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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के पाँच वर्ष

  • 13 Jan 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों 

हाल ही में भारत सरकार की फ्लैगशिप फसल बीमा योजना- 'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' (PMFBY) ने अपने पाँच वर्ष पूरे कर लिये हैं।

  • ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' (PMFBY) को 13 जनवरी, 2016 को लॉन्च किया गया था। 
  • इस योजना की शुरुआत देश में किसानों को न्यूनतम और समान बीमा-किस्त पर एक व्यापक जोखिम समाधान प्रदान करने के लिये की गई थी।

मुख्य बिंदु:  

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना  (PMFBY):

  • यह योजना किसानों को फसल की विफलता (खराब होने) की स्थिति में एक व्यापक बीमा कवर प्रदान करती है, जिससे किसानों की आय को स्थिर करने में मदद मिलती है।
  • दायरा (Scope): वे सभी खाद्य और तिलहनी फसलें तथा वार्षिक वाणिज्यिक/बागवानी फसलें, जिनके लिये पिछली उपज के आँकड़े उपलब्ध हैं।
  • बीमा किस्त: इस योजना के तहत किसानों द्वारा दी जाने वाली निर्धारित बीमा किस्त/प्रीमियम-खरीफ की सभी फसलों के लिये 2% और सभी रबी फसलों के लिये 1.5% है। वार्षिक वाणिज्यिक तथा बागवानी फसलों के मामले में बीमा किस्त 5% है। 
    • किसानों की देयता के बाद बची बीमा किस्त की लागत का वहन राज्यों और केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप बराबर साझा किया जाता है।
    • हालाँकि, पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में केंद्र सरकार द्वारा इस योजना के तहत बीमा किस्त सब्सिडी का 90% हिस्सा वहन किया जाता है।
  • अधिसूचित फसलों हेतु फसल ऋण/किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) खाते में ऋण लेने वाले किसानों के लिये इस योजना को अनिवार्य बनाया गया है, जबकि अन्य किसान स्वेच्छा से इस योजना से जुड़ सकते हैं।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2.0:

  • योजना के अधिक कुशल और प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2020 के खरीफ सीज़न में PMFBY में आवश्यक सुधार किया गया था।
  • इस संशोधित PMFBY को प्रायः PMFBY 2.0 भी कहा जाता है, इसकी कुछ विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
    • पूर्णतयः स्वैच्छिक:  इसके तहत वर्ष 2020 की खरीफ फसल से सभी किसानों के लिये नामांकन 100% स्वैच्छिक है।
    • सीमित केंद्रीय सब्सिडी: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस योजना के तहत गैर-सिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिये बीमा किस्त की दरों पर केंद्र सरकार की हिस्सेदारी को 30% और सिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिये 25% तक सीमित करने का निर्णय लिया है।
    • राज्यों के लिये अधिक स्वायत्तता: केंद्र सरकार ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को PMFBY को लागू करने के लिये व्यापक छूट प्रदान की है और साथ ही उन्हें इसमें किसी भी अतिरिक्त जोखिम कवर/ सुविधाओं का चयन करने का विकल्प भी दिया है।
    • आईसीई गतिविधियों में निवेश: अब इस योजना के तहत बीमा कंपनियों द्वारा एकत्र किये गए कुल प्रीमियम का 0.5% सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियों पर खर्च करना होगा।

PMFBY के तहत तकनीकी का प्रयोग:

  • फसल बीमा एप: 
    • किसानों को आसान नामांकन की सुविधा प्रदान करता है।
    • किसी भी घटना के होने के 72 घंटों के भीतर फसल के नुकसान की आसान रिपोर्टिंग की सुविधा।
  • नवीनतम तकनीकी उपकरण: फसल के नुकसान का आकलन करने के लिये सैटेलाइट इमेजरी, रिमोट-सेंसिंग तकनीक, ड्रोन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग का उपयोग किया जाता है।
  • पीएमएफबीवाई पोर्टल: भूमि रिकॉर्ड के एकीकरण के लिये पीएमएफबीवाई पोर्टल की शुरुआत की गई है।

योजना का प्रदर्शन:

  • इस योजना में प्रतिवर्ष औसतन 5.5 करोड़ आवेदन प्राप्त होते हैं।
  • आधार सीडिंग (इंटरनेट बैंकिंग पोर्टल के माध्यम से आधार को लिंक करना) ने दावों के निपटान को सीधे किसान के खातों में भेजने में तेज़ी लाने में मदद की है।
  •  वर्ष 2019-20 में रबी फसल के दौरान राजस्थान में टिड्डी हमले का मामला, इस योजना के तहत मध्य-सत्र में फसलों की क्षति पर बीमा लाभ (लगभग 30 करोड़ रुपए) का एक उल्लेखनीय उदाहरण है।

आगे की राह: 

  • तर्कसंगत छूट और सेवा वितरण: राज्य सरकारों द्वारा अनिवार्य आधार लिंकेज के साथ घोषित ऋण माफी योजनाओं को अधिक से अधिक कवरेज हेतु प्रधानमंत्री बीमा योजना को युक्तिसंगत बनाया जाना चाहिये ।
  • समय पर मुआवजा: कुछ राज्यों द्वारा देरी से मुआवज़े देने की रिपोर्ट दी गई है, अतः समय पर भुगतान किया जाना आवश्यक है।
  • व्यवहार परिवर्तन लाना: इसके अलावा,  किसानों के बीच बीमा लागत के बारे में एक व्यवहारगत परिवर्तन लाने हेतु बहुत कुछ किये  जाने की ज़रूरत है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसान बीमा लागत को एक आवश्यक इनपुट के रूप में देखें न कि एक निवेश के रूप में।
  • समान योजनाओं का युक्तिकरण: PMFBY को राज्य फसल बीमा योजनाओं और पुनर्निवेशित मौसम आधारित फसल बीमा योजना जैसी योजनाओं के साथ सुव्यवस्थित किया जाना चाहिये, ताकि अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों को भी योजना के तहत शामिल किया जा सके।
  • उचित कार्यान्वयन: PMFBY का सफल कार्यान्वयन किसानों को संकट के समय में आत्मनिर्भर बनाने और एक आत्मनिर्भर किसान के निर्माण के लक्ष्य का समर्थन करने हेतु भारत में कृषि सुधार की दिशा में एक आवश्यक मानदंड है।

स्रोत: PIB

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