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जैव विविधता और पर्यावरण

ड्रिंकिंग वाटर एटीएम (drinking water ATM)

  • 06 Nov 2018
  • 4 min read

संदर्भ

पूरे भारत में हज़ारों समुदायों के लिये पीने का पानी प्राप्त करने की प्रक्रिया अब एटीएम से नकदी पाने की प्रक्रिया के समान ही है। उल्लेखनीय है कि देश में अभी भी 82 करोड़ लोग जिनकी पाइप के पानी तक पहुँच नहीं है और देश में उपलब्ध कुल पीने योग्य पानी का 70 प्रतिशत, प्रदूषकों की मौज़ूदगी के कारण दूषित हो चुका है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • सुरक्षित पेयजल की चुनौती को देखते हुए सरकार वैकल्पिक समाधान के रूप में सरकार एटीएम तथा जल शुद्धिकरण यंत्र जैसे छोटे जल उद्यमों को तेज़ी से मान्यता दे रही है।
  • सेफ वॉटर नेटवर्क (SWN) द्वारा जारी एक नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को लगभग 37 करोड़ लोगों को सुरक्षित पेयजल प्रदान करने के लिये 2.2 लाख छोटे जल उद्यमों पर 44,000 करोड़ रुपए खर्च करने की आवश्यकता है।
  • इनमें से अधिकांश शहर के झुग्गी-झोपड़ियों वाले क्षेत्र (जहाँ पाइप का पानी उपलब्ध कराने के लिये बुनियादी ढाँचे का विकास करना मुश्किल है) और दूषित जल स्रोतों वाले ग्रामीण क्षेत्र हैं।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के उद्यमों को स्थापित करने में पाइप का पानी उपलब्ध कराने वाले ढाँचे का मात्र एक छोटा सा हिस्सा खर्च करना पड़ता है, साथ ही नीति परिवर्तन और कम से कम दोगुनी टैरिफ की ज़रूरत होती है ताकि सुरक्षित जल अंतराल को कम करने में मदद मिल सके।
  • भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India -CAG) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण आबादी में से केवल 18% लोगों की पहुँच पाइप द्वारा उपलब्ध पीने योग्य पानी तक है जिसका तात्पर्य यह है कि वर्ष 2017 तक 50% लोगों को पीने का सुरक्षित पानी मुहैया कराने में हम विफल रहे हैं।

70% पेयजल है दूषित

  • पृथ्वी आयोग के अनुसार, जल गुणवत्ता सूचकांक में भारत 122 देशों में से 120वें स्थान पर है। सूचकांक के अनुसार, देश का 70% जल दूषित हो चुका है।

क्या है वाटर एटीएम?

  • बहुत से लोग जो RO (reverse osmosis system) का खर्च वहन कर सकते हैं वे पानी को शुद्ध करने के लिये इसे खरीदते हैं। लेकिन बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके लिये RO का खर्च वहन कर पाना संभव नहीं है। सामुदायिक शुद्धिकरण प्लांट स्थानीय स्तर पर जल शोधन का कार्य करते हैं। वाटर एटीएम, एक वितरण प्रणाली है जो सिक्का, स्मार्ट कार्ड या मैनुअल के माध्यम से संचालित हो सकता है। अनिवार्य रूप से यह कहा जा सकता है कि वाटर एटीएम एक सामुदायिक RO है।

आगे की राह

  • SWN के मुताबिक, सामुदायिक जलशोधन संयंत्रों की संख्या वर्ष 2014 में 12,000 थी जो 2018 में बढ़कर लगभग 50,000 हो गई है, क्योंकि उन्हें सरकारी नियोजन में शामिल किया गया है।
  • सरकारी आँकड़ों के अनुसार, 2030 तक सरकार के ‘हर घर जल’ के अंतर्गत 100% पाइप वाले पानी के लक्ष्य तक पहुँचने के लिये बुनियादी ढाँचे में लगभग 5 लाख करोड़ रुपए के निवेश की आवश्यकता होगी।
  • SWN का अनुमान है कि यदि सरकार पानी के लिये छोटे उद्यमों पर उस राशि का 10% से कम खर्च करने को तैयार है तो यह लागत के एक अंश पर सुरक्षित पेयजल प्रदान कर सकती है।
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