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जी.एस.टी. वापसी में देरी के कारण उपजता 'लघु सामाजिक संकट'

  • 20 Sep 2017
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax - GST) की वापसी में हो रही 'अत्यधिक देरी' निर्यातकों के मध्य परेशानी की वज़ह बनी हुई है। जी.एस.टी. से संबंधित समस्याओं के समाधान हेतु निर्यात पर गठित एक समिति के अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि इस समस्या के समाधान हेतु निर्यातकों द्वारा केंद्र से तत्काल मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की गई है। वस्तु एवं सेवा कर की वापसी में हो रही इस 'अत्यधिक देरी' को 'लघु सामाजिक संकट' (mini social crisis) का नाम दिया जा रहा है।

इससे भुगतान व्यवस्था प्रभावित हो रही है।

  • जी.एस.टी. की वापसी में हो रही देरी का बाज़ार में नकदी के प्रवाह पर काफी प्रभाव पड़ा है।
  • इस संबंध में ई.ई.पी.सी. इंडिया (इंजीनियरिंग निर्यातकों के लिये एक सर्वोच्च संस्था) के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में बोर्ड के सदस्य पी.के. शाह ने एक बयान में कहा कि त्यौहार का मौसम समीप होने के कारण नकदी की कमी की वज़ह से अधिक परेशानी हो रही है, क्योंकि इस समय व्यापार और विनिर्माण इकाइयों में कार्यरत कामगारों को दीवाली के बोनस सहित उनके बकाया का भुगतान भी किया जाना है।

समस्या का समाधान 

  • इस समस्या के समाधान के संबंध में ई.ई.पी.सी. इंडिया ने कहा है कि जैसे ही शिपमेंट (shipment) का कार्य समाप्त होता है, उसके तुरंत बाद अधिकारियों को कम से कम 90% जी.एस.टी. की वापसी कर देनी चाहिये। 
  • वस्तुतः अधिक आवश्यक यह है कि नकदी का प्रवाह सबसे पहले होना चाहिये। सत्यापन और समायोजन का कार्य उसके बाद भी किया जा सकता है।
  • इससे छोटे और मध्यम निर्यातकों को नकदी की कमी के कारण आई रुकावटों को हल करने में मदद मिलेगी, साथ ही त्यौहार के मौसम में मज़दूरों के वेतन और बोनस का भुगतान भी समय से किया जा सकेगा। 
  • इस संबंध में फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (Federation of Indian Export Organization - FIEO) द्वारा जी.एस.टी. व्यवस्था में पूर्ण छूट की मांग की गई है। 
  • एफ.आई.ई.ओ. द्वारा कहा गया है कि यदि सूक्ष्म और लघु इकाइयों को ऐसे करों का भुगतान करने के लिये उधार लेना पड़ रहा है तो यह सही नहीं है। 
  • एफ.आई.ई.ओ. द्वारा कहा गया कि इस समस्या के समाधान के विकल्प के रूप में एक ई-वॉलेट बनाया जा सकता है, ताकि निर्यात के लिये ज़रूरी इनपुट या मर्चेंट एक्सपोर्टरों द्वारा निर्यात वस्तुओं की खरीद पर जीएसटी का भुगतान किया जा सके।
  • साथ ही निर्यात के सबूत के रूप में पैसा फिर से वॉलेट में वापस आ जाएगा। 
  • एफ.आई.ई.ओ. ने यह भी कहा है कि एम.ई.आई.एस. (Merchandise Exports from India Scheme - MEIS), एस.ई.आई.एस. (Service Exports from India Scheme - SEIS) तथा डी.सी.एस. (Duty Credit Scrips) को एकीकृत जी.एस.टी. और केंद्रीय जी.एस.टी. के भुगतान की अनुमति दी जा सकती है। 
  • इसके अलावा, बैंक के ब्याज के भुगतान के लिये शेयरों के उपयोग पर विचार किया जा सकता है।
  • इसके अतिरिक्त निर्यातकों द्वारा अग्रिम प्राधिकरण और निर्यात प्रोत्साहन कैपिटल गुड्स स्कीम (Advance Authorisation and Export Promotion Capital Goods schemes) के तहत आयात पर आई.जी.एस.टी. में भी छूट की मांग की गई है।

इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट्स प्रमोशन काउंसिल (Engineering Exports Promotion Council)

  • ई.ई.पी.सी. इंडिया, देश में एक प्रमुख व्यापार और निवेश प्रोत्साहन संगठन है। इसे भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रायोजित किया जाता है। 
  • एक सलाहकार निकाय के रूप में यह भारत सरकार की नीतियों में सक्रिय रूप से योगदान करता है तथा इंजीनियरिंग उद्योग और सरकार के बीच एक अंतरफलक (interface) के रूप में कार्य करता है।
  • भारत इंजीनियरिंग प्रदर्शनी (India Engineering Exhibition - INDEE) ई.ई.पी.सी. इंडिया का अपना ब्रांड है। 
  • पिछले कुछ दशकों में यह भारतीय इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट्स के लिये सबसे बड़े और महत्त्वपूर्ण शो-केस के रूप में स्थापित हो गया है।
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