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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

COVID-19 के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट

  • 10 Apr 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये

ICRA द्वारा जारी आँकड़े 

मेन्स के लिये

भारतीय अर्थव्यवस्था पर COVID-19 के प्रभाव 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ‘आईसीआरए लिमिटेड’ (ICRA Limited) द्वारा जारी अनुमान के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020 की चौथी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 4.5% की तीव्र गिरावट देखी जा सकती है। 

मुख्य बिंदु:

  • COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिये देशभर में लागू लॉकडाउन को देखते हुए ICRA ने भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में कमी का अनुमान लगाया है।
  • ICRA के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020 की चौथी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में अनुमानतः 4.5% की तीव्र गिरावट देखी जा सकती है। 
  • हालाँकि इसमें धीरे-धीरे सुधार की उम्मीदें हैं परंतु अर्थव्यवस्था में इस तीव्र गिरावट के परिणामस्वरूप वित्तीय वर्ष 2021 में सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) की वृद्धि दर मात्र 2% रहने का अनुमान है। 

अर्थव्यवस्था में तीव्र गिरावट के कारण:  

  • COVID-19 के कारण चीन से होने वाले आयात के प्रभावित होने से स्थानीय और बाहरी आपूर्ति शृंखला के संदर्भ में चिंताएँ बढ़ी हैं।
  • सरकार द्वारा COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिये लॉकडाउन और सोशल डिसटेंसिंग (Social Distancing) जैसे प्रयासों से औद्योगिक उत्पादन प्रभावित हुआ है।
  • लॉकडाउन के कारण बेरोज़गारी बढ़ी है, जिससे सार्वजनिक खर्च में भारी कटौती हुई है।
  • लॉकडाउन के कारण कच्चे माल की उपलब्धता, उत्पादन और तैयार उत्पादों के वितरण की शृंखला प्रभावित हुई है, जिसे पुनः शुरू करने में कुछ समय लग सकता है। 
  • उदाहरण के लिये उत्पादन स्थगित होने के कारण मज़दूरों का पलायन बढ़ा है, ऐसे में कंपनियों के लिये पुनः कुशल मज़दूरों की नियुक्ति कर पूरी क्षमता के साथ उत्पादन शुरू करना एक बड़ी चुनौती होगी। जिसका प्रभाव अर्थव्यवस्था की धीमी प्रगति के रूप में देखा जा सकता है  
  • खनन और उत्पादन जैसे अन्य प्राथमिक या द्वितीयक क्षेत्रों में गिरावट का प्रभाव सेवा क्षेत्र की कंपनियों पर भी पड़ा है।

विभिन्न क्षेत्रों पर COVID-19 का प्रभाव:    

  • ICRA के अनुसार, जिन क्षेत्रों में इस लॉकडाउन का प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से सबसे अधिक होगा उनमें विमानन कंपनियाँ, होटल और पर्यटन, ऑटो डीलरशिप, रत्न और आभूषण, खुदरा, नौ-परिवहन (Shipping), बंदरगाह सेवाओं, समुद्री भोजन (Seafood) तथा पोल्ट्री (Poultry) एवं माइक्रोफाइनेंस संस्थान आदि प्रमुख हैं।
  • ऑटोमोबाइल, ऑटो पुर्जे, निर्माण सामग्री, विनिर्माण, रसायन, आवासीय संपत्ति, उपभोक्ता सामान, फार्मास्यूटिकल्स (Pharmaceuticals), रसद, बैंकिंग, खनन, परामर्श (Consulting), लौह धातु, कांच, प्लास्टिक, बिजली आदि क्षेत्रों में लॉकडाउन का सीमित/मध्यम प्रभाव देखने को मिल सकता है।    
  • ICRA के अनुमान के अनुसार शिक्षा, डेयरी उत्पाद, उर्वरक और बीज, स्वास्थ्य सेवा, खाद्य और खाद्य उत्पाद, बीमा, दूरसंचार, चीनी, चाय, कॉफी और कृषि उपज आदि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ लॉकडाउन का प्रभाव सबसे कम होगा। 
  • ICRA के अनुसार, विस्तारित मांग व्यवधान (Demand Disruption) से लंबे भुगतान चक्र को बढ़ावा मिलेगा। क्योंकि किसी भी कंपनी/इकाई की तरलता की स्थिति उसके मज़बूत क्रेडिट प्रोफाइल के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है, ऐसे में कई कंपनियाँ अधिक-अधिक से नगदी बचाने का प्रयास करेंगी। 
  • इसके लिये कंपनियाँ जहाँ तक संभव हो भुगतान में विलंब करने या कंपनियाँ फोर्स मेजर जैसे प्रावधानों का प्रयोग कर भुगतान स्थगित करने का प्रयास करेंगी।   

ICRA:

  • आईसीआरए लिमिटेड (ICRA Limited) की स्थापना वर्ष 1991 में एक स्वतंत्र और पेशेवर निवेश सूचना और क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के रूप में की गई थी। 
  • वर्ष 2007 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange- BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange- NSE) में सूचीबद्ध होने के साथ इसे सार्वजनिक कंपनी के रूप में बदल दिया गया। 
  • ICRA संस्थागत और व्यक्तिगत निवेशकों /लेनदारों को जानकारी और मार्गदर्शन प्रदान करने का कार्य करती है। 
  • साथ ही यह वित्तीय बाजार में पारदर्शिता को बढ़ावा देने में नियामकों की सहयोग करती है।    

स्रोत: द हिंदू

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