लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत यूरोप के उपग्रह डेटा साझाकरण समूह में शामिल

  • 21 Mar 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?
भारत पृथ्वी के अवलोकन उपग्रहों (Earth observation satellites) जिन्हें कोपरनिकस (Copernicus) कहा जाता है, से डेटा साझा करने की यूरोप की मेगा वैश्विक व्यवस्था (Europe’s mega global arrangement) में शामिल हो गया है।

इसका लाभ क्या होगा?

  • अब जहाँ एक ओर भारतीय दूरसंचार संवेदन उपग्रहों (Indian remote sensing satellites) के एक बैंड से प्राप्त डेटा यूरोपीय कॉपरनिकस कार्यक्रम के लिये उपलब्ध होगा, वहीं नामित भारतीय संस्थागत उपयोगकर्त्ताओं को भी यूरोप के छह सेंटिनल उपग्रहों (Europe’s six Sentinel satellites) और इस कार्यक्रम के सहभागी अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों से मुक्त डेटा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।

इसका उपयोग क्या होगा?
यूरोपीय आयोग द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक निम्नलिखित के संदर्भ में अंतरिक्ष-आधारित सूचना का इस्तेमाल किया जाएगा:

  • आपदाओं के पूर्वानुमान, आपदाओं के दौरान आपातकालीन प्रतिक्रिया और लोगों का बचाव।
  • ज़मीनी एवं समुद्री आँकड़ों को इकट्ठा करने में।
  • सुरक्षा, कृषि, जलवायु परिवर्तन तथा वायुमंडलीय मुद्दों के संदर्भ में।

‘कोपरनिकस कार्यक्रम’ (Copernicus Programme) क्या है?

  • यह आज की तारीख में पृथ्वी के अवलोकन (Earth observation) हेतु तैयार किया गया सबसे महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम है, जिसे यूरोपियन स्पेस एजेंसी की साझेदारी के साथ यूरोपीय आयोग की अध्यक्षता में चलाया जा रहा है।
  • इसका उद्देश्य पर्यावरण के प्रबंधन में सुधार करने, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझने और कम करने तथा नागरिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिये समय पर सटीक और सुलभ जानकारी उपलब्ध कराना है।
  • इसे पहले ‘Global Monitoring for Environment and Security (GMES)’ कार्यक्रम के नाम से जाना जाता था।

भारतीय संदर्भ में इसका इस्तेमाल

  • अक्टूबर 2014 में आंध्र प्रदेश में आई बाढ़ और 2013 में ओडिशा में तूफान के दौरान कोपरनिकस आपातकालीन प्रतिक्रिया मानचित्रण प्रणाली (Copernicus emergency response mapping system) का इस्तेमाल किया गया।

प्रहरी उपग्रह अर्थात् सेंटिनल उपग्रह (Sentinel satellite)

  • यह ई.एस.ए. (ESA- European Space Agency) द्वारा विकसित किया गया एक उपग्रह है, जिसका कार्य वायु की गुणवत्ता और जलवायु को प्रभावित करने वाली गैसों एवं एरोसोल के आँकडों को सही समय पर उपलब्ध कराना है।
  • इसका विकास ई.एस.ए. द्वारा चलाए जा रहे सेंटिनल्स मिशन (Sentinels mission)  के अंतर्गत किया गया है, जिसका उद्देश्य ‘कोपरनिकस कार्यक्रम’ की परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करना है।
  • इस सेंटिनल्स मिशन के अंतर्गत सेंटिनेल-1A को अप्रैल 2014 में और सेंटिनल-1B को अप्रैल 2016 में लॉन्च किया गया था।
  • ये उपग्रह सभी मौसम में (दिन और रात दोनों स्थितियों में) रडार के माध्यम से कई महत्त्वपूर्ण सूचनाओं का संकलन कर रहे हैं।
  • 23 जून, 2015 को सेंटिनल-2A लॉन्च किया गया। इसे हाई रिज़ॉल्यूशन ऑप्टिकल इमेज़ देने के लिये डिज़ाइन किया गया। इस श्रेणी का दूसरा उपग्रह Sentinel-2B, 7 मार्च, 2017 को लॉन्च किया गया।
  • इस क्रम में 16 फरवरी, 2016 को सेंटिनल 3 तथा 13 अक्तूबर, 2017 को सेंटिनल 5 लॉन्च किया गया।

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी
(European Space Agency - ESA)

  • यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency-ESA) यह अंतरिक्ष के लिये यूरोप का प्रवेश द्वार है, जिसका लक्ष्य यूरोप की अंतरिक्ष क्षमता के विकास को सुनिश्चित करना है।
  • इसके  सदस्य देशों की संख्या 22 है। इसका मुख्यालय पेरिस में है जहाँ ESA की नीतियों और कार्यक्रमों का निर्धारण किया जाता है।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2