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केरल में खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैटी एसिड्स पर नियंत्रण की पहल

  • 19 Nov 2018
  • 5 min read

विश्व बैंक, विश्व स्वास्थ्य संगठन और FSSAI की तकनीकी सहायता से केरल सरकार का स्वास्थ्य विभाग और खाद्य सुरक्षा विभाग एक नई पहल शुरू करने जा रहा है। इसके तहत खाद्य पदार्थों के लिये दिशा-निर्देश लागू किये जाएंगे। इनमें राज्य में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैट एसिड्स, नमक और चीनी की मात्रा कम करने की योजना है। यह पहल राज्य में अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों से मेटाबोलिज्म सिंड्रोम में होने वाली बढ़ोतरी तथा असंक्रामक बीमारियों के कारण समय से पहले होने वाली मौतों के बढ़ते आँकड़ों के मद्देनज़र की जा रही है।

नवीनतम अनुमानों से पता चलता है कि 24 से 33 फीसदी केरलवासियों में मेटाबोलिज्म सिंड्रोम होने की संभावना है। अर्थात् प्रत्येक तीन या चार लोगों में से एक में यह सिंड्रोम पाया जा सकता है। महिलाओं में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है।

क्या है मेटाबोलिज्म सिंड्रोम (Metabolism Syndrome)?

मेटाबोलिक असामान्यताओं के समूह को मेटाबोलिज्म सिंड्रोम कहते हैं। इन असामान्याताओं में हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड सुगर, पेट निकलना और  कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड का असामान्य स्तर शामिल है। ये सभी मिलकर हृदय रोग, स्ट्रोक और डायबिटीज होने का खतरा बढ़ा देते हैं।

केरल में चिंताजनक बात जो देखने में आई वह है ट्राइग्लिसराइडेमिया। यानी रक्त में ट्राइग्लिसराइड का अधिक होना। यह स्तर 45 फीसदी तक देखने को मिला है। इसका एक बड़ा कारण खाद्य पदार्थों में फैट्स और कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा का अधिक होना है। इन हालातों में असंक्रामक बीमारियों के असर को कम करने के लिए आहार में बदलाव की ज़रूरत महसूस की गई। दरअसल, पके हुए खाद्य पदार्थों, फ्राइड चिकन, केले के चिप्स आदि में इस्तेमाल हो रहे इंडस्ट्रियल ट्रांस फैटी एसिड्स और नमक की अधिक मात्रा केरल में मेटाबोलिक सिंड्रोम को बढ़ाने का काम कर रहे हैं।

फैक्ट शीट (ट्रांस फैटी एसिड्स)

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का पैमाना

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय पैमानों के अनुसार Total Energy Intake में ट्रांस फैट्स की मात्रा 1 फीसदी से भी कम होनी चाहिये। इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2023 तक वैश्विक खाद्य आपूर्ति से ट्रांस फैटी एसिड्स को खत्म करने की अपील की है। देश में FSSAI  ने खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैटी एसिड्स की मात्रा को 2 फीसदी तक सीमित करने और 2022 तक खाद्य पदार्थों से ट्रांस फैट्स खत्म करने का प्रस्ताव रखा है।

हालात की गंभीरता के मद्देनज़र खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैटी एसिड्स की जाँच करने के लिये केरल सरकार का खाद्य सुरक्षा विभाग राज्य भर से सैंपल एकत्र करने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत बाज़ार से लोकप्रिय खाद्य वस्तुओं के कम-से-कम 300 सैंपल उठाकर उनमें मौजूद ट्रांस फैटी एसिड्स की मात्रा लेबोरेटरी में जाँची जाएगी।

राज्य के स्वास्थ्य विभाग को उम्मीद है कि आधारभूत जानकारी (Baseline Information) मिल जाने के बाद फूड इंडस्ट्री और असंगठित खाद्य क्षेत्र को ट्रांस फैटी एसिड्स का स्तर कानूनी सीमाओं के भीतर रखने को कहा जाएगा। इसके अलावा इस मुद्दे पर लोगों में जागरूकता उत्पन्न करने के लिये विशेष अभियान चलाने की भी योजना है।

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