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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

मानव एटलस पहल

  • 06 Jul 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मानव शरीर के सभी ऊतकों की आणविक संरचनाओं का एक एकीकृत डेटाबेस बनाने और मानव शरीर की क्रियाविधि का एक समग्र रूप से खाका खींचने हेतु एक नई पहल ’मानव एटलस’ शुरू की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • ‘मानव’ नामक परियोजना को जैव प्रौद्योगिकी विभाग और जैव प्रौद्योगिकी कंपनी पर्सिसटेंट सिस्टम (Persistent Systems) द्वारा शुरू किया गया है।
  • इस वृहद परियोजना के अंतर्गत मानव ऊतकों और अंगों की आणविक जानकारियाँ अर्जित तथा एकीकृत की जाएगी जो वर्तमान में विभिन्न शोध-पत्रों में अव्यवस्थित रूप से लिखित हैं।
  • यह डेटाबेस शोधकर्त्ताओं को मौज़ूदा कमियों को सुधारने और भविष्य में रोगों की पहचान एवं उसके निदान से जुडी परियोजनाओं में मदद करेगा।
  • इस परियोजना का विचार स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन की सफलता से आया। स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन एक राष्ट्रव्यापी प्रतियोगिता है, जिसमें बड़ी संख्या में इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों ने भाग लिया तथा इन विद्यार्थियों को समस्याओं का समाधान खोजने हेतु प्रोत्साहित किया गया।
  • उसी तरह से ‘मानव’ (MANAV) जीव विज्ञान के छात्रों को जीव विज्ञान से जुड़ा साहित्य पढ़ने में,अपने कौशल को निखारने और जैविक प्रणाली के बारे में अपनी समझ को उन्नत करने में सहायता करेगी।
  • इस सार्वजनिक-निजी उपक्रम में DBT और Persistent Systems क्रमशः 13 करोड़ एवं 7 करोड़ रुपए का निवेश करेंगे।
  • इस परियोजना को भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Science Education and Research- IISER) और पुणे स्थित नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंसेज (National Center for Cell Sciences- NCCS) द्वारा निष्पादित किया जाएगा।
  • गौरतलब है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा स्थापित स्वायत्त संस्थान है। NCCS भी एक स्वायत्त संगठन है, जो जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा सहायता प्राप्त है।
  • इस परियोजना के अंतर्गत संस्थान छात्रों को प्रशिक्षित करेंगे तथा डेटा प्रबंधन एवं प्रौद्योगिकी मंच निजी भागीदार द्वारा प्रदान किया जाएगा।
  • इस परियोजना में DBT के सर्वश्रेष्ठ कॉलेजों और जैव प्रौद्योगिकी सूचना नेटवर्क प्रणाली (Biotechnology Information network system- BTIS) के छात्र और संकाय भी शामिल होंगे।
  • इस परियोजना की टीम अन्य एजेंसियों जैसे कि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (All India Council of Technical Education- AICTE), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research-ICMR) के साथ सहयोग हेतु बातचीत कर रही है।
  • वर्ष 2016 में भी इसी तरह का एक मानव सेल एटलस प्रोजेक्ट (Human Cell Atlas project) वैज्ञानिकों के बीच एक सहयोगी प्रयास के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किया गया था।
  • इस परियोजना में सिंगल सेल जीनोमिक्स (Single Cell Genomics) जैसी तकनीकों के माध्यम से अपने सामान्य और रोग के दौरान शरीर में विभिन्न प्रकार की कोशिकीय और आणविक गतिविधियों से संबंधित डेटाबेस का निर्माण किया जाएगा।
  • भारतीय परियोजना कोशिकाओं संबंधी जानकारी प्राप्त करने के लिये पहले से ही उपलब्ध ज्ञान के आधार पर निर्भर करती है।
  • इस परियोजना के दौरान विकसित डेटा पद्धति और तकनीकी प्लेटफॉर्म को अन्य विज्ञान संबंधी परियोजनाओं जैसे-जैवविविधता, पारिस्थितिकी, पर्यावरण आदि में भी प्रयोग किया जा सकता है।

स्रोत: डाउन टू एअर्थ

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