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शासन व्यवस्था

लद्दाख निवासी प्रमाण-पत्र आदेश 2021

  • 24 Sep 2021
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अनुच्छेद 370, अनुच्छेद 35A

मेन्स के लिये:

लद्दाख निवासी प्रमाण-पत्र आदेश 2021 का महत्त्व 

चर्चा में क्यों?   

हाल ही में लद्दाख प्रशासन ने केवल क्षेत्र के स्थायी निवास प्रमाण-पत्र धारकों (Permanent Resident Certificate holders) को ही निवासी प्रमाण-पत्र (Resident Certificate) जारी करने का निर्णय लिया है।

  • यह जम्मू-कश्मीर के निवासी प्रमाण-पत्र के विपरीत है जिसमें नए अधिवास कानून (New Domicile Laws) बाहरी लोगों को नौकरी, ज़मीन और अन्य सुविधाओं हेतु आवेदन करने की अनुमति देते हैं।
  • इससे पहले जब भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख में लागू था तब लद्दाख सहित तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में सभी नौकरियांँ विशेष रूप से राज्य के स्थायी निवासियों के लिये आरक्षित थीं।

प्रमुख बिंदु 

  • निवासी प्रमाण-पत्र के बारे में:
    • कोई भी व्यक्ति जिसके पास लेह और कारगिल ज़िलों में सक्षम प्राधिकारी (तहसीलदार) द्वारा जारी स्थायी निवासी प्रमाण-पत्र ( Permanent Resident Certificate- PRC) है या उन व्यक्तियों की श्रेणी से संबंधित है जो PRC जारी करने के लिये पात्र हैं, वे निवासी प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के पात्र होंगे।
    • प्रशासन ने सभी पदों पर सरकारी सेवाओं में प्रवेश के लिये ऊपरी आयु सीमा भी बढ़ा दी है।
      • आयु सीमा में छूट एक बार ही मिलेगी जो दो वर्ष तक लागू रहेगी।
  • उद्देश्य:
    • लद्दाख के प्रशासन के किसी विभाग या सेवा की स्थापना पर सभी अराजपत्रित पदों पर नियुक्ति के उद्देश्य से केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के निवासी को अस्थायी रूप से परिभाषित करना है।
  • स्थायी निवास प्रमाण-पत्र (PRC):
    • PRC के बारे में:
      • यह एक प्रकार का अधिवास प्रमाण-पत्र है जो लोगों को सरकारी नौकरियों में अधिवास से संबंधित कोटा का लाभ उठाने और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पाने में मदद करता है।
        • भारत में PRC अरुणाचल प्रदेश, असम, मिज़ोरम, मेघालय, त्रिपुरा और मणिपुर जैसे राज्यों द्वारा जारी किया जाता है।
    • प्रयोजन:
      • यह एक कानूनी दस्तावेज़ है जो निवास के प्रमाण के रूप में कार्य करता है और इस प्रकार जहांँ भी निवास के प्रमाण की आवश्यकता होती है वहांँ जमा किया जा सकता है।
    • उपयोग:
      • विशेष रूप से सरकारी नौकरियों तथा विशिष्ट कोटे के तहत शैक्षिक संस्थाओं में प्रवेश हेतु स्थानीय वरीयता प्राप्त करने के लिये।
      • संबंधित राज्य में राशन कार्ड प्राप्त करने और चुनाव में वोट डालने के लिये।
      • राज्य की विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने हेतु या राज्य द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति का दावा करने के लिये।

स्रोत: द हिंदू

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