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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

मानव जीनोम

  • 04 Apr 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मानव जीनोम, जीनोम बनाम जीन, टेलोमेयर-2-टेलोमेयर (T2T) प्रोजेक्ट, जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट।

मेन्स के लिये:

मानव जीनोम और इसका महत्त्व, जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट और इसका महत्त्व, जैव प्रौद्योगिकी।

चर्चा में क्यों?

वैज्ञानिकों ने लगभग दो दशक पहले पहली बार मानव/ह्यूमन जीनोम मैपिंग को प्रकाशित किया था, जिसे एक सफलता के रूप में सराहा गया था।

  • वर्ष 2003 में वैज्ञानिकों को इस संबंध में सफलता मिली, लेकिन यह अधूरी सफलता थी, क्योंकि मानव डीएनए का लगभग 8% हिस्सा बिना अनुक्रम के छोड़ दिया गया था।
  • अब पहली बार किसी बड़ी टीम ने मानव जीनोम की 8% तस्वीर को पूरा करने का दावा किया है।
  • वर्ष 2020 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ‘जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट’ (GIP) नामक एक महत्त्वाकांक्षी जीन-मैपिंग परियोजना को मंज़ूरी दी थी।

जीनोम क्या है?

  • जीनोम एक जीव में मौजूद समग्र आनुवंशिक सामग्री को संदर्भित करता है और सभी लोगों में मानव जीनोम अधिकतर समान होता है, लेकिन डीएनए का एक बहुत छोटा हिस्सा एक व्यक्ति तथा दूसरे के बीच भिन्न होता है।
  • प्रत्येक जीव का आनुवंशिक कोड उसके डीऑक्सीराइबोज न्यूक्लिक एसिड (डीएनए) में निहित होता है, जो जीवन के निर्माण खंड होते हैं।
  • वर्ष 1953 में जेम्स वाटसन और फ्राँसिस क्रिक द्वारा "डबल हेलिक्स" के रूप में संरचित डीएनए की खोज की गई,जिससे यह समझने में मदद मिली कि जीन किस प्रकार जीवन, उसके लक्षणों एवं बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • प्रत्येक जीनोम में उस जीव को बनाने और बनाए रखने के लिये आवश्यक सभी जानकारी होती है।
  • मनुष्यों में पूरे जीनोम की एक प्रति में 3 अरब से अधिक डीएनए बेस जोड़े होते हैं।

जीनोम और जीन में क्या अंतर है?

Gene-Versus-Genome

इस संबंध में पहली बड़ी उपलब्धि क्या थी?

  • वर्ष 2003 में ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट से जेनेटिक सीक्वेंस उपलब्ध कराया गया था।
    • ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट वर्ष 1990 और वर्ष 2003 के बीच आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग है, जिसमें यूक्रोमैटिन नामक मानव जीनोम के एक विशिष्ट क्षेत्र से संबंधित जानकारी एकत्र की गई थी।
    • इस क्षेत्र में गुणसूत्र जीन में समृद्ध होते हैं और डीएनए प्रोटीन के लिये एन्कोड करता है।
  • जो 8% हिस्सा बच गया था वह हेटरोक्रोमैटिन नामक क्षेत्र में था, जो जीनोम का एक छोटा हिस्सा है तथा प्रोटीन का उत्पादन नहीं करता है।
  • हेटरोक्रोमैटिन को कम प्राथमिकता देने के कम से कम दो प्रमुख कारण थे:
    • प्रथम कारण: जीनोम के इस हिस्से को "जंक डीएनए" (“junk DNA) माना जाता था, क्योंकि इसका कोई स्पष्ट कार्य नहीं था।
    • द्वितीय कारण: यूक्रोमैटिन (Euchromatin) में जीन की संख्या कम होती थी जो उस समय उपलब्ध उपकरणों के साथ अनुक्रम करने में सरल थे।
  • वर्तमान में पूरी तरह से अनुक्रमित जीनोम (Sequenced Genome) एक वैश्विक सहयोग के प्रयासों का परिणाम है जिसे टेलोमेरे-2-टेलोमेरे (Telomere-2-Telomere- T2T) परियोजना कहा जाता है।
    • डीएनए अनुक्रमण/सीक्वन्सिंग (DNA Sequencing) और कम्प्यूटेशनल एनालिसिस (Computational Analysis) के नए तरीकों के आविष्कार ने शेष बचे 8% जीनोम के अध्ययन में मदद की है।

शेष 8% जीनोम:

