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जैव विविधता और पर्यावरण

मृत पशुधन के सुरक्षित निपटान पर दिशा-निर्देश

  • 23 Oct 2020
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

मेन्स के लिये:

मवेशियों के सुरक्षित निपटान पर दिशा-निर्देश 

चर्चा में क्यों?

हाल में ‘केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ (Central Pollution Control Board- CPCB) द्वारा 'मृत पशुधन' के सुरक्षित निपटान पर मसौदा दिशा-निर्देशों को प्रस्तुत किया गया।

प्रमुख बिंदु:

  • मसौदा दिशा-निर्देशों में मृत पशुधन के निपटान की वर्तमान प्रणालियों, संबंधित पर्यावरणीय मुद्दों, आवश्यक प्रदूषण नियंत्रण मानकों तथा उनके क्रियान्वयन की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। 
  •  हालाँकि CPCB द्वारा इन दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन के लिये कोई निर्दिष्ट समय-सीमा तय नहीं की गई है।

दिशा-निर्देशों की आवश्यकता:

  • प्रतिवर्ष लगभग 25 मिलियन मवेशी प्राकृतिक कारणों से मर जाते हैं। इनके सुरक्षित निपटान के लिये कोई संगठित व्यवस्था नहीं है। इसलिये ये मृत पशु पर्यावरण के लिये एक प्रमुख खतरा बनकर उभर रहे हैं। 
  • एनिमल स्लॉटर/पशु वध के अलावा मृत पशु पर्यावरण के लिये प्रमुख खतरा हैं। इन मृत पशुओं के कारण हवाई अड्डों के आसपास पक्षियों की आबादी में वृद्धि देखी जाती है जो आंशिक रूप से वायुयानों से 'बर्ड-हिट ’ खतरों के लिये ज़िम्मेदार हैं।

मृत पशु निपटान विधियाँ: 

  • भस्मीकरण (Incineration)
  • गहन शवाधान (Deep Burial)
  • मृत पशु उपयोग संयंत्र

प्रमुख दिशा-निर्देश:

  • मृत पशुधन निपटान की विधियों यथा- भस्मीकरण, गहन शवाधान, मृत पशु उपयोग संयंत्र आदि के लिये स्पष्ट मानक और प्रक्रिया निर्धारित की गई है। 
  • आवारा पशुओं के मरने पर उनके शवों को भस्म करने की आवश्यकता होती है। मसौदा दिशा-निर्देशों के अनुसार, नगरपालिका के अधिकारियों की इस कार्य के लिये स्पष्ट भूमिका सुनिश्चित की गई है। 
  • नगरपालिका द्वारा मृत पशुओं के निपटान के लिये भस्मीकरण (Incinerators) सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

महत्त्व:

  • मवेशियों के उचित निपटान का व्यावसायिक महत्त्व है। मृत पशुओं के निपटान के लिये स्थापित संयंत्रों से प्राप्त उप-उत्पाद से वसा, पौष्टिक सामग्री और उर्वरक आदि प्राप्त किये जा सकते हैं।

निष्कर्ष:

  • मृत पशुधन निपटान में संलग्न संबंधित प्राधिकरणों को संबंधित क्षेत्र में आवश्यक अवसंरचना स्थापित करने की दिशा में कार्य करना चाहिये ताकि मृत पशुधन का निपटान न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से अनुकूल रहे अपितु आर्थिक दृष्टि से भी व्यावहारिक हो।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

(Central Pollution Control Board): 

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन एक सांविधिक संगठन के रूप में जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के अंतर्गत किया गया था।
    • इसके पश्चात् केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के अंतर्गत शक्तियाँ व कार्य सौंपे गए। 
  • यह बोर्ड पर्यावरण (सुरक्षा) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के अंतर्गत पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएँ भी उपलब्ध कराता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रमुख कार्यों को जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 तथा वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत वर्णित किया गया है।

स्रोत: द हिंदू

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