लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

शासन व्यवस्था

मंत्री समूह: मीडिया रणनीति

  • 11 Mar 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सरकार की मीडिया रणनीति पर मंत्री समूह (GoM) की रिपोर्ट को किसी भी आलोचना के प्रति सरकार के ‘कठोर रवैये’ के एक उदाहरण के रूप में चिह्नित किया।

  • वर्ष 2020 में गठित इस मंत्री समूह (GoM) में कुल पाँच कैबिनेट मंत्री एवं चार राज्य मंत्री शामिल हैं।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया

  • एडिटर्स गिल्ड की स्थापना वर्ष 1978 में प्रेस स्वतंत्रता की रक्षा करने और समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं के संपादकीय मानकों में बढ़ोतरी के दोहरे उद्देश्यों के साथ की गई थी।

प्रमुख बिंदु

मीडिया रणनीति पर मंत्री समूह (GoM) की सिफारिशें:

  • मंत्री समूह ने अपनी रिपोर्ट में वर्तमान सरकार के लिये ऐसे ‘सहायक एवं तटस्थ’ पत्रकारों की पहचान करने की बात की है, जिन्होंने महामारी के दौरान अपनी नौकरी खो दी है, ताकि उनकी सेवाओं का उपयोग कर सरकार की छवि को सकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया जा सके।
    • इसके अलावा सरकार को अपनी दीर्घकालिक रणनीति के हिस्से के रूप में पत्रकारिता संस्थानों के साथ जुड़ाव को बढ़ाना चाहिये, क्योंकि वर्तमान छात्र भविष्य के पत्रकार हैं।
  • विदेशी मीडिया और अनिवासी भारतीयों के साथ जुड़ाव: 
    • सरकार के वैश्विक आउटरीच को बढ़ाने के हिस्से के रूप में विदेशी मीडिया पत्रकारों के साथ नियमित रूप से वार्ता की जानी चाहिये, ताकि सरकार का परिप्रेक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सही ढंग से प्रस्तुत किया जा सके।
    • अनिवासी भारतीय (NRIs) समुदाय के साथ संचार की एक प्रभावी प्रणाली स्थापित की जानी चाहिये, ताकि विदेशों में फैलाई जा रही नकारात्मक धारणाओं के विरुद्ध वे अपनी आवाज़ उठा सकें।
  • सरकार द्वारा किये गए कार्यों की जानकारी देना
    • सरकार द्वारा किये गए प्रमुख कार्यों और आम लोगों के जीवन में आए प्रमुख बदलावों से संबंधित सकारात्मक कहानियों का व्यापक प्रसार किया जाना चाहिये।
      • इसके अलावा नकारात्मक कहानियों के खंडन व स्थानीय लोगों से जुड़ाव के लिये स्थानीय भाषा में विज्ञापनों आउटरीच कार्यक्रमों के प्रसार की व्यवस्था की जानी चाहिये।
    • सरकारी पत्रिका, न्यू इंडिया समाचार की प्रतियाँ कम-से-कम 6 लाख लोगों को वितरित की जानी चाहिये, इसके अलावा पत्रिका का ई-संस्करण तकरीबन 8 करोड़ लोगों तक पहुँचाया जाना चाहिये।
    • अलग-अलग मंत्रालयों को अलग-अलग आउटरीच लक्ष्य दिया जाना चाहिये।
  • सोशल मीडिया का प्रयोग
    • समूह ने अपनी रिपोर्ट में आम जनता तक सरकार की पहुँच को सकारात्मक रूप से बढ़ाने के लिये ट्विटर और गूगल जैसे प्लेटफाॅर्मों के प्रयोग का आह्वान किया है। 
  • झूठी धारणाओं से मुकाबला
    • रिपोर्ट में ऐसे 50 लोगों की पहचान करने की बात की गई है, जिन्होंने सरकार को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है, वहीं ऐसे 50 लोगों को प्रोत्साहित करने की बात की गई है, जिन्होंने सरकार के कार्य को सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया है।

Message-and-the-medium

एडिटर्स गिल्ड की चिंता

  • मंत्री समूह (GoM) द्वारा प्रस्तुत यह रिपोर्ट किसी भी प्रकार की आलोचना और प्रेस की जाँच के विरुद्ध सरकार के बढ़ते कठोर रवैये को इंगित करती है।
    • रिपोर्ट में दिये गए सुझाव, सरकार की धारणा से अलग सोच वाले लेखकों एवं पत्रकारों की निगरानी और उनके लक्ष्यीकरण की संभावना को बढ़ाते हैं।
  • एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि GoM द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट मीडिया में सरकार की धारणा को नियंत्रित करने के लिये एक उपकरण प्रदान करती है। 
  • रिपोर्ट में दिये गए सबसे चिंताजनक सुझावों में ‘बिना तथ्यों के सरकार के विरुद्ध बोलने एवं लिखने अथवा फेक न्यूज़ फैलाने वाले लोगों के विरुद्ध कार्यवाही करने का सुझाव शामिल है, क्योंकि इससे सरकार अपने विरोधियों पर आसानी से कार्यवाही करने में सक्षम हो जाएगी।
    • यह सुझाव सरकार की किसी भी प्रकार की आलोचना को रोकने के इरादे से प्रस्तुत किया गया एक उपकरण प्रतीत होता है, क्योंकि रिपोर्ट में कहीं भी फेक न्यूज़ को परिभाषित नहीं किया गया है।

आगे की राह

  • प्रायः यह माना जाता है कि पत्रकारों समेत देश के सभी नागरिकों के लिये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संबंधी बुनियादी संवैधानिक मूल्य की रक्षा करना सरकार का प्राथमिक दायित्व है, इसके अलावा सरकार के लिये मीडिया में विचारों की बहुलता हेतु अपनी प्रतिबद्धता प्रकट करना भी आवश्यक है।
  • स्वतंत्रता को प्रभावित किये बिना मीडिया में आम लोगों के विश्वास को बहाल करने के लिये फेक न्यूज़ जैसी गंभीर समस्या का मुकाबला करने हेतु सार्वजनिक शिक्षा, मज़बूत कानून और टेक कंपनियों के एकीकृत प्रयासों की आवश्यकता होगी।
  • दूसरी ओर मीडिया के लिये भी यह महत्त्वपूर्ण है कि वह सत्यता एवं सटीकता, पारदर्शिता, स्वतंत्रता, निष्पक्षता जैसे बुनियादी सिद्धांतों का अनुसरण करते रहे, ताकि आम जनता के बीच मीडिया की विश्वसनीयता पुनः बहाल की जा सके।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2