जयपुर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 7 अक्तूबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़


जैव विविधता और पर्यावरण

इंटरनेशनल हॉर्सशू क्रैब डे

  • 20 Jun 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये: 

हॉर्सशू केकड़ा

मेन्स के लिये: 

पर्यावरण एवं जैव विविधता के संरक्षण में हॉर्सशू क्रैब(केकड़ा) का महत्त्व 

चर्चा में क्यों?

चीन के किनझोउ शहर (Qinzhou City) में ‘इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर’ (The International Union for Conservation of Nature- IUCN) के ‘हॉर्सशू  क्रैब स्पेशलिस्ट ग्रुप’ (Horseshoe Crab Specialist Group) की बैठक में 20 जून, 2020  को प्रथम ‘इंटरनेशनल हॉर्सशू  क्रैब डे’ (International Horseshoe Crab Day) के रूप में घोषित किया गया है।

प्रमुख बिंदु: 

  • हर वर्ष भारत के झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ तथा अन्य राज्यों में हॉर्सशू क्रैब (केकड़ा) के माँस एवं इनके कवच की आपूर्ति के लिये ओडिशा में सैकड़ों केकड़ों को मारा जाता है।
  • इनके अलावा ऐसा विश्वास है कि इसके कामोत्तेजक गुण के कारण भी इसे मारा जाता है जिस कारण ओडिशा में केकड़े की यह प्रजाति गंभीर खतरे में है।
  • हॉर्सशू क्रैब वैश्विक वातावरण एवं जैव विविधता के मध्य एक महत्त्वपूर्ण कड़ी के रूप में अपना सांस्कृतिक महत्त्व रखते हैं।
  • दुर्भाग्य से, इस पारिस्थितिक लिंक को उन क्षेत्रों में जहां हॉर्सशू केकड़ों का जनसंख्या घनत्व कम है, तोड़ा जा रहा है।
  • हॉर्सशू पारिस्थितिक रूप से बहुत महत्त्वपूर्ण है अपने इस पारिस्थितिक कार्य के तहत ये समुद्र तट पर करोड़ों अंडे देते है, जो समुद्र के किनारे, मछली और अन्य वन्यजीवों का भोजन है।
  • भारत में हॉर्सशू केकड़ों को केंद्रपाड़ा, बालासोर तथा भद्रक ज़िलों के समुद्र तटीय क्षेत्रों से चुना जाता है और अन्य राज्यों में भेजा जाता है।

Horseshoe-Crab

हॉर्सशू क्रैब (केकड़ा) डे का महत्त्व: 

  • ये हॉर्सशू केकड़े डायनासोर के समय से लगभग अपरिवर्तित हैं अर्थात अपने उसी रूप को बनाए हुए है अतः ऐसे में ये पारिस्थितिक तंत्र के महत्त्वपूर्ण इंजीनियर हैं जो आधुनिक अंतःविषय वातावरण में छोटे जीवों का भक्षण करते हैं।
  • 20 जून को अंतर्राष्ट्रीय हॉर्सशू केकड़ा दिवस के रूप में घोषित का उद्देश्य इन प्राचीन प्राणियों के लिये लोगों में अधिक से अधिक जागरूकता उत्पन्न करना है ताकि इन्हे संरक्षित करने में मदद मिल सके।

हॉर्सशू क्रैब के संरक्षण हेतु प्रयास: 

  • हॉर्सशू क्रैब (केकड़) के संरक्षण के लिये आवश्यक है कि इनका अवैध शिकार करने वाले किसी भी व्यक्ति/संस्था पर सख्त कार्रवाई की जाए।
  • इसके लिये आवश्यकता है कि ओडिशा, बिहार, झारखंड और अन्य राज्य में जहाँ इसकी आपूर्ति की जाती है वहाँ की पुलिस एवं वन्यजीव अधिकारियों के बीच बेहतर, अंतर-राज्यीय समन्वय हो। 

हॉर्सशू क्रैब के बारे में: 

  • वैज्ञानिक नाम (Scientific Name): लिमुलिडा (Limulidae)
  • फाइलम (Phylum): आर्थ्रोपोडा (Arthropoda)
  • घोड़े की नाल के सामान दिखाई देने कारण हॉर्सशू क्रैब (केकड़ा) कहा जाता है।
  • हॉर्सशू क्रैब को 9 सितंबर, 2009 में वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची IV में शामिल किया गया था।
  • जिसके तहत हॉर्सशू क्रैब को पकड़ना और मारना अपराध है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2