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भारतीय अर्थव्यवस्था

ई-कॉमर्स नीति का ड्राफ्ट

  • 06 Aug 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

ऑनलाइन खरीद करने वालों के हितों की रक्षा हेतु उपभोक्ता मामलों के विभाग (Department of Consumer Affairs) ने ई कॉमर्स से संबंधित दिशा-निर्देशों हेतु एक ड्राफ्ट/मसौदा जारी किया है जिसमें कहा गया है कि एक ई-कॉमर्स इकाई (e-commerce entity) किसी वस्तु या सेवा के मूल्य को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित नहीं कर सकती है।

उपभोक्ता संरक्षण हेतु ई-कॉमर्स से संबंधित दिशा-निर्देश 2019

(E-commerce guidelines for consumer protection 2019)

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  • ई-कॉमर्स व्यापार में धोखाधड़ी को रोकने, अनुचित व्यापार प्रयासों की रोकथाम करने और उपभोक्ताओं के वैध अधिकारों एवं हितों की रक्षा के लिये इन दिशा-निर्देशों को मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में जारी किया गया हैं।
  • ये दिशा-निर्देश बिज़नेस टू कंज्यूमर ई-कॉमर्स (Business-to-Consumer E-Commerce) पर लागू होंगे, इसमें वस्तुओं और सेवाओं को भी शामिल किया जाएगा।
  • इसमें प्रावधान किया गया है कि प्रत्येक ई-कॉमर्स इकाई को अपनी वेबसाइट पर शिकायत अधिकारी का नाम और उससे संपर्क संबंधी जानकारी को सार्वजनिक किया जाना चाहिये।
  • साथ ही उपयोगकर्त्ता शिकायत कैसे कर सकते हैं, इसकी संपूर्ण जानकारी भी देनी चाहिये।
  • ड्राफ्ट के अनुसार, एक ई-कॉमर्स फर्म स्वयं को गलत तरीके से पेश नहीं कर सकती है। अर्थात् कई बार यह देखने को मिलता है कि कंपनियाँ ऑनलाइन ग्राहक बनकर अपने उत्पादों पर सकारात्मक टिप्पणी लिखने, रेटिंग देने, आदि जैसी गतिविधियों में लिप्त होती है; ऐसी स्थिति में अक्सर भ्रामकता उत्पन्न हो जाती है, ड्राफ्ट में स्पष्ट किया गया है कि ई-कॉमर्स फर्म को ऐसी किसी गतिविधि में लिप्त नहीं होना चाहिये।
  • ड्राफ्ट के अनुसार ई-कॉमर्स फर्म को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि ग्राहकों की व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित है।

अनिवार्य प्रावधान

  • ग्राहकों के जानकारी पूर्ण निर्णय हेतु किसी भी फर्म के लिये यह अनिवार्य होगा कि वह विक्रेता के साथ किये गए समझौते से संबंधित रिटर्न, रिफंड, एक्सचेंज, वारंटी/गारंटी, भुगतान के तरीकों, शिकायत निवारण तंत्र की पूर्ण जानकारी प्रदर्शित करे।
  • ड्राफ्ट में यह भी मांग की गई है कि यदि ई-कॉमर्स फर्म को किसी नकली उत्पाद के बारे में पता चलता है और यदि विक्रेता वह उस उत्पाद को सही सिद्ध करने में असफल रहता है तो फर्म को इसकी सूची तैयार करनी चाहिये तथा इस सूची को ग्राहकों के साथ साझा किया जाना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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