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डेली न्यूज़

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

लेज़र लेखन प्रक्रिया

  • 02 Jun 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

रमन प्रभाव, नैनो प्रौद्योगिकी के बारे में सामान्य जानकारी 

मेन्स के लिये: 

नैनो प्रौद्योगिकी द्वारा निर्मित नियंत्रित नैनो संरचना का महत्त्व  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग’ (Department of Science and Technology- DST) के अधीन स्थित स्वायत्त संस्थान ‘इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी’ (Institute of Nano Science and Technology-INST), मोहाली के शोधकर्त्ताओं द्वारा ‘ए  रैपिड वन-स्टेप लो पावर लेज़र राइटिंग प्रोसिस’(A Rapid One-Step Low Power Laser Writing Process) के माध्यम से, 2D सामग्री पर उचित ज्यामिति एवं स्थान के साथ नियंत्रित नैनो संरचना को विकसित करने का एक नया तरीका विकसित किया गया है।

Laser-Writing-Process

प्रमुख बिंदु:

  • INST के शोधकर्त्ताओं द्वारा एक हाइब्रिड ‘सर्फेस-एन्हांस्ड रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी’ (Surface-Enhanced Raman Spectroscopy- SERS) प्लेटफॉर्म विकसित किया गया, जिस पर मोलिब्डेनम डाइ सल्फ़ाइड (Molybdenum disulfide-MoS2) नैनोसंरचना को सोने के नैनोप्रार्टिकल्स (Gold NanoParticles- AuNPs) से सजाया गया।
    • SERS आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली एक सेंसिंग तकनीक है, जिसमें अणुओं द्वारा बिखरे हुए इनलेस्टिक लाइट (Aelastic Light) की तीव्रता को तब बढ़ाया जाता है, जब तक अणुओं को सिल्वर या गोल्ड नैनोपार्टिकल्स (NPs) जैसी नालीदार धातु की सतहों पर अवशोषित किया जाता है।
    • यह अणुओं में रमन प्रकीर्णन प्रकाश (Raman Scattering Light) की तीव्रता को तेज़ करता है, जिससे अणुओं का प्रभावी विश्लेषण होता है।
  • प्रत्यक्ष लेज़र लेखन (माइक्रोस्कोपिक वर्ड के लिये 3 डी प्रिंटिंग) का उपयोग मोलिब्डेनम डाइ सल्फाइड की सतह पर कृत्रिम किनारों को बनाने में किया गया जिन्होंने सटीकता और नियंत्रण के साथ स्थानीयकृत हॉटस्पॉट (Localized Hotspots) का निर्माण किया।
    • इस प्रक्रिया में एक पारंपरिक रमन स्पेक्ट्रोमीटर की कम तीव्रता वाली केंद्रित लेज़र बीम का उपयोग किया गया जो कृत्रिम किनारों के निर्माण के साथ-साथ गोल्ड नैनोपार्टिकल्स के बेहतर चित्रण में भी सक्षम है।
    • इस नैनो संरचना को 2 डी मोलिब्डेनम डाइ सल्फाइड की शीट पर बनाया गया।
  • हाइब्रिड सर्फेस-एन्हांस्ड रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी प्लेटफॉर्म, (Analytes) (ऐसा पदार्थ जिसके रासायनिक घटकों को पहचाना और मापा जा रहा है) को अतिसंवदेनशील और पुनरुत्पादनीय रूप में प्रस्तुत करने के लिये नियंत्रित स्थानीयकृत हॉटस्पॉट प्रदान करता है।

शोध का महत्त्व: 

  • SERS डिटेक्शन अपनी उच्च संवेदनशीलता और फिंगरप्रिंटिंग पहचान क्षमताओं के कारण विभिन्न प्रकार के एनालिटिक्स का पता लगाने के लिये एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभर रहा है।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग विभिन्न बायोमार्करों के स्पेक्ट्रोस्कोपिक का पता लगाने के लिये एक एंटीबॉडी के साथ संयोजन में किया जा सकता है (एक उद्देश्य माप जो किसी सेल या किसी जीव में एक पल में क्या हो रहा है, उसे पहचान लेता है)।

रमन प्रभाव:

  • यह एक स्पेक्ट्रोस्कोपी अवधारणा है, जिसे 28 फरवरी 1928 में प्रख्यात भौतिक वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकट रमन द्वारा खोजा गया।
  • रमन प्रभाव अणुओं द्वारा फोटॉन का एक अव्यवस्थित प्रकीर्णन है जिसमे उच्च कंपन या घूर्णी ऊर्जा स्तर विद्यमान होते हैं जिसे रमन स्कैटरिंग प्रभाव भी कहा जाता है।
  • दूसरे शब्दों में, यह प्रकाश की तरंग दैर्ध्य में एक प्रकार का परिवर्तन है जो तब होता है जब प्रकाश की किरणें अणुओं द्वारा विक्षेपित हो जाती है।
  • रमन प्रभाव रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी के लिये एक आधार निर्मित करता है, जो सामग्री के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिये दवाई विक्रेत्ताओं तथा भौतिकविदों द्वारा प्रयोग में लाया जाता है।

स्रोत: पीआईबी

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