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शासन व्यवस्था

एमएलए-एलएडी योजना

  • 13 May 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राजस्थान सरकार ने 18 से 44 वर्ष की आयु के लोगों को कोविड-19 टीकाकरण के लिये संसाधन जुटाने हेतु विधान मंडल के प्रत्येक सदस्य के विधानसभा सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास (Members of Legislative Assembly Local Area Development- MLA-LAD) कोष से 3 करोड़ रुपए लेने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है।

  • इन खर्चों को पूरा करने के लिये प्रत्येक विधायक हेतु निधि 2.25 करोड़ रुपए से बढ़ाकर एक वर्ष में 5 करोड़ रुपए कर दी गई है।

प्रमुख बिंदु

विधानसभा सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना:

  • यह केंद्र सरकार के सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम (Members of Parliament Local Area Development Scheme- MPLAD) का ही रूपांतरित स्वरूप है।
  • इस योजना का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर आवश्यकता आधारित बुनियादी ढाँचा तैयार करना, सार्वज़निक उपयोग की संपत्ति का निर्माण करना और विकास में क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करना है।
    • यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों के लिये भी है।
  • विधायकों को इस योजना के अंतर्गत कोई पैसा नहीं मिलता है। सरकार इसे सीधे संबंधित स्थानीय अधिकारियों को हस्तांतरित करती है।
    • विधायक केवल दिशा-निर्देशों के आधार पर अपने निर्वाचन क्षेत्रों में इसके अंतर्गत किये जाने वाले कार्यों की सिफारिश कर सकते हैं।
    • इस योजना के अंतर्गत प्रति विधायक धन का आवंटन अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होता है। इसके अंतर्गत दिल्ली में सबसे अधिक धन का आवंटन होता है; प्रत्येक विधायक प्रति वर्ष 10 करोड़ रुपए तक के कार्यों की सिफारिश कर सकता है।
  • एमएलए-एलएडी फंड के उपयोग के दिशा-निर्देश पूरे राज्यों में भिन्न हैं।
    • दिल्ली के विधायक फॉगिंग मशीनों के संचालन (डेंगू के मच्छरों को रोकने के लिये), सीसीटीवी उपकरणों की स्थापना आदि की सिफारिश कर सकते हैं।
    • विधायक द्वारा विकास कार्यों की सूची देने के बाद ज़िला प्रशासन द्वारा शासन के वित्तीय, तकनीकी एवं प्रशासनिक नियमों के अनुसार उनका निष्पादन किया जाता है।

संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना:

  • यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसकी घोषणा दिसंबर 1993 में की गई थी।
  • प्रारंभ में इसका क्रियान्वयन ग्रामीण विकास मंत्रालय (Ministry of Rural Development) के अंतर्गत किया गया जिसे अक्तूबर 1994 में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation) को स्थानांतरित कर दिया गया।
  • इस योजना के अंतर्गत संसद सदस्यों (Member of Parliament) को  प्रत्येक वर्ष 2.5 करोड़ रुपए की दो किश्तों में 5 करोड़ रुपए की राशि वितरित की जाती है। यह राशि नॉन-लैप्सेबल (Non-Lapsable) होती है। 
  • उद्देश्य:
    • इस योजना का उद्देश्य सांसदों को विकासात्मक प्रकृति के कार्यों की सिफारिश करने में सक्षम बनाना और उनके निर्वाचन क्षेत्रों में स्थानीय रूप से महसूस की गई ज़रूरतों के आधार पर सामुदायिक संपत्ति के निर्माण पर ज़ोर देना है।
      • इस योजना के अंतर्गत लोकसभा सदस्य अपने निर्वाचन क्षेत्रों के भीतर काम करने की सिफारिश कर सकते हैं और राज्यसभा के चुने हुए सदस्य राज्य के भीतर कहीं भी काम करने की सिफारिश कर सकते हैं।
      • राज्यसभा और लोकसभा के मनोनीत सदस्य देश में कहीं भी कार्य करने की सिफारिश कर सकते हैं।
    • इन परियोजनाओं में पीने के पानी की सुविधा, प्राथमिक शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य स्वच्छता और सड़कों आदि का निर्माण किया जाना शामिल है।
  • जून 2016 से इस निधि का उपयोग स्वच्छ भारत अभियान (Swachh Bharat Abhiyan), सुगम्य भारत अभियान (Sugamya Bharat Abhiyan), वर्षा जल संचयन के माध्यम से जल संरक्षण और सांसद आदर्श ग्राम योजना (Sansad Aadarsh Gram Yojana) आदि के कार्यान्वयन में भी किया जाता है।
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में कोविड -19 के प्रकोप के प्रतिकूल प्रभाव के मद्देनज़र वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-22 के दौरान इस निधि के अस्थायी निलंबन को अपनी मंज़ूरी दे दी है।
  • आलोचना:
    • यह संविधान की भावना के साथ असंगत है क्योंकि यह विधायकों को कार्यपालिका का काम सौंपता है।
    • दूसरी आलोचना कार्यों के आवंटन से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों से है।

स्रोत: द हिंदू

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