भारतीय राजव्यवस्था
J&K और पंद्रहवाँ वित्त आयोग
- 07 Aug 2019
- 3 min read
चर्चा में क्यों?
जम्मू और कश्मीर राज्य के दर्जे में बदलाव के बाद, केंद्र और राज्य के बीच संसाधनों के वितरण हेतु 15वें वित्त आयोग को दोबारा आकलन करना होगा।
प्रमुख बिंदु
- जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू और कश्मीर (विधानसभा के साथ) तथा लद्दाख (विधानसभा रहित) बनाने का प्रस्ताव लाया गया है।
- जम्मू और कश्मीर, राज्य से केंद्रशासित प्रदेश बनने के पश्चात् वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित किसी भी कर विभाज्यता के योग्य नही रहेगा ।
- केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद इसे केवल केंद्र सरकार द्वारा आवंटित धन ही प्राप्त होगा क्योंकि केंद्रशासित प्रदेशों (दिल्ली एवं पुददुचेरी आदि) को केंद्र सरकार द्वारा बज़ट आवंटित किया जाता है जिसके लिये संसद में मतदान होता है।
- जम्मू और कश्मीर अपनी वित्तीय स्वायत्तता खो देगा जिससे राजकोषीय संघवाद की अवधारणा को क्षति पहुँचेगी।
- जम्मू-कश्मीर राज्य को केंद्र सरकार द्वारा विशेष राज्य का दर्ज़ा दिया गया था। कुल केंद्रीय सहायता का लगभग 30% भाग विशेष राज्यों को आवंटित किया जाता है। इसके अतिरिक्त इन राज्यों को अन्य राज्यों की तुलना में अनुदान एवं ऋण प्रदान करने के संदर्भ में विशेष सहायता प्रदान की जाती है।
- नीति आयोग के निर्माण के बाद और 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के पश्चात् सभी राज्यों के संग्रहीत कर में पहले के 32% हिस्से को बढ़ाकर 42% कर दिया गया था।
- 14वें वित्त आयोग ने विशेष श्रेणी के राज्यों के लिये विशिष्ट सिफारिशें नहीं की थीं, लेकिन वन क्षेत्र और अंतर्राष्ट्रीय सीमा की लंबाई जैसी स्थितियों को बजट आवंटन के समय महत्त्व देने की बात की थी।
वित्त आयोग
- वित्त आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जो राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकार के मध्य करों को वर्तमान आवश्यकताओं के अनुसार तय कर आय को वितरित करने हेतु विधि और सूत्र का निर्धारण करता है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 के अंतर्गत भारत का राष्ट्रपति पाँच वर्षों के लिये वित्त आयोग का गठन करता है
- भारत के राष्ट्रपति द्वारा 15 वें वित्त आयोग का गठन नवंबर 2017 में एनके सिंह की अध्यक्षता में किया गया था।
- इस आयोग से अपेक्षा है कि वह नवंबर 2019 तक अपनी रिपोर्ट सौंप देगा। इसकी सिफारिशें अप्रैल 2020 से मार्च 2025 तक की अवधि को कवर करेंगी।