  • नए संदर्भित जीनोम, जिसे T2T-CHM13 कहा जाता है, में टेलोमेयर्स (Telomeres) अर्थात् गुणसूत्रों के सिरों पर उपस्थित संरचनाएंँ और सेंट्रोमियर (प्रत्येक गुणसूत्र के मध्य भाग में) तथा उसके आस-पास पाए जाने वाले अत्यधिक कुंडलित डीएनए अनुक्रम उपस्थित होते हैं।
  • नए अनुक्रम में डीएनए के लंबे हिस्सों का भी पता चलता है जो जीनोम में अपने द्विगुणों (Duplicated) का निर्माण करते हैं तथा अपने क्रमिक विकास और रोग में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिये जाने जाते हैं।
  • प्राप्त निष्कर्षों में बड़ी संख्या में आनुवंशिक विविधताओं को देखा गया और ये विविधताएंँ इन पुनरावर्ती अनुक्रमों ( Repeated Sequences) के भीतर बड़े हिस्से में दिखाई देती हैं।
  • नए प्रकाशित क्षेत्रों में से कई के जीनोम में महत्त्वपूर्ण कार्य हैं, भले ही उनमें सक्रिय जीन शामिल न हों।

खोज का महत्त्व:

  • जेनेटिक वेरिएशन के अध्ययन में सुविधा:
    • एक पूर्ण मानव जीनोम व्यक्तियों के बीच या आबादी के बीच आनुवंशिक भिन्नता के अध्ययन को आसान बनाता है।
  • जीनोम का अध्ययन करते समय संदर्भ के रूप में प्रयोग:
    • एक संपूर्ण मानव जीनोम का निर्माण कर वैज्ञानिक विभिन्न व्यक्तियों के जीनोम का अध्ययन करते समय इसका उपयोग संदर्भ के रूप में कर सकते हैं।
      • इससे उन्हें यह समझने में मदद मिलेगी कि कौन सी विविधताएंँ विद्यमान हैं और यदि कोई विविधता विद्यमान है तो उनमें से बीमारी हेतु कौन से ज़िम्मेदार हो सकते हैं।
  • अध्ययन द्वारा अधिक सटीक जानकारी:
    • T2T कंसोर्टियम ने मानव जीनोम में 2 मिलियन से अधिक अतिरिक्त वेरिएंट की खोज के संदर्भ के रूप में पूर्ण जीनोम अनुक्रम का उपयोग किया।
  • मानक मानव संदर्भ जीनोम का पूरक:
    • नया T2T संदर्भित जीनोम मानक मानव संदर्भ जीनोम का पूरक होगा जिसे जीनोम रेफरेंस कंसोर्टियम बिल्ड 38 (GRCh38) के रूप में जाना जाता है, जो मानव जीनोम परियोजना से उत्पन्न हुआ है और तब से इसे अद्यतन किया गया है।

human-genome-squencing.

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न. भारत में कृषि के संदर्भ में प्रायः समाचारों में आने वाले ‘जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सीक्वेंसिंग)’ की तकनीक का आसन्न भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2017)

  1. विभिन्न फसली पौधों में रोग प्रतिरोध और सूखा सहिष्णुता के लिये आनुवंशिक सूचकाें का अभिज्ञान करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया जा सकता है।
  2. यह तकनीक फसली पौधों की नई किस्मों को विकसित करने में लगने वाले आवश्यक समय को कम करने में मदद करती है।
  3. इसका प्रयोग फसलों में पोषी-रोगाणु संबंधों को समझने के लिये किया जा सकता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

  • चीनी वैज्ञानिकों ने वर्ष 2002 में चावल के जीनोम को डिकोड किया। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों ने चावल की बेहतर किस्मों जैसे- पूसा बासमती-1 और पूसा बासमती -1121 को विकसित करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया, जिसने वर्तमान में भारत के चावल निर्यात में काफी हद तक वृद्धि की है।
  • जीनोम अनुक्रमण में कम समय लगता है।
  • जीनोम अनुक्रमण एक फसल के संपूर्ण डीएनए अनुक्रम का अध्ययन करने में सक्षम बनाता है, इस प्रकार यह रोगजनकों के अस्तित्व या प्रजनन क्षेत्र को समझने में सहायता प्रदान करता है।

प्रश्न. प्रायः समाचारों में आने वाला Cas9 प्रोटीन क्या है? (2019)

(a) लक्ष्य-साधित जीन संपादन (टारगेटेड जीन एडिटिंग) में प्रयुक्त आण्विक कैंची।
(b) रोगियों में रोगजनकों की ठीक से पहचान के लिये प्रयुक्त जैव संवेदक।
(c) एक जीन जो पादपों को पीड़क - प्रतिरोधी बनाता है।
(d) आनुवंशिकता रूपांतरित फसलों में संश्लेषित होने वाला एक शाकनाशी पदार्थ।

उत्तर: (a)

  • CRISPR-Cas9 एक अनूठी तकनीक है जो आनुवंशिकीविदों और चिकित्सा शोधकर्त्ताओं को डीएनए अनुक्रम के अनुभागों को हटाने, जोड़ने या बदलने हेतु जीनोम के कुछ हिस्सों को संपादित करने में सक्षम बनाती है।
  • CRISPR "क्लस्टर्ड रेगुलर इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स" का एक संक्षिप्त रूप है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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