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भारत में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम की धीमी गति

  • 19 Jul 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ द्वारा जारी एक रिपोर्ट में टीकाकरण अनुमानों पर खुलासा किया गया है कि वर्ष 2017 में दुनिया भर में मौजूद लगभग 19.9 मिलियन शिशुओं को तीनों खुराकों (डिप्थीरिया, टेटनस और पेर्तुस्सिस- DTP3) की नियमित सेवाएँ नहीं प्राप्त हुई हैं। इनमें से लगभग 60% बच्चे  इन 10 देशों- अफगानिस्तान, अंगोला, लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो, इथियोपिया, भारत, इंडोनेशिया, इराक, नाइजीरिया, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में रहते हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • यह देखा गया है कि वैश्विक टीकाकरण कवरेज़ में अनुशंसित टीकों को प्राप्त करने वाले विश्व के बच्चों का अनुपात पिछले कुछ वर्षों में जस का तस बना हुआ है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 से नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत DTP3 की खुराक प्राप्त करने वाले शिशुओं की संख्या लगभग 11.6 मिलियन यानी 85% के बराबर है।
  • इसके अलावा, वैश्विक जनसंख्या वृद्धि के कारण 2010 की तुलना में 2017 में अतिरिक्त 4.6 मिलियन शिशुओं को विश्व स्तर पर टीका लगाया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वभौमिक टीकाकरण कवरेज़ तक पहुँचने के लिये और प्रयास करने की आवश्यकता है।
  • जारी आँकड़ों में कहा गया है कि अनुमानित 20 मिलियन अतिरिक्त बच्चों को DTP3 टीकाकरण की ज़रूरत है, 45 मिलियन अतिरिक्त बच्चों को खसरे के टीके की दूसरी खुराक और 76 मिलियन से अधिक बच्चों को निमोकोकल संयुग्म टीके (pneumococcal conjugate vaccine -PCV) की तीन खुराक के साथ टीकाकरण की ज़रूरत है।

पोलियो उन्मूलन:

  • 19.9 मिलियन शिशुओं में ऐ जिनका पूरी तरह से DTP3 के साथ टीकाकरण नहीं किया गया है, उनकी संख्या संघर्षरत देशों या नाज़ुक मानवीय हालात में रहने वाले देशों सहित 8 मिलियन या 40% है और उनमें से लगभग 5.6 मिलियन सिर्फ तीन देशों- अफगानिस्तान, नाइजीरिया और पाकिस्तान में रहते हैं। जहाँ पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम की मौजूदगी को बनाए रखना और नियमित टीकाकरण सेवाओं तक पहुँच प्रदान करना महत्त्वपूर्ण है।
  • इस बीच जीवन-रक्षक टीकाकरण पैकेज (life-saving vaccination package) के हिस्से के रूप में नई उपलब्ध टीकों को शामिल किया जा रहा है। इनमें वे टीके शामिल हैं जो मेनिनजाइटिस, मलेरिया के साथ-साथ इबोला के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं।
  • ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) प्रजनन पथ का सबसे सामान्य वायरल संक्रमण है और यह सर्वाइकल कैंसर, अन्य प्रकार के कैंसर तथा पुरुषों एवं महिलाओं दोनों में जननांग गाँठ (genital warts) का भी कारण बन सकता है। HPV टीके की शुरुआत 2017 में 80 देशों में की गई थी।
  • दूसरी ओर, बच्चों की प्रमुख जानलेवा बीमारी जैसे रोटावायरस और निमोनिया की रोकथाम के लिये एक दशक से भी अधिक समय से टीके लगाए जा रहे हैं। लेकिन रोटावायरस और PCV का उपयोग धीमी गति से हुआ है। वर्ष 2017 में रोटावायरस के लिये वैश्विक कवरेज़ केवल 28% और PCV के लिये 44% था।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि इन दोनों बीमारियों की रोकथाम के लिये किये जाने वाले टीकाकरण में पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु कम करने की क्षमता है, जो सतत् विकास लक्ष्यों में से एक है।
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