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नमामि गंगे परियोजना

  • 01 Jul 2020
  • 3 min read

प्रीलिम्स के लिये:

विश्व बैंक, नमामि गंगे परियोजना

मेन्स के लिये:

विश्व बैंक द्वारा परियोजना के लिये जारी फंड का विभिन्न परियोजनाओं में अनुप्रयोग  

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में विश्व बैंक  द्वारा 300 करोड़ रुपए (400 बिलियम डॉलर) की ‘नमामि गंगे परियोजना’ (Namami Gange Project) को 45 अरब रुपए के फंड/ऋण को मंज़ूरी दी गई है।

प्रमुख बिंदु:

  • 45 अरब रुपए का यह ऋण विश्व बैंक द्वारा पाँच वर्ष की अवधि के लिये मंज़ूर किया गया है।
  • नमामि गंगे/नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (National Mission for Clean Ganga- NMCG) के राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन परियोजना के पहले चरण जो कि दिसंबर 2021 तक है, के लिये विश्व बैंक से 4,535 करोड़ रूपए ($ 600 मिलियन) पहले ही प्राप्त हो चुके हैं। 
  • अब तक मिशन के तहत विश्व बैंक द्वारा 25,000 करोड़ रुपए की 313 परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है।

ऋण/ फंड का उपयोग:  

  • विश्व बैंक से प्राप्त इस ऋण का उपयोग नदी बेसिन में प्रदूषण को समाप्त करने एवं अवसंरचना परियोजनाओं के विकास और सुधार के लिये किया जाएगा । 
  • 45 अरब रुपए के इस ऋण में 11.34 अरब रुपए  का उपयोग मेरठ, आगरा तथा  साहारनपुर में गंगा की सहायक नदियों पर तीन नए हाइब्रिड एन्युटी प्रोजेक्ट (Hybrid Annuity Projects) बनाने में किया जाएगा।
  • 1,209 करोड़ रुपए ($ 160 मिलियन) बक्सर, मुंगेर, बेगूसराय में चल रही DBOT (डिजाइन, बिल्ड, ऑपरेट और ट्रांसफर) परियोजनाओं के लिये मंज़ूर किये गए हैं।

नमामि गंगे परियोजना:

  • यह केंद्र सरकार की योजना है जिसे वर्ष 2014 में शुरू किया गया था।
  • सरकार द्वारा इस परियोजना की शुरुआत गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने तथा गंगा नदी को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से की गई थी। 
  • इस योजना का क्रियान्वयन केंद्रीय जल संसाधन,नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।  

 स्रोत: द हिंदू

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