजना बना रही है।
  • कार्यान्वयन एजेंसी: अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE)

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE):

  • इसकी स्थापना नवंबर 1945 में राष्ट्रीय स्तर के शीर्ष सलाहकार निकाय के रूप में की गई थी।
  • इसका उद्देश्य तकनीकी शिक्षा हेतु उपलब्ध सुविधाओं पर एक सर्वेक्षण करना और समन्वित एवं एकीकृत रूप से देश में विकास को बढ़ावा देना है।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के अनुसार, AICTE में निहित हैं:
    • मानदंडों और मानकों के नियोजन, निर्माण और रखरखाव के लिये सर्वोच्च प्राधिकरण।
    • गुणवत्ता सुनिश्चित करना।
    • देश में तकनीकी शिक्षा का प्रबंधन।

एड-टेक 

  • एड-टेक के बारे में: एडटेक एक अधिक आकर्षक, समावेशी और व्यक्तिगत रूप से सीखने के अनुभव हेतु कक्षा में आईटी उपकरण का अभ्यास से संबंधित है।
  • एड-टेक के इच्छित लाभ: प्रौद्योगिकी में अविश्वसनीय क्षमता है और यह मानव को इच्छित लाभ प्राप्त करने में सक्षम है, जो इस प्रकार हैं:
    • शिक्षा के अधिक-से-अधिक निजीकरण को बढ़ावा।
    • सीखने की दर में सुधार करके शैक्षिक उत्पादकता में वृद्धि करना।
    • अवसंरचनात्मक सामग्री की लागत को कम करना और बड़े पैमाने पर सेवा प्रदान करना।
    •  शिक्षकों/निर्देशकों के समय का बेहतर उपयोग करना।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 निर्देश के हर स्तर पर प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने के स्पष्ट आह्वान के लिये उत्तरदायी है।
    • शिक्षा, मूल्यांकन, योजनाओं के निर्माण और प्रशासनिक क्षेत्र में तकनीकी के प्रयोग पर विचारों के स्वतंत्र आदान-प्रदान हेतु ‘राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच’ (National Educational Technology Forum- NETF) नामक एक स्वायत्त निकाय की स्थापना की जाएगी।
  • स्कोप: भारतीय एड-टेक इकोसिस्टम में इनोवेशन की काफी संभावनाएँ हैं।
    • 4,500 से अधिक स्टार्ट-अप और लगभग 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर के मौजूदा मूल्यांकन के साथ बाज़ार तेज़ी से विकास कर रहा है अनुमान है कि अगले 10 वर्षों में इसके 30 अरब अमेरिकी डॉलर का बाज़ार बनने की संभावना है।
  • एड-टेक के साथ जुड़े मुद्दे:
    • प्रौद्योगिकी पहुँच की कमी: हर कोई जो स्कूल जाने का खर्च वहन नहीं कर सकता उनके पास ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने के लिये फोन, कंप्यूटर या यहाँ तक कि एक गुणवत्तापूर्ण इंटरनेट कनेक्शन भी नहीं है।
      • वर्ष 2017-18 के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के आँकड़ों के अनुसार, केवल 42% शहरी और 15% ग्रामीण परिवारों के पास इंटरनेट की सुविधा थी।
      • ऐसे में एड-टेक पहले से मौजूद डिजिटल डिवाइड को बढ़ा सकता है।
    • शिक्षा के अधिकार के साथ विरोधाभास: प्रौद्योगिकी सभी के लिये उपलब्ध नहीं है, पूरी तरह से ऑनलाइन शिक्षा की ओर बढ़ना उन लोगों के शिक्षा के अधिकार को छीनने जैसा है जो प्रौद्योगिकी का उपयोग नहीं कर सकते हैं।
  • उठाए गए प्रमुख कदम :

आगे की राह:

  • व्यापक एड-टेक नीति: एक व्यापक एड-टेक नीति संरचना में चार प्रमुख तत्त्वों पर ध्यान दिया जाना चाहिये:
    • विशेष रूप से वंचित समूहों को सीखने के लिये पहुँच प्रदान करना।
    • शिक्षण, सीखने और मूल्यांकन की प्रक्रियाओं को सक्षम करना।
    • शिक्षक प्रशिक्षण और निरंतर व्यावसायिक विकास की सुविधा प्रदान करना।
    • योजना, प्रबंधन और निगरानी प्रक्रियाओं सहित शासन प्रणाली में सुधार करना।
  • प्रौद्योगिकी एक उपकरण है, रामबाण नहीं: सार्वजनिक शिक्षण संस्थान सामाजिक समावेश और सापेक्ष समानता में अनुकरणीय भूमिका निभाते हैं।
    • यह वह स्थान है, जहाँ सभी लिंग, वर्ग, जातियों और समुदायों के लोग मिलते हैं और एक समूह को दूसरों के सामने झुकने के लिये मजबूर नहीं किया जा सकता है।
    • इसलिये, प्रौद्योगिकी स्कूलों को प्रतिस्थापित या शिक्षकों की जगह नहीं ले सकती है। इस प्रकार इसे "शिक्षक बनाम प्रौद्योगिकी" नहीं बल्कि "शिक्षक और प्रौद्योगिकी" होना चाहिये।
  • एड-टेक के लिये बुनियादी ढाँचा प्रदान करना: तत्काल अवधि में एड-टेक परिदृश्य में विशेष रूप से उनके पैमाने, पहुँच और प्रभाव को पूरी तरह से मापने करने के लिये एक तंत्र होना चाहिये।
    • शिक्षकों और छात्रों के लिये पहुँच, इक्विटी, बुनियादी ढाँचे, शासन और गुणवत्ता से संबंधित परिणामों और चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
    • डिजिटल डिवाइड को दो स्तरों पर संबोधित करने के लिये विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये - प्रौद्योगिकी का प्रभावी ढंग से उपयोग करने और इसका लाभ उठाने के लिये पहुँच व कौशल।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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