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भारत-विश्व

भारत के लिये ईरान दूसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश

  • 24 Jul 2018
  • 4 min read

संदर्भ

भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति करने के मामले में ईरान ने सऊदी अरब को पीछे छोड़ते हुए दूसरा स्थान हासिल कर लिया है। उल्लेखनीय है कि ईरान ने यह स्थान ऐसे समय में हासिल किया है जब अमेरिका ने इसके तेल निर्यात को शून्य करने के लिये प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु

  • ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध नवंबर की शुरुआत से प्रभावी होंगे और अमेरिका ने चेतावनी दी है कि जो देश ईरानी तेल आयात को शून्य तक कम नहीं करेंगे उन्हें भी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा।
  • चूँकि ये प्रतिबंध नवंबर माह से प्रभावी होने हैं इसलिये ईरान द्वारा तेल निर्यात को बढ़ावा देने के लिये आकर्षक योजनाएँ चलाई जा रही हैं जिसका लाभ भारतीय कंपनियाँ उठा रही हैं।
  • सरकार द्वारा आपूर्ति की कमी से निपटने के तरीके के बारे में प्रश्नों की एक श्रृंखला के जवाब में प्रस्तुत किये गए आँकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों के दौरान भारतीय तेल कंपनियों ने ईरान से 5.67 मिलियन टन कच्चे तेल का आयात किया था जिसकी कुल कीमत 19, 978.46 करोड़ रुपए (2.95 बिलियन डॉलर) थी।
  • इस अवधि के दौरान सऊदी अरब द्वारा की जाने वाली आपूर्ति 5.22 मिलियन टन थी और भारत को तेल आपूर्ति करने के मामले में वह तीसरे स्थान पर रहा।
  • इराक 7.27 मिलियन टन कच्चे तेल की आपूर्ति के साथ भारत के लिये सबसे बड़ा आपूर्तिकर्त्ता देश बना रहा। 
  • पिछले दो वित्तीय वर्षों (2016-17 और 2017-18) के आँकड़ों के अनुसार इराक और सऊदी अरब भारत के लिये शीर्ष आपूर्तिकर्त्ता देश थे तथा ईरान इन दोनों वित्तीय वर्षों में क्रमशः तीसरे और चौथे स्थान पर रहा था।

7 साल बाद हासिल की ईरान ने यह स्थिति

  • 2010-11 में ईरान सऊदी अरब के बाद भारत के लिये दूसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक था लेकिन बाद में तेहरान के परमाणु कार्यक्रमों पर रोक लगाने के लिये अमेरिका ने इस पर कई प्रतिबंध लगा दिये जिसके चलते यह सातवें स्थान पर पहुँच गया था।
  • भारत ने अमेरिका द्वारा दी गई छूट की शर्तों को पूरा करने के लिये ईरानी तेल के आयात को कम कर दिया। जुलाई 2015 में ईरान से प्रतिबंध हटा दिये गए और भारत ने एक बार फिर ईरान से तेल आयात को बढ़ाया।

भारत के सामने असली चुनौती

  • ईरान के तेल का विकल्प तलाशना भारत के लिये कोई बड़ी समस्या नहीं है क्योंकि इराक, सऊदी अरब और कुवैत ईरान की कमी को पूरा कर सकते हैं। भारत की वास्तविक चुनौती तेहरान के साथ अपने वर्षों पुराने रिश्ते को बचाने और चाबहार बंदरगाह से जुड़े वित्तीय/सामरिक हित हैं।
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