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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का अफगानिस्तान दौरा

  • 16 Jan 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor) द्वारा रणनीतिक मुद्दों पर बातचीत करने के लिये अफगानिस्तान का दौरा किया गया। 

प्रमुख बिंदु

अंतर-अफगान वार्ता की शुरुआत के बाद पहली आधिकारिक यात्रा:

  • यह यात्रा महत्त्वपूर्ण है क्योंकि अंतर-अफगान वार्ता (Intra-Afghan Discussion) के बीच किसी वरिष्ठ भारतीय अधिकारी की यह पहली यात्रा है।
  • इस वार्ता की शुरुआत वर्ष 2020 में तालिबान और अफगान सरकार के बीच बैठक (दोहा) में हुई थी।
  • इन वार्ताओं की व्यवस्था और संचालन का कार्य संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा किया जाता है, बैठक में अफगान सरकार और तालिबान के प्रतिनिधि दशकों पुराने युद्ध को समाप्त करने तथा एक राजनीतिक समझौता करने पर सहमत हुए हैं।

चर्चित मुद्दे:

  • शांति प्रक्रिया पर विचारों का आदान-प्रदान, अंतर-अफगान वार्ता के दूसरे दौर की शुरुआत और अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने में भारत की भूमिका।
  • दोहा शांति समझौते (2020) के बाद अफगानिस्तान से संयुक्त राज्य के सैनिकों के वापस जाने से आतंकवाद का मुकाबला करना और अफगानिस्तान में शांति बनाए रखना अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाएगा, जिसका मुकाबला दोनों देश साथ मिलकर करेंगे।
  • दोहा शांति समझौता: USA और तालिबान द्वारा फरवरी 2020 में दोहा (कतर की राजधानी) में एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए:
    • इस समझौते के तहत अमेरिका ने अगले 14 महीनों के अंदर अफगानिस्तान में तैनात अपने सभी सैनिकों को वापस बुलाने और अफगान सरकार द्वारा गिरफ्तार किये गए तालिबानी लड़ाकों को रिहा करने पर सहमति व्यक्त की थी।
    • तालिबान ने आश्वासन दिया कि वह अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे अंतर्राष्ट्रीय ज़िहादी संगठनों को अपने बेस के रूप में अफगानिस्तान का उपयोग करने की अनुमति नहीं देगा। साथ ही तालिबान ने अफगान सरकार के साथ सीधी बातचीत शुरू करने के लिये भी अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। 

अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने में भारत की भूमिका:

  • भारत ने अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिये दोहा में आयोजित अंतर-अफगान वार्ता में भाग लेकर तालिबान सहित सभी अफगान दलों के साथ जुड़ने की इच्छा जताई।
  • शांति प्रक्रिया हेतु भारत का संदेश 
    • अफगान के नेतृत्व और स्वामित्व वाली तथा अफगान-नियंत्रित होनी चाहिये।
    • अफगानिस्तान की राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने वाली होनी चाहिये।
    • मानव अधिकारों और लोकतंत्र को बढ़ावा देने वाली होनी चाहिये।
  • भारत द्वारा अफगानिस्तान के विकास के लिये एक बड़ी धनराशि निवेश की गई है।

Afghanistan

भारत के लिये अफगानिस्तान में स्थिरता का महत्त्व

  • अफगानिस्तान की स्थिरता और वहाँ एक स्थिर सरकार की मौजूदगी भारत के लिये रणनीतिक दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि भारत ने अफगानिस्तान में कई महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं में निवेश किया है।
    • अफगानिस्तान की राजनीति और सैन्य प्रणाली में तालिबान की बढ़ी हुई भूमिका और उसके क्षेत्रीय नियंत्रण का विस्तार, भारत के लिये बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि तालिबान का झुकाव पाकिस्तान की ओर माना जाता है।
  • ज्ञात हो कि अफगानिस्तान उत्तर में मध्य एशियाई देशों (तुर्कमेनिस्तान, उज़्बेकिस्तान, और ताजिकिस्तान), पूर्व एवं दक्षिण में पाकिस्तान तथा पश्चिम में ईरान के साथ अपनी सीमा साझा करता है।
  • अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद वह लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे विभिन्न भारत विरोधी आतंकवादी संगठनों के लिये सुरक्षित स्थान बन सकता है।

आगे की राह

  • भारत ने दोहा समझौते (वर्ष 2020) और अफगान शांति वार्ता के लिये अपने समर्थन की पुष्टि की है, साथ ही भारत ने अफगानिस्तान में ‘स्थायी शांति एवं सुलह’ के लिये  भी अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है।
  • भारत एक संप्रभु, एकजुट, स्थिर और लोकतांत्रिक अफगानिस्तान के दृष्टिकोण पर विश्वास करता है।
  • इस तरह के सक्रिय जुड़ाव और वार्ताओं को जारी रखने से भारत इस क्षेत्र में समान विचारधारा वाली शक्तियों और महत्त्वपूर्ण हितधारकों के साथ काम कर सकेगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद वहाँ पैदा होने वाली अस्थिरता के कारण पिछले दो दशकों के दौरान आतंकवाद के खिलाफ भारत को मिली बढ़त बेकार न हो जाए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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