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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

जम्मू-कश्मीर में हंगुल जनगणना आरंभ

  • 04 Mar 2017
  • 3 min read

गौरतलब है कि जम्मू और कश्मीर के वन विभाग द्वारा मार्च में अत्यधिक संकटग्रस्त “हंगुल” (Hangul) के संबंध में पशु जनगणना करने की तैयारी आरंभ हो गई है| हंगुल जम्मू और कश्मीर का राजकीय पशु भी है| ध्यातव्य है कि हंगुल केवल जम्मू और कश्मीर में ही पाया जाता है|

प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 2015 की पशु जनगणना के दौरान इनकी संख्या मात्र 186 पाई गई थी|
  • हालाँकि वन विभाग के अधिकारियों ने संरक्षण के कुछ उपायों के माध्यम से इनकी संख्या में बढ़ोतरी होने की अपेक्षा ज़ाहिर की है, परन्तु फिर भी संरक्षणवादियों ने अधिकारियों द्वारा किये गए दावों के प्रति संदेह व्यक्त किया है|
  • वस्तुतः 10 मार्च से इस पशु जनगणना के शुरु होने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है|
  • दाचिग्राम नेशनल पार्क (Dachigam National Park) के वन्यजीव वार्डन ताहिर शाल के अनुसार, यह प्रक्रिया तीन दिन में समाप्त होने की आशा है| इसके अतिरिक्त यह भी आशा व्यक्त की जा रही है कि हंगुल की संख्या में पिछली पशु जनगणना की अपेक्षा वृद्धि होने की उम्मीद हैं| 
  • ध्यातव्य है कि इस वर्ष वन विभाग द्वारा एलटी विधि (Line Transect Method) का प्रयोग किया जाएगा| इस कार्य में इनका सहयोग डब्लूआईआई (Wildlife Institute of India - WII) द्वारा किया जाएगा| 
  • वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस गणना में 350 लोगों (वन कर्मचारियों और स्वयंसेवकों को मिलाकर) को शामिल किया जाएगा| यह गणना केवल दाचिग्राम नेशनल में ही नहीं बल्कि हंगुल के आवासों के रूप में पाए जाने वाले अन्य क्षेत्रों में भी की जाएगी| 
  • इस गणना में ख्रेव (Khrew), खोंमोह (Khonmoh), शिकारगढ़ (Shikargarh) के साथ-साथ कश्मीर के अनेक संरक्षण रिज़र्व क्षेत्रों को भी शामिल किया जाएगा|
  • विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ समय पहले तक कश्मीरी हिरण अथवा हंगुल हिमाचल प्रदेश के सीमांकित क्षेत्रों में भी पाया जाता था, परन्तु अब इसका क्षेत्र सिमट कर केवल जम्मू-कश्मीर तक हो गया है|
  • उल्लेखनीय है कि इनकी संख्या में आने वाली कमी के अनेक कारण हैं जिनमें शिकार और इनके आवासों को नष्ट करना प्रमुख हैं|
  • इन मनमोहक हिरणों के मैदानों (जिन पर ये गर्मियों में चराई करते हैं) को भी भेड़ों के झुंडों द्वारा नष्ट कर दिया जाता है| यह एक ऐसा मुद्दा है जिसका समाधान वन विभाग द्वारा चरवाहों को कई बार नोटिस जारी किये जाने के बावजूद भी सरकार द्वारा अभी तक नहीं निकला गया है|
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