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डेली न्यूज़

भूगोल

हिमालयी क्षेत्र और भू-जल

  • 14 Mar 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये: 

भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान, भू-चुंबकत्व का अर्थ

मेन्स के लिये:

हिमालय की स्थिति परिवर्तन में भू-जल की भूमिका

चर्चा में क्यों?

भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान (Indian Institute of Geomagnetism-IIG) के शोधकर्त्ताओं ने भू-जल में मौसमी बदलावों के आधार पर हिमालय को घटते और अपनी स्थिति परिवर्तित करते हुए पाया है। 

प्रमुख बिंदु 

  • जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च में प्रकाशित इस नए अध्ययन से पता चलता है कि सामान्य कारणों के अलावा भू-जल में मौसमी बदलाव से भी इस प्रकार की कमी या स्थिति परिवर्तन देखने को मिलता है।
  • अध्ययन के अनुसार, जल एक लुब्रिकेटिंग एजेंट (Lubricating Agent) के रूप में कार्य करता है, और इसलिये जब शुष्क मौसम में बर्फ पिघलने पर पानी की मौजूदगी में इस क्षेत्र में फिसलन की दर कम हो जाती है।
  • शोधकर्त्ताओं ने ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (GPS) और ग्रेविटी रिकवरी एंड क्लाइमेट एक्सपेरिमेंट (GRACE) डेटा का एक साथ उपयोग किया, जिसके कारण शोधकर्त्ताओं के लिये हाइड्रोलॉजिकल द्रव्यमान की विविधता को निर्धारित करना संभव हो पाया है।
  • अनुसंधानकर्त्ताओं के अनुसार, GPS और GRACE का संयुक्त डेटा हिमालय की उप-सतह में 12 प्रतिशत की कमी होने का संकेत देता है।

ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (GPS)

ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (GPS) जो कि उपग्रह आधारित नौवहन प्रणाली है, मुख्यत: तीन प्रकार की सेवाएँ प्रदान करती है- अवस्थिति, नेविगेशन एवं समय संबंधी सेवाएँ। ये सेवाएँ पृथ्वी की कक्षा में परिभ्रमण करते उपग्रहों की सहायता से प्राप्त की जाती हैं।

ग्रेविटी रिकवरी एंड क्लाइमेट एक्सपेरिमेंट (GRACE)

वर्ष 2002 में अमेरिका द्वारा लॉन्च किये गए ग्रेविटी रिकवरी एंड क्लाइमेट एक्सपेरिमेंट (GRACE) उपग्रह, विभिन्न महाद्वीपों पर पानी और बर्फ के भंडार में बदलाव की निगरानी करते हैं।

Grace

लाभ 

  • चूँकि हिमालय भारतीय उपमहाद्वीप में जलवायु को प्रभावित करने में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिये इस अध्ययन से यह समझने में मदद मिलेगी कि जल-विज्ञान किस प्रकार जलवायु को प्रभावित करता है। 
  • यह अध्ययन वैज्ञानिकों और नीति-निर्माताओं के लिये हिमालयी क्षेत्र की मौजूदा स्थिति से निपटने में मददगार साबित हो सकता है जहाँ जल की उपलब्धता के बावजूद शहरी क्षेत्र पानी की कमी से जूझ रहे हैं।
  • ध्यातव्य है कि अब तक किसी ने भी जल-विज्ञान संबंधी दृष्टिकोण से हिमालय का अध्ययन नहीं किया है। यह अध्ययन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा वित्तपोषित है। 

भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान

(Indian Institute of Geomagnetism-IIG)

  • भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्थापित एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है।
  • भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान (IIG) की स्थापना वर्ष 1971 में एक स्वायत्त संस्थान के रूप में की गई थी और इसका मुख्यालय मुंबई (महाराष्ट्र) में स्थित है।
  • IIG का उद्देश्य भू-चुंबकत्व के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान करना और वैश्विक स्तर पर भारत को एक मानक ज्ञान संसाधन केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
  • IIG जियोमैग्नेटिज़्म और संबद्ध क्षेत्रों जैसे- सॉलिड अर्थ जियोमैग्नेटिज़्म/जियोफिज़िक्स, मैग्नेटोस्फीयर, स्पेस तथा एटमॉस्फेरिक साइंसेज़ आदि में बुनियादी अनुसंधानों का आयोजन करता है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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