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भारतीय अर्थव्यवस्था

ग्लोबल वार्मिंग और भारत में रोज़गार

  • 03 Jul 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों ?

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organisation-ILO) ने ‘वर्किंग ऑन ए वार्मर प्लैनेट:द इंपैक्ट ऑफ हीट स्ट्रेस लेबर प्रोडक्टिविटी एंड डिसेंट वर्क’ (Working on a Warmer Planet: The Impact of Heat Stress on Labour Productivity and Decent Work) नामक एक रिपोर्ट जारी की।

working on a warmer

ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव

  • ILO द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग से विशेष रूप से कृषि और निर्माण क्षेत्रों में काम के घंटों की उत्पादकता में 5.8 प्रतिशत की कमी के कारण भारत में वर्ष 2030 तक 34 लाख पूर्णकालिक रोज़गार की उत्पादकता के बराबर श्रम का नुकसान होने की संभावना है।
  • अधिक तापमान से मज़दूरों के काम करने की गति में कमी आएगी जिससे वर्ष 2030 तक कुल वैश्विक श्रम उत्पादकता में 2% तक का नुकसान होगा, जो 80 लाख पूर्णकालिक नौकरियों की उत्पादकता के बराबर है।
  • जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु ठोस रणनीति न अपनाये जाने से वर्ष 2030 तक 2,400 बिलियन अमेरिकी डॉलर के संचित वैश्विक वित्तीय घाटे की आशंका है ।
  • ग्लोबल वार्मिंग से दक्षिण एशिया में वर्ष 2030 तक कुल श्रम उत्पादकता के 5.3% भाग की हानि होगी, जो 43 लाख पूर्णकालिक रोज़गार की उत्पादकता के बराबर है। इस क्षेत्र में रोज़गार के 90% तक अनौपचारिक होने से स्थिति और गंभीर हो जाती है।
  • भारत भी ग्लोबल वार्मिंग से विशेष रूप से प्रभावित होगा, वर्ष 1995 के कार्यशील घंटों की उत्पादकता में अभी तक 4.3% की कमी है जो वर्ष 2030 तक घटकर 5.8% होने की उम्मीद है।
  • ग्लोबल वार्मिंग का सबसे ज़्यादा प्रभाव कृषि क्षेत्र पर होने की संभावना है लेकिन इससे विनिर्माण क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं एवं पुरुषों पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा।
  • वर्ष 2030 तक राष्ट्रीय स्तर पर सभी देशो की सकल घरेलू उत्पाद में कमी का अनुमान है। बढ़ते ताप के कारण थाईलैंड, कंबोडिया, भारत और पाकिस्तान की GDP में पाँच प्रतिशत से अधिक कमी होने की संभावना है।

GFDL-ILO

  • कार्य स्थल पर अत्यधिक गर्मी एक व्यावसायिक स्वास्थ्य जोखिम है और इससे हीटस्ट्रोक की संभावना रहती है, जो श्रमिकों के लिये घातक हो सकता है।
  • ग्लोबल वार्मिंग से निम्न और उच्च आय वाले देशों के बीच असमानता भी बढ़ेगी ।
  • यातायात, पर्यटन, खेल और आपातकालीन सेवाओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा ।

स्रोत : द हिंदू (बिज़नेस लाइन)

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