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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

लोगों की समन्वित सीमा-पार आवाजाही पर G-20 सिद्धांत

  • 04 Sep 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:  

G-20 समूह, ‘वंदे भारत मिशन’

मेन्स के लिये:

G-20 और भारत, COVID-19 महामारी से निपटने में G-20 की भूमिका

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सऊदी अरब की अध्यक्षता में आयोजित ‘G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक’ में भारत ने ‘लोगों की समन्वित सीमा-पार आवाजाही पर G-20 सिद्धांत’ (G20 Principles on Coordinated Cross-Border Movement of People) के स्वैच्छिक विकास का प्रस्ताव रखा है।  

प्रमुख बिंदु:

  • सऊदी अरब की अध्यक्षता में आयोजित इस वर्चुअल बैठक में चर्चा का मुख्य विषय COVID-19 महामारी के दौरान सीमा-पार अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मज़बूत करने पर रहा ।
  • इस बैठक में भारतीय विदेश मंत्री ने तीन बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए ‘लोगों की समन्वित सीमा-पार आवाजाही पर G-20 सिद्धांत’ के स्वैच्छिक विकास का प्रस्ताव रखा।
    1. परीक्षण प्रक्रियाओं का मानकीकरण और परीक्षण परिणामों की सार्वभौमिक स्वीकार्यता।
    2. क्वारंटीन प्रक्रियाओं का मानकीकरण।
    3. आवाजाही और पारगमन प्रोटोकॉल का मानकीकरण। 
  • इसके साथ ही भारतीय विदेश मंत्री ने विश्व के सभी देशों से विदेशी छात्रों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करने और विदेशों में फंसे हुए समुद्री नाविकों को उनके देश पहुँचाने की सुविधा उपलब्ध करने का आग्रह किया।
  • इस बैठक में शामिल सभी विदेश मंत्रियों ने COVID-19 महामारी के दौरान सीमा-पार गतिविधियों के प्रबंधन से प्राप्त अपने राष्ट्रीय अनुभवों को भी साझा किया।
  • भारतीय विदेश मंत्री ने COVID-19 महामारी से निपटने के लिये G-20 देशों को एक साथ लाने में सऊदी अरब के प्रयासों की सराहना की।
  • बैठक के दौरान भारतीय विदेश मंत्री ने समूह के देशों को ‘वंदे भारत मिशन’ (Vande Bharat Mission) और  भारत में फंसे विदेशी नागरिकों तथा विदेशों में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा एवं कल्याण के लिये ‘ट्रैवल बबल’ (Travel Bubble) सहित भारत सरकार द्वारा उठाए गए अन्य कदमों से अवगत कराया।    

वैश्विक यातायात पर COVID-19 का प्रभाव:    

  • COVID-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिये विश्व के अधिकांश देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय और अंतर्देशीय यातायात तथा माल परिवहन पर बड़े पैमाने पर रोक लगा दी गई थी।
  • COVID-19 के प्रसार के नियंत्रण हेतु वैश्विक स्तर पर लागू लॉकडाउन का प्रभाव अर्थव्यवस्था के साथ-साथ वैश्विक खाद्य आपूर्ति श्रृंखला पर भी देखने को मिला है।

लाभ:  

  • G-20 देशों के बीच COVID-19 परीक्षण के मानकीकरण और सार्वभौमिक स्वीकार्यता से देशों के बीच पारदर्शिता तथा परस्पर आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायता प्राप्त होगी।
  • साथ ही आवाजाही और पारगमन प्रोटोकॉल के मानकीकरण से देशों के बीच COVID-19 के प्रसार के खतरे को कम करते हुए नियंत्रित रूप में लोगों का आवागमन तथा व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन सुनिश्चित किया जा सकेगा। 

COVID-19 और G-20:

  • COVID-19 महामारी की शुरुआत के समय से ही G-20 द्वारा इस चुनौती से निपटने हेतु कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। 
  • मार्च 2020 में आयोजित G-20 की वर्चुअल बैठक में समूह के देशों ने ‘COVID- 19 एकजुटता प्रतिक्रिया कोष’ (COVID-19 Solidarity Response Fund) में 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर जमा करने की प्रतिबद्धता ज़ाहिर की थी।
  • इसके साथ ही मई और जुलाई में अलग-अलग बैठकों में समूह के देशों के बीच खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य प्रतिक्रिया और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय समन्वय जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की गई।

आगे की राह:

  • वर्तमान में COVID-19 की किसी प्रमाणिक वैक्सीन की अनुपस्थिति में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु सहयोग के साथ व्यक्तिगत सुरक्षा और जागरूकता पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये।
  • COVID-19 महामारी के कारण विश्व स्तर पर आपूर्ति श्रृंखला को गंभीर क्षति हुई है, G-20 देशों को वैश्विक अर्थव्यवस्था को पुनः गति प्रदान करने के लिये सीमापार व्यापार के संचालन हेतु सहयोग बढ़ाना चाहिये।
  • COVID-19 के कारण हुई आर्थिक क्षति के प्रभावों को कम करने के लिये छोटे उद्यमों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये।

G-20 समूह: 

  • G-20 समूह विश्व की प्रमुख उन्नत और उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले 20 देशों का समूह है। 
  • G-20 की स्थापना वर्ष 1997 के पूर्वी एशियाई वित्तीय संकट के बाद वर्ष 1999 में यूरोपीय संघ और विश्व की 19 अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों गवर्नरों तथा वित्त मंत्रियों के एक फोरम के रूप में की गई थी।
  • इस समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
  • G-20 एक फोरम मात्र है, यह किसी स्थायी सचिवालय या स्थायी कर्मचारी के बिना कार्य करता है, प्रति वर्ष G-20 सदस्य देशों के बीच से इसके अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है।
  • वर्तमान में G-20 की अध्यक्षता सऊदी अरब (1 दिसंबर, 2019 से 30 नवंबर, 2020 तक) के पास है।   

उद्देश्य:  

  • वैश्विक आर्थिक स्थिरता, सतत् विकास के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु समूह के सदस्यों के बीच नीतिगत समन्वय स्थापित करना।
  • आर्थिक जोखिम को कम करने और भविष्य के वित्तीय संकटों को रोकने के लिये वित्तीय विनियमन (Financial Regulations) को बढ़ावा देना।
  • एक नए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय ढांचे (New International Financial Architecture) का निर्माण करना।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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