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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

रेगिस्तानी क्षेत्रों को लाभ पहुँचाने हेतु कोष हस्तांतरण

  • 15 Feb 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों को जल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इंदिरा गांधी नहर (Indira Gandhi Canal) के पुनर्गठन हेतु एक नए ऋण समझौतें को अपनाने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ-साथ इस समझौते के अंतर्गत रावी, ब्यास, सतलज और घग्गर नदियों के लिये बाढ़ प्रबंधन प्रणाली (flood management system) तैयार करने को भी सहमति व्यक्त की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • न्यू डेवलपमेंट बैंक (New Development Bank) के साथ हुए इस समझौते के तहत 3,300 करोड़ रुपए के ऋण की पहली किश्त के रूप में 1,000 करोड़ रुपए देने की घोषणा की गई है। इस ऋण राशि की दूसरी खेप का भुगतान अप्रैल में जारी किया जाएगा।
  • इस ऋण राशि के इस्तेमाल से उक्त परियोजना का क्रियान्वयन किया जाएगा। इसके अंतर्गत पंजाब की चार प्रमुख नदियों रावी, ब्यास, सतलज और घग्गर के वर्षा जल एवं बाढ़ के पानी के अधिक-से-अधिक बेहतर उपयोग पर ज़ोर दिया जाएगा।
  • साथ ही भारत-पाकिस्तान सीमा की तरफ होने वाले पानी के अत्यधिक प्रवाह को भी नियंत्रित किया जाएगा। 

लाभ 

  • इंदिरा गांधी नहर और इसकी वितरिकाओं का पुनर्गठन और मरम्मत किये जाने से जहाँ एक ओर इस क्षेत्र में कृषिगत क्षेत्रों में पानी की कमी की समस्या को दूर किया जा सकेगा। वहीं, दूसरी ओर जल भरण तथा स्वच्छ पेयजल की कमी के संबंध में भी प्रभावी कार्यवाही की जा सकेगी।
  • इंदिरा गांधी नहर परियोजना के सफल क्रियान्वयन से इस क्षेत्र विशेष के किसानों के लिये सिंचाई हेतु आवश्यक जल की आपूर्ति को भी सुनिश्चित किया जा सकेगा।
  • इस परियोजना का लाभ राजस्थान के 10 ज़िलों श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चुरु, नागौर, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर, सीकर, झुंझुनू और बाड़मेर को प्राप्त होगा।

इंदिरा गांधी नहर

  • इंदिरा गांधी नहर, जिसे पहले राजस्थान नहर के नाम से जाना जाता था, भारत के सबसे बड़े नहर तंत्रों में से एक है।
  • राजस्थान नहर सतलज और ब्यास नदियों के संगम पर निर्मित हरिके बांध से निकली है। यह राजस्थान के थार मरुस्थल (मरुस्थली) पाकिस्तान सीमा के समानांतर 40 किमी. की औसत दूरी पर बहती है।
  • इस नहर की कुल नियोजित लंबाई 9060 किमी. है। यह 19.63 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य कमान क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा प्रदान करती है।
  • यह नहर पंजाब व राजस्थान को पानी की आपूर्ति करती है।
  • पंजाब में इसे राजस्थान फीडर के नाम से जाना जाता है। इससे इस क्षेत्र में सिंचाई नहीं होती है, बल्कि पेयजल की आपूर्ति होती है।
  • राजस्थान में इस नहर को राज कैनाल भी कहते है।
  • इस नहर का उद्घाटन 31 मार्च, 1958 को किया गया था, जबकि 2 नवंबर, 1984 को इसका नाम बदलकर इंदिरा गांधी नहर परियोजना कर दिया गया।

ध्यान देने की बात यह है कि इस क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा से पारंपरिक फसलों- चना, बाजरा और ज्वार की जगह गेहूँ, कपास, मूँगफली और चावल ने ले ली। सघन सिंचाई से उत्पादकता तो बढ़ी, किंतु साथ ही जलभराव और मृदा लवणता की समस्या भी बढ़ गई है। ऐसे में लंबी अवधि के दौरान कृषि की सतत् संपोषणीयता प्रभावित हो रही है और भविष्य में इसके अधिक प्रभाव दिखाई पड़ सकते हैं।

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