लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

ब्रह्मांड में विशालकाय रेडियो आकाशगंगाएँ

  • 12 Sep 2020
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये

विशालकाय रेडियो आकाशगंगा, ब्लैक होल  

मेन्स के लिये

GRGs के अध्ययन की उपयोगिता  

चर्चा में क्यों?

ब्रह्मांड में एकल संरचना वाली विशालकाय रेडियो आकाशगंगा (Giant Radio Galaxies-GRGs) पर कार्य करने वाले अनुसंधानकर्ताओं ने GRGs के आज तक के सबसे बड़े नमूने की खोज की है। हाल ही  में ‘खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी’ जर्नल में एक शोध कार्य प्रकाशित हुआ है। 

प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 1974 में GRGs की खोज के पश्चात् वर्ष 2016 तक लगभग 300 GRGs के बारे में जानकारी मिल चुकी थी। वर्तमान में लगभग 400 GRGs को खोजा गया है और अब इनकी कुल संख्या 820 के लगभग है। 
  • GRGs की इतने बड़े पैमाने पर वृद्धि और इनके केंद्र में स्थित ब्लैक होल के पीछे उपस्थित कारणों के बारे में अब तक स्पष्ट रूप से कोई जानकारी नहीं मिली है। 
  • अनुसंधानकर्ताओं ने इनकी विशेषताओं की तुलना इनके ब्लैक होल के कुल द्रव्यमान से की है, जिसमें समानता पाई गई। केवल 10 प्रतिशत GRGs ही सघन वातावरण में पाए जाते हैं, जो यह दर्शाता है कि अधिकतर GRGs सघन वातावरण में विद्यमान नहीं हैं। 
  • अनुसंधानकर्ताओं द्वारा इस कार्य में सैकड़ों रेडियो और प्रकाशीय (Optical) चित्रों के माध्यम से विस्तृत विश्लेषण और व्याख्या के पश्चात् उनके परस्पर संबंध का पता लगाने का प्रयास किया गया है।

क्या है GRGs?

  • ब्रह्मांड में अरबों आकाशगंगाएँ हैं और लगभग सभी आकाशगंगाओं के केंद्र में सुपरमैसिव ब्लैक होल विद्यमान हैं। इनमें से कुछ ब्लैक होल सक्रिय हैं। ये ब्लैक हॉल लगभग प्रकाश की गति से यात्रा करने वाले जेट का उत्पादन करते हैं। ये जेट रेडियो प्रकाश या विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम के रेडियो तरंग दैर्ध्य में दिखाई देते हैं।  
  • ऐसी आकाशगंगाएँ जिनमें उच्च गति वाले जेट्स को सक्रिय करने वाले ब्लैक होल होते हैं, रेडियो आकाशगंगा कहलाती हैं।
  • जेट के साथ रेडियो आकाशगंगा का कुल रैखिक विस्तार या आकार प्रकाश में देखी गई आकाशगंगा की तुलना में बहुत बड़ा होता है।  
  • रेडियो आकाशगंगा का एक अंश, विशेष परिस्थितियों में विशाल पैमाने अथवा मेगा-पारसेक पैमाने (लाखों प्रकाश वर्ष, प्रकाश वर्ष=9.46 x 1,015 मीटर) तक वृद्धि करने के पश्चात् विशालकाय रेडियो आकाशगंगा (GRG) कहलाता है।

GRGs के अध्ययन की उपयोगिता 

  • जेट की लंबाई से हमें ब्लैक होल की शक्ति और सक्रियता का पता चलता है। साथ ही इन ब्रह्मांडीय निकायों के वातावरणीय घनत्व के बारे में भी जानकारी मिलती है। इसलिये GRGs का अध्ययन महत्त्वपूर्ण  है।
  • पहली बार GRGs की इतनी बड़ी सूची बनाई गई है। इस सूची का उपयोग करके GRGs की कई संरचनात्मक विशेषताओं का अध्ययन किया गया है। इससे इस तरह के ब्रह्मांडीय निकायों के प्रति समझ में कई गुना अधिक वृद्धि हुई है।
  • ब्रह्मांड में इन विशालकाय रेडियो आकाशगंगा के निर्माण और इनकी संरचना के अध्ययन से  आकाशगंगाओं और अन्य ब्रह्मांडीय निकायों के निर्माण के बारे में भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

ब्लैक होल

  • ब्लैक होल (कृष्ण छिद्र) शब्द का उपयोग सर्वप्रथम अमेरिकी भौतिकविद् जॉन व्हीलर ने 1960 के दशक के मध्य में किया था।
  • ब्लैक होल अंतरिक्ष में उपस्थित ऐसे छिद्र हैं जहाँ गुरुत्वाकर्षण बल इतना अधिक होता है कि यहाँ से प्रकाश का पारगमन नहीं हो पाता। इनसे प्रकाश के बाहर नहीं निकल सकने के कारण हमें ब्लैक होल दिखाई नहीं देते। हालाँकि विशेष उपकरणों से युक्त अंतरिक्ष टेलीस्कोप की मदद से ब्लैक होल की पहचान की जा सकती है।

निष्कर्ष 

GRGs का अध्ययन ब्लैक होल में बड़े पैमाने पर अभिवृद्धि एवं विस्तार, इनके द्वारा भव्य जेट का निर्माण और ब्रह्मांडीय निकायों की उत्पत्ति व संरचना को समझने के संदर्भ में बहुत उपयोगी है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2