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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 01 जून, 2020

  • 01 Jun 2020
  • 7 min read

स्मार्ट बैंडेज

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science & Technology-DST) के अधीन स्वायत्त संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (Institute of Advanced Study in Science and Technology) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी स्मार्ट बैंडेज (Smart Bandage) विकसित की है, जो घाव तक दवा की सही डोज़ पहुँचाकर उसे ठीक कर सकती है। यह स्मार्ट बैंडेज घाव में संक्रमण की स्थिति के अनुरूप उसके PH स्तर को देखते हुए दवा की डोज़ जारी करती है। बैंडेज के निर्माण में वैज्ञानिकों ने कपास और जूट जैसी टिकाऊ और सस्ती सामग्रियों का इस्तेमाल किया है। जूट और सूती कपड़े से बनाई गई यह स्मार्ट बैंडेज घाव में बैक्टीरिया के संक्रमण के स्तर को देखते हुए कार्य करती है। इस बैंडेज में संक्रमण जिस स्तर का है, दवा भी बैंडेज से उसी के अनुरूप खुद-ब-खुद निकलती है। यदि घाव में बैक्टीरिया का स्तर बढ़ रहा हो तो बैंडेज से दवा का रिसाव कम PH स्तर पर होता है। उल्लेखनीय है कि किसी भी घाव के आसपास, बैक्टीरिया का संक्रमण होने पर उसके PH अर्थात अम्लीयता या क्षारीयता में बदलाव आ जाता है। इसलिये स्मार्ट बैंडेज में PH की स्थिति के अनुरूप दवा के रिसाव की प्रणाली विकसित की गई है। संक्रमण के अनुकूल दवा के रिसाव की इसकी यह विशेषता इस बैंडेज को अनूठा बनाती है। बैंडेज बनाने के लिये कपास और जूट जैसी सस्ती और टिकाऊ सामग्री का इस्तेमाल इसे जैविक रुप से दुष्प्रभाव रहित, विषाक्तता रहित, कम खर्चीला और टिकाऊ बनाता है।

वाजिद खान

बॉलीवुड के प्रसिद्ध संगीतकार और संगीत निर्देशक (Music Director) वाजिद खान का 01 जून, 2020 को 42 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। वाजिद खान प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद शराफत अली खान के पुत्र थे। वाजिद खान अपने भाई साजिद खान से दो वर्ष छोटे थे। बॉलीवुड में साजिद-वाजिद की जोड़ी काफी प्रसिद्ध थी, दोनों ही लोगों ने बॉलीवुड में अपने कैरियर की शुरुआत वर्ष 1998 में प्रसिद्ध अभिनेता सलमान खान की फिल्म ‘प्यार किया तो डरना क्या’ के साथ की थी। इसके पश्चात् उन्होंने वर्ष 1999 में सोनू निगम की एल्बम 'दीवाना' के लिये संगीत दिया। वाजिद खान संगीत निर्देशक के साथ-साथ अच्छे गायक भी थे और उन्होंने बॉलीवुड की कई फिल्मों को अपनी आवाज़ दी। इसके अतिरिक्त वाजिद खान ने इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के चौथे सीज़न के थीम सॉंग को भी अपनी आवाज़ दी थी। साजिद-वाजिद की जोड़ी द्वारा जीते गए कुछ पुरस्कारों में 'फिल्मफेयर अवार्ड', 'मिर्ची म्यूज़िक अवार्ड्स', 'ज़ी सिने अवार्ड्स', और ‘स्टार स्क्रीन अवार्ड' आदि शामिल हैं।

विश्व दुग्ध दिवस

वैश्विक स्तर पर दुग्ध (Milk) के महत्त्व को उजागर करने के लिये प्रतिवर्ष 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस (World Milk Day) मनाया जाता है। वर्ष 2001 में पहली बार विश्व दुग्ध दिवस मनाया गया था। विश्व दुग्ध दिवस की शुरुआत सर्वप्रथम संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organisation-FAO) द्वारा की गई थी। विश्व दुग्ध दिवस 2020 के लिये 'विश्व दुग्ध दिवस की 20वीं वर्षगांठ' (20th Anniversary of World Milk Day) को थीम के रूप में चुना गया है, विश्व दुग्ध दिवस 2019 की थीम- ‘ड्रिंक मिल्क टुडे एंड एवरीडे’ (Drink Milk: Today & Everyday) रखी गई थी। यह दिवस इस तथ्य को उजागर करने के लिये मनाया जाता है कि किस प्रकार डेयरी एक अरब लोगों की आजीविका का एक प्रमुख साधन है। भारत बीते कुछ वर्षों में 150 मिलियन टन से अधिक दुग्ध उत्पादन के साथ विश्व में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। भारत में प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को ‘राष्ट्रीय दुग्ध दिवस’ (National Milk Day) मनाया जाता है। भारत में यह दिवस श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज़ कुरियन के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) की स्‍थापना वर्ष 1945 में कृषि उत्‍पादकता और ग्रामीण आबादी के जीवन निर्वाह की स्‍थिति में सुधार करने और पोषण तथा जीवन स्‍तर को उन्‍नत बनाने के उद्देश्य के साथ की गई थी। 

बॉबी जो मोरो

1956 के मेलबॉर्न (Melbourne) ओलंपिक में तीन स्वर्ण पदक जितने वाले धावक बॉबी जो मोरो (Bobby Joe Morrow) का 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। मेलबॉर्न ओलंपिक में वर्ष 1956 में मोरो ने 100 मीटर, 200 मीटर और 4 ×100 मीटर में स्वर्ण पदक जीता था और वे अमेरिका के प्रसिद्ध एथलीट (Athletics) जेसी ओवेन्स (Jesse Owens) के बाद ऐसा करने वाले दूसरे एथलीट बन गए थे। इसके बाद अमेरिका के कार्ल लुईस (Carl Lewis) और जमैका के उसैन बोल्ट (Usain Bolt) ने भी यह उपलब्धि प्राप्त की थी। बॉबी जो मोरो का जन्म 15 अक्तूबर, 1936 को अमेरिका के टेक्सास (Texas) में हुआ था। वर्ष 1956 से वर्ष 1958 के मध्य बॉबी जो मोरो विश्व के शीर्ष धावक रहे। बॉबी जो मोरो ने वर्ष 1958 में अंतर्राष्ट्रीय खेल से संन्यास ले लिया था, हालाँकि उन्होंने वर्ष 1960 में कुछ समय के लिये वापसी की थी, किंतु अमेरिका के ओलंपिक समूह में स्थान बनाने में विफल रहे। उन्हें वर्ष 1975 में नेशनल ट्रैक एंड फील्ड हॉल ऑफ फेम (National Track and Field Hall of Fame) के लिये चुना गया था।

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