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भारतीय अर्थव्यवस्था

WPI में संशोधन के लिये कार्यदल का गठन

  • 28 Jun 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

वर्तमान थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index - WPI) शृंखला में संशोधन के लिये सरकार ने एक कार्यदल का गठन किया है।

संशोधन की आवश्यकता क्यों है?

  • ज्ञातव्य है कि WPI का वर्तमान आधार वर्ष (2011-12) को मई 2017 में लागू किया गया था।
  • वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, इस शृंखला का आधार वर्ष बहुत पुराना है और वर्ष 2011-12 से अब तक हमारी अर्थव्यवस्था में कई महत्त्वपूर्ण संरचनात्मक परिवर्तन हो चुके हैं, जिनके कारण आधार वर्ष को संशोधित करना आवश्यक है।

संशोधन के विचारार्थ विषय

(Terms of Reference-ToR)

  • कार्यदल के विचारार्थ विषयों में निम्नलिखित विषय शामिल हैं:
    • थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index - WPI) और निर्माता मूल्य सूचकांक (Producer Price Index - PPI) के लिये सर्वाधिक न्यायोचित आधार वर्ष का निर्धारण करना।
    • वर्तमान WPI शृंखला की कमोडिटी बास्केट (Commodity Basket) की समीक्षा करना और उसमे अब तक हुए आर्थिक परिवर्तनों के आधार पर कुछ वस्तुओं को जोड़ने या घटाने का सुझाव देना।
    • वर्तमान मूल्य संग्रह प्रणाली (Price Collection System) की समीक्षा करना और उसमे सुधार का सुझाव देना।
    • WPI और PPI की गणना हेतु नई पद्धति की खोज करना।

कार्यदल से संबंधित अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • सरकार द्वारा गठित यह कार्यदल नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद की अध्यक्षता में कार्य करेगा।
  • इसमें केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistical Office), वित्त मंत्रालय (Ministries of Finance), पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (Petroleum and Natural Gas), कृषि विभाग (Department of Agriculture) और उपभोक्ता मामलों के विभाग (Department of Consumer Affairs) के सदस्य भी शामिल होंगे।
  • कार्यदल में शामिल अन्य सदस्य:
    • भारतीय रिज़र्व बैंक का एक प्रतिनिधि
    • सौम्य कांति घोष, SBI समूह की मुख्य अर्थशास्त्री
    • सुरजीत भल्ला, PMEAC के पूर्व सदस्य
    • शमिका रवि, PMEAC की सदस्य
    • धर्मकृती जोशी, क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री
    • नीलेश शाह, कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट के प्रबंध निदेशक
    • इंद्रनील सेनगुप्ता, बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के सह-प्रमुख और अर्थशास्त्री

थोक मूल्य सूचकांक :

  • यह भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला मुद्रास्फीति संकेतक (Inflation Indicator) है।
  • इसे वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के आर्थिक सलाहकार कार्यालय (Office of Economic Adviser) द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
  • इसमें घरेलू बाज़ार में थोक बिक्री के पहले बिंदु पर किये जाने-वाले सभी लेन-देन (First point of bulk sale) शामिल होते हैं।
  • इस सूचकांक की सबसे बड़ी आलोचना यह है कि आम जनता थोक मूल्य पर उत्पाद नहीं खरीदती है।
  • वर्ष 2017 में WPI के लिये आधार वर्ष को वर्ष 2004-05 से संशोधित कर वर्ष 2011-12 कर दिया गया है।

स्रोत: द हिंदू

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