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डेली न्यूज़

सामाजिक न्याय

भारत में मानसिक विकार की समस्या

  • 26 Dec 2019
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये

मानसिक विकारों से संबंधित समस्याएँ

मेन्स के लिये

भारतीयों में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इंडिया स्टेट लेवल डिज़ीज़ बर्डन इनिशिएटिव (India State-Level Disease Burden Initiative) द्वारा भारत में मानसिक विकारों के संबंध में एक अध्ययन किया गया जिसे लांसेट साइकाइट्री (Lancet Psychiatry) में प्रकाशित किया गया।

मुख्य बिंदु:

  • इस रिपोर्ट को द बर्डन ऑफ मेंटल डिसऑर्डर अक्रॉस द स्टेट्स ऑफ इंडिया: द ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ स्टडी 1990-2017 (The burden of mental disorders across the states of India: the Global Burden of Disease Study 1990–2017) नाम दिया गया है।
  • इसके अनुसार, अवसाद तथा चिंता भारत में मानसिक विकारों के प्रमुख कारण हैं तथा इनका प्रभाव दक्षिणी राज्यों और महिलाओं में अधिक है। इसके अलावा इसमें लगातार वृद्धि हो रही है।
  • लगभग प्रत्येक 7 में से 1 भारतीय या कुल 19 करोड़ 70 लाख लोग विभिन्न प्रकार के मानसिक विकारों से ग्रसित हैं।
  • वर्ष 2017 में देश में लगभग 76 लाख लोग बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) से ग्रसित थे। इसका सर्वाधिक प्रभाव गोवा, केरल, सिक्किम तथा हिमाचल प्रदेश में देखा गया।
  • इसी वर्ष लगभग 35 लाख लोग सिज़ोफ्रेनिया (Schizophrenia) से ग्रसित थे। इसका प्रभाव गोवा, केरल, तमिलनाडु तथा दिल्ली में सर्वाधिक था।
  • भारत में कुल बीमारियों में मानसिक विकारों की हिस्सेदारी विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष (Disability Adjusted Life Years- DALY) के अनुसार, वर्ष 1990 में 2.5% थी तथा वर्ष 2017 में यह बढ़कर 4.7% हो गई।
  • यहाँ 1 DALY का आशय एक स्वस्थ जीवन में एक वर्ष की कमी से है।
  • वर्ष 2017 में भारत में मानसिक विकार DALY के सभी मामलों में 33.8% लोग अवसाद (Depression), 19% लोग एंग्जायटी डिसऑर्डर (Anxiety Disorder), 10.8% लोग इडियोपथिक डेवलपमेंटल इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी (Idiopathic Developmental Intellectual Disability) तथा 9.8% लोग सिज़ोफ्रेनिया (Schizophrenia) से ग्रसित थे।
  • इस अध्ययन में राज्यों को सामाजिक-जनांकिकीय इंडेक्स (Socio-Demographic Index- SDI) के आधार पर तीन वर्गों- निम्न, मध्यम, तथा उच्च में विभाजित किया गया।
  • SDI के मापन में राज्य की प्रतिव्यक्ति आय, औसत शिक्षा, 25 वर्ष से कम आयु की महिलाओं में प्रजनन दर जैसे पैमानों को अपनाया गया।
  • उच्च SDI वाले राज्यों जैसे- तमिलनाडु, केरल, गोवा, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र तथा तेलंगाना में अवसाद एवं एंग्जायटी की समस्या से सर्वाधिक ग्रसित लोग थे।
  • इस अध्ययन में कहा गया कि अवसाद, एंग्जायटी, ईटिंग डिसऑर्डर के मामले में पुरुषों की तुलना में महिलाएँ अधिक प्रभावित थीं।

आगे की राह:

  • इस अध्ययन के आधार पर देश में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं पर ज़ोर देने तथा उन्हें सामान्य स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ने की आवश्यकता है। इसके साथ ही इन समस्याओं को एक लांछन की तरह देखने की बजाय इनके लिये बेहतर इलाज उपलब्ध कराए जाने चाहिये।
  • पिछले तीस वर्षों के आँकड़ों पर किये गए अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि भारत में मानसिक विकार गैर-घातक बीमारियों के मुख्य कारण है और इसमें लगातार वृद्धि हो रही है। इससे आत्महत्या जैसी समस्याएँ भी बढ़ती हैं। अतः आवश्यक है कि सामुदायिक स्तर पर एवं स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार द्वारा उनके नियंत्रण के लिये प्रयास किये जाएं।
  • इस अध्ययन के आधार पर लोगों को इससे बचाव हेतु राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य नीतियों जैसे आयुष्मान भारत (Ayushman Bharat), स्वास्थ्य बीमा योजना (Health Insurance Scheme), हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (Health and Wellness Centre) आदि के माध्यम से मानसिक विकार संबंधी समस्याओं को दूर किया जाए।
  • यह अध्ययन राज्यों के स्तर पर मानसिक विकारों के संबंध में जानकारी देता है जिसका प्रयोग नीति-निर्माताओं तथा स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा विभिन्न राज्यों में इन बीमारियों के नियंत्रण हेतु किया जा सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदू

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