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डेली न्यूज़

भारतीय राजव्यवस्था

कापू समुदाय को आरक्षण

  • 21 Jul 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अन्य पिछड़ा वर्ग,अनुच्छेद 15,अनुच्छेद 16, संविधान (103वाँ संशोधन) अधिनियम

मेन्स के लिये: 

संविधान (103वाँ संशोधन) अधिनियम, 2019 के प्रमुख प्रावधान,आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के हितों को संरक्षित करने हेतु संवैधानिक प्रावधान

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य सरकार में आंतरिक पदों और सेवाओं में नियुक्तियों हेतु कापू समुदाय तथा अन्य आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों (EWS) के लिये 10% आरक्षण की घोषणा की है।

  • यह आरक्षण संविधान (103वाँ संशोधन) अधिनियम, 2019 के अनुसार बढ़ाया गया है।

प्रमुख बिंदु

कापू समुदाय के बारे में:

  • कापू मुख्य रूप से आंध्र-तेलंगाना क्षेत्र का एक कृषि प्रधान समुदाय है। 
  • ऐसा माना जाता है कि इन्होंने हज़ारों साल पहले गंगा के मैदानी इलाकों संभवतः काम्पिल्य (अयोध्या के पास) से प्रवास किया था।
  • उन्होंने वर्तमान तेलंगाना में प्रवेश किया और गोदावरी के किनारे के जंगलों को साफ कर वहीं बस  गए तथा खेती करना शुरू किया।
  • कापू समुदाय स्वयं को 'पिछड़ी जातियों' की श्रेणी में शामिल करने की मांग कर रहा है। उल्लेखनीय है कि भारत की स्वतंत्रता से पहले वे पिछड़ी जाति में ही शामिल थे।
  • कापू समुदाय को पिछड़ी जातियों में शामिल करने के लिये पहला व्यापक विरोध वर्ष 1993 में हुआ था।
    • तब उन्हें 'पिछड़ी जातियों' में शामिल करने के लिये एक सरकारी आदेश जारी किया गया था। हालाँकि इस आदेश का पालन नहीं किया गया।

अन्य पिछड़ा वर्ग

  • अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Classes- OBC) भारत सरकार द्वारा उन जातियों को वर्गीकृत करने के लिये  इस्तेमाल किया जाने वाला एक सामूहिक शब्द है जो शैक्षिक या सामाजिक रूप से वंचित हैं।
  • यह सामान्य वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC तथा ST) के साथ-साथ भारत की जनसंख्या के विभिन्न आधिकारिक वर्गीकरणों में से एक है। 
  • वर्ष 1980  की मंडल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, देश की कुल जनसंख्या में OBC वर्ग की आबादी 52%  थी तथा वर्ष 2006  में जब राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन हुआ था, तब इस वर्ग की कुल आबादी 41% निर्धारित की गई।
  • संविधान के अनुच्छेद 338B के तहत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक संवैधानिक निकाय है।

EWS आरक्षण के लिये दिशानिर्देश:

  • ऐसे व्यक्ति जिन्हें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था के तहत कवर नहीं किया गया है और जिनकी सकल वार्षिक पारिवारिक आय 8 लाख रुपए से कम है उन्हें आरक्षण का लाभ प्रदान करने के उद्देश से ‘आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग’ (EWS)  के रूप में पहचाना गया है।
  • सकल वार्षिक आय में आवेदन के वर्ष से पहले के वित्तीय वर्ष में सभी स्रोतों यानी वेतन, कृषि, व्यवसाय, पेशे आदि से प्राप्त आय शामिल है।
  • इस उद्देश्य के लिये परिवार के तहत आरक्षण का लाभ प्राप्त करने वाला व्यक्ति, उसके माता-पिता, 18 वर्ष से कम उम्र के भाई-बहन तथा उसके पति या पत्नी और 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे शामिल होंगे।

संविधान (103वाँ) संशोधन अधिनियम:

  • इसने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में संशोधन करते हुए आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों (EWS) के लिये शिक्षा संस्थानों में प्रवेश तथा नौकरियों में आर्थिक आरक्षण (10% कोटा) की शुरुआत की। 
    • इसके माध्यम से संविधान में अनुच्छेद 15 (6) और अनुच्छेद 16 (6) को सम्मिलित किया गया था।
  • यह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामाजिक तथा शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (SEBC) के लिये उपलब्ध 50% आरक्षण नीति द्वारा कवर नहीं किये गए गरीबों के कल्याण को बढ़ावा देने हेतु अधिनियमित किया गया था।
  • यह केंद्र और राज्यों दोनों को समाज के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों को आरक्षण प्रदान करने में सक्षम बनाता है।

EWS आरक्षण की स्थिति:

  • 10% EWS आरक्षण केंद्र सरकार द्वारा रोज़गार के अवसरों (इंद्रा साहनी वाद 1992 द्वारा निर्धारित) में आरक्षण की 50% सीमा का उल्लंघन करता है।
  • सरकार का मानना यह है कि यद्यपि सामान्यतया 50% आरक्षण का नियम है, लेकिन वह आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के समाज के सदस्यों के उत्थान के लिये मौजूदा विशेष परिस्थितियों को देखते हुए संविधान के संशोधन को नहीं रोकेगा।
  • वर्तमान में मामला सर्वोच्च न्यायालय में है जहाँ उसने हाल ही में 103वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 को चुनौती देने वाली याचिकाओं को पाँच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ को यह कहते हुए संदर्भित किया कि इसमें 'कानून के पर्याप्त प्रश्न' शामिल हैं।
  • संविधान के अनुच्छेद 145(3) के अनुसार, कम-से-कम पाँच न्यायाधीशों को ऐसे मामलों की सुनवाई करने की आवश्यकता होती है जिनमें संविधान की 'व्याख्या के रूप में कानून का एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न' या अनुच्छेद 143 के तहत कोई संदर्भ शामिल है, जो की शक्ति से संबंधित है। भारत के राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय से परामर्श करेंगे।
  • सर्वोच्च न्यायालय की कम-से-कम पाँच जजों वाली न्यायपीठ (Bench) को संविधान पीठ कहा जाता है।

स्रोत: द हिंदू

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