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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अस्पतालों में संक्रमण के बढ़ते खतरे

  • 12 Sep 2017
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

भारतीय वैज्ञानिकों ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक और नई उपलब्धि हासिल की है। हाल ही में अस्पतालों द्वारा उपार्जित संक्रमणों (Hospital-Acquired Infections) का इलाज करने के लिये बेंगलुरू स्थित एक फर्म को एंटीबायोटिक विकसित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय कार्ब-एक्स अनुदान (CARB-X Grant) प्राप्त हुआ है। उल्लेखनीय है कि कार्ब-एक्स अनुदान प्राप्त करने वाली यह भारत की पहली फर्म है।

कार्ब-एक्स अनुदान क्या है ?

  • CARB-X (Combating Antibiotic Resistant Bacteria Biopharmaceutical Accelerator) एक सार्वजनिक-निजी अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी है, इसकी स्थापना 2016 में हुई थी।
  • इसकी स्थापना का उद्देश्य दवा-प्रतिरोधक संक्रमणों के निदान (Treatment of Drug-Resistant Infections) और उपचार में सुधार के लिये नवाचारों पर ध्यान केंद्रित करना है।
  • कार्ब –एक्स की अवधारणा पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की वर्ष 2015 की कार्ब पहल [Combating Antibiotic Resistant Bacteria (CARB) initiative] से ली गई है।
  • इसे लंदन स्थित बायोमेडिकल रिसर्च चैरिटी वेलकम ट्रस्ट (London-based biomedical research charity Wellcome Trust) तथा यू.एस. के डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विस (Department of Health and Human Services) के बार्डा (Biomedical Advanced Research and Development Authority - BARDA) द्वारा वित्त पोषित किया जाता है।

इसकी उपयोगिता क्या है?

  • यह भागीदारी दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया संक्रमण (Drug-resistant bacterial infections) के रूप में उभरी गंभीर वैश्विक समस्या का हल करने के लिये एक नए एंटीबायोटिक, टीके, निदान, और अन्य नवीन उत्पादों के अनुसंधान, विकास और वितरण के लिये एक नया सहयोगी दृष्टिकोण प्रदान करती है।
  • CARB-X द्वारा पाँच साल की अवधि हेतु दुनिया भर की कंपनियों के लिये तकरीबन 455 मिलियन डॉलर (2,900 करोड़ रुपए से अधिक) का अनुदान दिया जाएगा, यह अनुदान राशि एंटीबायोटिक्स के संबंध में अनुसंधान एवं विकास कार्यों हेतु प्रदान की जाएगी। 
  • ध्यातव्य है कि अभी तक सभी कार्ब-एक्स फंडिंग का मुख्य केंद्र बिंदु प्रतिरोधी "ग्राम-नेगेटिव" बैक्टीरिया (Gram-negative” bacteria) संबंधी परियोजनाओं पर कार्य करना है।

ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया (Gram-negative bacteria) क्या हैं?

  • गौरतलब है कि बैक्टीरियाओं को दो मुख्य वर्गों ‘ग्राम-पॉजिटिव’ और ‘ग्राम-नेगेटिव’ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  • यह वर्गीकरण मुख्यतः उनकी सेल की दीवारों में एक स्ट्रक्चरल अंतर के आधार पर किया जाता है। 
  • किसी भी संक्रमण के तकरीबन 20-25% के लिये ‘ग्राम- नेगेटिव’ बैक्टीरिया ही ज़िम्मेदार होते हैं। 
  • साथ ही ये बहु-दवा प्रतिरोधी भी होते हैं। बहु-दवा प्रतिरोधी, बैक्टीरिया की वह क्षमता है जिसके आधार पर ये दवा में निहित बैक्टीरिया को मारने वाले अवयवों से खुद का बचाव करते है।

पृष्ठभूमि

पिछले कुछ समय से एंटीबायोटिक प्रतिरोध संपूर्ण विश्व के लिये एक गंभीर संकट बन गया है। यह किसी प्रकार के संक्रमण के निवारण हेतु प्रयोग की जाने वाली दवा के प्रभाव को क्षीण कर देता है। इसका प्रमुख कारण एंटीबायोटिक दवाओं का अंधाधुंध उपयोग हैं, इन दवाओं में वायरल संक्रमणों के विरुद्ध उपयोग की जाने वाली दवाएँ शामिल होती हैं। भारत जैसे देशों में, जहाँ ये दवाएँ बिना किसी डॉक्टर के परामर्श के आसानी से उपलब्ध हो जाती है। ऐसे देशों में इनका सर्वाधिक उपयोग होता है। अस्पतालों में भर्ती रोगियों के इलाज में भी इन दवाओं का भारी मात्रा में उपयोग किया जाता है। यही कारण है कि कुछ सस्ते एंटीबायोटिक्स जैसे-  पेनिसिलिन (penicillin), टेट्रासाइक्लिन (tetracycline) या को-ट्रायमोक्सैजोल (co-trimoxazole) आदि के उपयोग से अक्सर संक्रमणों का इलाज करना संभव नहीं हो पाता हैं। इतना ही नहीं भारत में तीसरी और चौथी पीढ़ी की कुछ दवाएँ जैसे- सेफलोस्पोरिन (Cephalosporin) और कार्बापेनम (Carbapenem) आदि का भी बहुत अधिक उपयोग किया जाता है।

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