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डेली न्यूज़

भारतीय इतिहास

महाकवि सुब्रमण्यम भारती

  • 13 Sep 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये

महाकवि सुब्रमण्यम भारती

मेन्स के लिये

स्वतंत्रता संग्राम में दक्षिण भारत का साहित्यिक योगदान, सुब्रमण्यम भारती का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उपराष्ट्रपति ने महाकवि ‘सुब्रमण्यम भारती’ को उनकी 100वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रमुख बिंदु

  • जन्म: सुब्रमण्यम भारती का जन्म 11 दिसंबर, 1882 को मद्रास प्रेसीडेंसी के ‘एट्टायपुरम’ में हुआ था।
  • संक्षिप्त परिचय: वे राष्ट्रवादी काल (1885-1920) के भारतीय लेखक थे, जिन्हें आधुनिक तमिल शैली का जनक माना जाता है।
    • उन्हें 'महाकवि भारथियार' के नाम से भी जाना जाता है।
    • सामाजिक न्याय को लेकर उनकी मज़बूत भावना ने उन्हें आत्मनिर्णय और सम्मान हेतु लड़ने के लिय प्रेरित किया।
  • राष्ट्रवादी काल के दौरान भागीदारी:
    • वर्ष 1904 के बाद वह तमिल दैनिक समाचार पत्र ‘स्वदेशमित्रन’ से जुड़ गए।
      • राजनीतिक मामलों के साथ उनके इस जुड़ाव के कारण वे जल्द ही ‘भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस’ (INC) के चरमपंथी विंग का हिस्सा बन गए।
    • सुब्रमण्यम भारती ने अपने क्रांतिकारी विचारों का प्रचार करने हेतु लाल कागज़ पर 'इंडिया' नाम का साप्ताहिक समाचार पत्र छापा।
      • यह तमिलनाडु में राजनीतिक कार्टून प्रकाशित करने वाला पहला पेपर था।
      • उन्होंने ‘विजय’ जैसी कुछ अन्य पत्रिकाओं का प्रकाशन और संपादन भी किया।
    • उन्होंने कॉन्ग्रेस के वार्षिक सत्रों में हिस्सा लिया और बिपिन चंद्र पाल, बी.जी. तिलक तथा वी.वी.एस. अय्यर जैसे चरमपंथी नेताओं के साथ राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की।
      • भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के बनारस सत्र (1905) और सूरत सत्र (1907) के दौरान उनकी भागीदारी एवं देशभक्ति के प्रति उनके उत्साह ने कई राष्ट्रीय नेताओं को प्रभावित किया।
    • वर्ष 1908 में उन्होंने ‘स्वदेश गीतांगल’ प्रकाशित किया।
    • वर्ष 1917 की रूसी क्रांति को लेकर सुब्रमण्यम भारती की प्रतिक्रिया ‘पुड़िया रूस’ (द न्यू रशिया) नामक कविता मौजूद है, जो कि उनके राजनीतिक दर्शन का एक आकर्षक उदाहरण प्रस्तुत करती है।
    • उन्हें एक फ्राँसीसी उपनिवेश ‘पांडिचेरी’ (अब पुद्दुचेरी) भागने के लिये मज़बूर होना पड़ा, जहाँ वे वर्ष 1910 से वर्ष 1919 तक निर्वासन में रहे।
    • इस अवधि के दौरान की सुब्रमण्यम भारती की राष्ट्रवादी कविताएँ और निबंध काफी लोकप्रिय थे।
  • महत्त्वपूर्ण रचनाएँ: ‘कण पाणु’ (वर्ष 1917; कृष्ण के लिये गीत), ‘पांचाली सपथम’ (वर्ष 1912; पांचाली का व्रत), ‘कुयिल पाउ’ (वर्ष 1912; कुयिल का गीत), ‘पुड़िया रूस’ और ‘ज्ञानारथम’ (ज्ञान का रथ)।
    • उनकी कई अंग्रेज़ी कृतियों को ‘अग्नि’ और अन्य कविताओं तथा अनुवादों एवं निबंधों व अन्य गद्य अंशों (1937) में एकत्र किया गया था।
  • मृत्यु: 11 सितंबर, 1921
  • अंतर्राष्ट्रीय भारती महोत्सव:
    • सुब्रमण्यम भारती की 138वीं जयंती के अवसर पर ‘वनाविल कल्चरल सेंटर’ (तमिलनाडु) द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय भारती महोत्सव-2020’ का आयोजन किया गया था।
    • विद्वान श्री सेनी विश्वनाथन को वर्ष 2020 का भारती पुरस्कार प्राप्त हुआ।

स्रोत: द हिंदू

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