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जैव विविधता और पर्यावरण

टाइगर रिज़र्व्स का आर्थिक मूल्यांकन

  • 03 Aug 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority-NTCA) ने एक अध्ययन जारी किया है, जिसका शीर्षक ‘भारत में टाइगर रिज़र्व/बाघ अभयारण्य का आर्थिक मूल्यांकन: एक मूल्य+दृष्टिकोण’ (Economic Valuation of Tiger Reserves in India: A Value+ Approach) है।

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि भारतीय वन प्रबंधन संस्थान (भोपाल) में पारिस्थितिक सेवा प्रबंधन केंद्र (Centre for Ecological Services Management) द्वारा तैयार किये गए इस अध्ययन में देश के दस टाइगर रिज़र्वों के पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर आधारित आर्थिक मूल्यांकन का अनुमान लगाया गया है। अध्ययन में शामिल टाइगर रिज़र्व निम्नलिखित हैं-
    • अन्नामलाई (तमिलनाडु),
    • बांदीपुर (कर्नाटक),
    • दुधवा (उत्तर प्रदेश),
    • मेलघाट (महाराष्ट्र),
    • नागार्जुनसागर-श्रीशैलम (आंध्र प्रदेश/तेलंगाना),
    • पक्के (अरुणाचल प्रदेश),
    • पलामू (झारखंड),
    • पन्ना (मध्य प्रदेश),
    • सिमिलिपाल (ओडिशा) और
    • वाल्मीकि (बिहार)

उद्देश्य

इस अध्ययन का उद्देश्य संरक्षित क्षेत्रों के समग्र आर्थिक लाभों को उजागर करते हुए बाघ संरक्षण को बढ़ावा देना है।

दृष्टिकोण

  • इस अध्ययन में ‘मूल्य+दृष्टिकोण’ का उपयोग किया गया है। इसमें ‘मूल्य’ उन सेवाओं के लिये मौद्रिक संदर्भ में सभी लाभों का प्रतिनिधित्व करता है जहाँ मौद्रिक आर्थिक मूल्यांकन संभव हो और जिसे उपलब्ध ज्ञान, उपकरण और विधियों के आधार पर प्राप्त किया जाता हो।
    • "+" उन सभी लाभों का प्रतिनिधित्व करता है जिनके लिये आर्थिक मूल्यांकन वर्तमान में स्वीकृत पद्धति, ज्ञान, उपलब्ध तकनीक, वर्तमान संसाधनों और/या प्रणाली की समझ की कमी के कारण संभव नहीं है।

इकोसिस्टम सर्विसेज़ और टाइगर रिज़र्व्स

(Ecosystem Services and Tiger Reserves)

  • पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं को प्रकृति द्वारा प्रदत्त वस्तुओं या सेवाओं के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो मानव के स्वास्थ्य, आजीविका और अस्तित्व के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण होती हैं।
  • टाइगर रिज़र्व प्राकृतिक संसाधनों के विकास के संदर्भ में वन और अन्य प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र के प्राथमिक भंडार हैं।
  • टाइगर रिज़र्व की पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं की एक शृंखला में गैर-टिम्बर वन उत्पाद (Non Timber Forest Products-NTFPs) प्रावधान, रोज़गार सृजन, कार्बन अनुक्रमण (Carbon Sequestration), जैविक नियंत्रण, प्रजातियों के लिये आवास, जीनपूल संरक्षण (Genepool Protection), गैस विनियमन (Gas Regulation), परागण (Pollination), ईंधन, चारा, जल संरक्षण, मिट्टी की उर्वरता, शारीरिक और मानसिक कल्याण, आध्यात्मिक पर्यटन आदि आते हैं।

टाइगर रिज़र्व का आर्थिक मूल्य

  • अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि टाइगर रिज़र्व के प्राकृतिक परिवेश से मनुष्यों को 1643-7042 करोड़ रुपए के संसाधन प्राप्त होते हैं।
  • टाइगर रिज़र्व विभिन्न प्रकार के रोगों, शिकारियों और परजीवियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं, जिनका आर्थिक मूल्य 7.7 करोड़ से 24.15 करोड़ रुपए है।
  • टाइगर रिज़र्व 2567-8260 करोड़ रुपए की आवश्यक अवसंरचना और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ प्रदान करके, रहने योग्य परिस्थितियों के लिये एक बेहतर भौतिक एवं रासायनिक वातावरण बनाए रखने में मदद करते हैं।
  • ये रिज़र्व स्थानीय समुदायों के जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और मनोरंजन एवं अन्य सुविधाओं के साथ-साथ कई पारंपरिक मूल्यों का भी संरक्षण करते हैं। इस प्रकार ये 0.3 करोड़ से 62.144 करोड़ रुपए तक के सामाजिक-सांस्कृतिक लाभों की भी पूर्ति करते हैं।
  • ये रिज़र्व 15310-98530 करोड़ रुपए के पारिस्थितिक तंत्र और प्राकृतिक संपत्ति का संरक्षण भी करते हैं।

सुझाव

  • टाइगर प्रबंधन में पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया जाना चाहिये।
  • टाइगर रिज़र्व में निहित प्राकृतिक पूंजी में पर्याप्त निवेश किये जाने से भविष्य में पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के प्रवाह को सुनिश्चित किया जा सकता है।

नोट

  • वर्ष 1982 में स्थापित भारतीय वन प्रबंधन संस्थान (Indian Institute of Forest Management) पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का एक स्वायत्त संस्थान है।

स्रोत: द हिंदू

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