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डेली न्यूज़

जैव विविधता और पर्यावरण

ग्लोबल मीथेन प्लेज

  • 18 Sep 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज, ग्लोबल मीथेन प्लेज, पेरिस जलवायु समझौता, ग्रीनहाउस गैस, ट्रोपोस्फेरिक ओज़ोन, हरित धारा

मेन्स के लिये:

ग्लोबल मीथेन प्लेज के माध्यम से पर्यावरण को होने वाले लाभ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ने ‘ग्लोबल मीथेन प्लेज’ (Global Methane Pledge) की घोषणा की है, जो इस दशक के अंत तक मीथेन उत्सर्जन में एक तिहाई की कटौती करने हेतु ‘संयुक्त राज्य अमेरिका-यूरोपियन संघ’ के नेतृत्त्व वाला प्रयास है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच समझौता वर्ष 2030 तक (वर्ष 2020 के स्तर के आधार पर) वैश्विक मीथेन उत्सर्जन को कम-से-कम 30% कम करने का लक्ष्य निर्धारित करता है।
    • यदि यह विश्व में अपनाया जाता है, तो यह वर्ष 2040 तक वैश्विक तापन को 0.2C तक कम कर देगा, जबकि उस समय तक तापमान बढ़ने की संभावना है।
      • विश्व अब पूर्व-औद्योगिक समय की तुलना में लगभग 1.2C अधिक गर्म है।
  • मीथेन गैस:
    • परिचय:
      • मीथेन सबसे सरल हाइड्रोकार्बन है, जिसमें एक कार्बन परमाणु और चार हाइड्रोजन परमाणु (CH4) होते हैं।
        • यह ज्वलनशील है और इसका उपयोग विश्व में ईंधन के रूप में किया जाता है।
      • मीथेन एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है।
      • मीथेन का लगभग 40% प्राकृतिक स्रोतों से और लगभग 60% मानव-प्रभावित स्रोतों से उत्सर्जिन होता है, जिसमें पशुधन खेती, चावल कृषि, बायोमास जलाना आदि शामिल हैं।
    • प्रभाव:
      • अधिक ग्लोबल वार्मिंग क्षमता: यह अपनी ग्लोबल वार्मिंग क्षमता के मामले में कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में लगभग 80-85 गुना अधिक शक्तिशाली है।
        • यह अन्य ग्रीनहाउस गैसों को कम करने के साथ-साथ ग्लोबल वार्मिंग में और अधिक तेज़ी से कमी लाने के लिये एक महत्त्वपूर्ण लक्ष्य स्थापित करता है।
      • ट्रोपोस्फेरिक ओज़ोन के उत्पादन को बढ़ावा देता है: बढ़ते उत्सर्जन से क्षोभमंडलीय ओज़ोन वायु प्रदूषण में वृद्धि हो रही है, जिससे वार्षिक रूप से दस लाख से अधिक मौतें समय से पहले होती हैं।
  • संबंधित भारतीय पहल:
    • ‘हरित धारा' (HD): भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) ने  'हरित धारा' (Harit Dhara) नामक एक एंटी-मिथेनोजेनिक फीड सप्लीमेंट (Anti-Methanogenic Feed Supplement) विकसित किया है जो मवेशियों द्वारा किये जाने वाले मीथेन उत्सर्जन में 17-20% की कटौती कर सकता है और इसके परिणामस्वरूप दूध का उत्पादन भी बढ़ सकता है।
    • भारत ग्रीनहाउस गैस (GHG) कार्यक्रम: इसे WRI इंडिया (गैर-लाभकारी संगठन), भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और  द एनर्जी एंड रिसोर्सेज़ इंस्टीट्यूट (TERI) के नेतृत्व में संचालित किया जा रहा है। भारत GHG कार्यक्रम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को मापने और प्रबंधित करने के लिये एक उद्योग के नेतृत्व वाला स्वैच्छिक ढाँचा है।
      • कार्यक्रम भारत में उत्सर्जन को कम करने और अधिक लाभदायक, प्रतिस्पर्द्धी तथा टिकाऊ व्यवसायों एवं संगठनों के संचलन हेतु व्यापक ढाँचे एवं प्रबंधन रणनीतियों का निर्माण करता है।
    • जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC): NAPCC को वर्ष 2008 में शुरू किया गया था जिसका उद्देश्य जनता के प्रतिनिधियों, सरकार की विभिन्न एजेंसियों, वैज्ञानिकों, उद्योग और समुदायों के मध्य जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरे तथा उत्पन्न चुनौतियों का मुकाबला करने के लिये जागरूकता पैदा करना है।
    • भारत स्टेज-VI मानदंड: भारत द्वारा भारत स्टेज- IV (BS-IV) से भारत स्टेज-VI (BS-VI) उत्सर्जन मानदंडों को अपना लिया गया है।

वैश्विक मीथेन पहल (GMI)

  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक-निजी भागीदारी है जो स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में मीथेन की वसूली और उपयोग के लिये बाधाओं को कम करने पर केंद्रित है।
  • GMI विश्व भर में मीथेन से ऊर्जा परियोजनाओं को प्रसारित करने के लिये तकनीकी सहायता प्रदान करता है जो भागीदार देशों को मीथेन वसूली शुरू करने और परियोजनाओं का उपयोग करने में सक्षम बनाती है।
  • भारत GMI का एक भागीदार देश है।

स्रोत: द हिंदू

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