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जापान तथा चीन के बीच विवादित द्वीप

  • 23 Jun 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

सेनकाकू द्वीप विवाद 

मेन्स के लिये:

सेनकाकू द्वीप विवाद 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जापान की एक स्थानीय परिषद में चीन और ताइवान के साथ विवादित सेनकाकू द्वीपीय क्षेत्र में स्थित कुछ द्वीपों की प्रशासनिक स्थिति बदलने वाले विधेयक को मंज़ूरी दी गई है।

प्रमुख बिंदु:

  • विधेयक के अनुसार, टोक्यो द्वारा नियंत्रित सेनकाकू द्वीप के पास स्थित एक द्वीप जिसे जापान में 'टोनोशीरो' (Tonoshiro) तथा ताइवान और जापान में दियोयस (Diaoyus) के नाम से जाना जाता है, का नाम बदलकर टोनोशीरो सेनकाकू (Tonoshiro Senkaku) कर दिया गया है ।
  • ओकिनावा द्वीप पर ‘इशिगाकी’ नामक एक नगर स्थित है। इशिगाकी नगर परिषद के एक हिस्से को टोनोशीरो के रूप में भी जाना जाता है, इससे लोगों में क्षेत्र को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रहती है। अत: इस भ्रम की स्थिति से बचने के लिये क्षेत्र के नाम में परिवर्तन किया गया है।

चीन की प्रतिक्रिया:

  • चीन, डियाओयू द्वीप तथा उससे संबद्ध क्षेत्र को अपनी सीमा में स्थित मानता है। चीन के अनुसार जापान द्वारा क्षेत्र की प्रशासनिक स्थिति में किया गया बदलाव चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन करता है तथा चीन अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के लिये दृढ़ है।
  • इसके अतिरिक्त चीन ने द्वीपों के आसपास के क्षेत्र में ‘जहाजों के बेड़े’ को भेज दिया है। 

ताइवान की प्रतिक्रिया:

  • ताइवान का कहना है कि डियाओयू द्वीपीय क्षेत्र उसके क्षेत्र का हिस्सा है तथा इन द्वीपों की प्रशासनिक स्थिति में किया जाने वाला किसी प्रकार का बदलाव ताइवान के लिये अमान्य है।

 सेनकाकू द्वीप विवाद:

  • अवस्थिति:
    • इस विवाद  का कारण पूर्वी चीन सागर में स्थित आठ निर्जन द्वीप हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल 7 वर्ग किमी. है.
    • ये ताइवान के उत्तर-पूर्व, चीनी मुख्य भूमि के पूर्व में और जापान के दक्षिण-पूर्व प्रांत, ओकिनावा के दक्षिण-पश्चिम में स्थित हैं।

South-korea

  • पृष्ठभूमि:
    • सेनकाकू/डियाओयू द्वीपों को औपचारिक रूप से वर्ष 1895 से जापान द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एक लघु अवधि के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा भी इस क्षेत्र को नियंत्रित किया गया था।
    • यहाँ के अनेक द्वीपों पर लोगों का निजी नियंत्रण रहा है। 
    • चीन ने वर्ष 1970 के दशक में इस क्षेत्र पर ऐतिहासिक अधिकारों का हवाला देते हुए सेनकाकू/दियाओयू द्वीपों पर दावे करना शुरू कर दिया। 
    • सितंबर, 2012 में जापान द्वारा एक निजी मालिक से विवादित द्वीपों को खरीदने पर तनाव फिर से शुरू हो गया।

विवादित क्षेत्र का आर्थिक महत्त्व:

  • यहाँ  संभावित तेल एवं प्राकृतिक गैस के भंडार हैं, 
  • प्रमुख शिपिंग मार्गों के पास स्थित है, 
  • समृद्ध मत्स्यन क्षेत्र में स्थित है।

विवाद का कारण:

  • यह क्षेत्र चीन-जापान-ताइवान के अतिव्यापी ‘विशेष आर्थिक क्षेत्र’ (Exclusive Economic Zone- EEZ) में स्थित है क्योंकि चीन और जापान को अलग करने वाले पूर्वी चीन सागर की लंबाई केवल 360 समुद्री मील  है, जबकि EEZ की लंबाई 200 समुद्री मील मानी जाती है।

अमेरिका की भूमिका:

  • वर्ष 2014 में अमेरिका ने यह स्पष्ट किया था जापान की सुरक्षा के लिये की गई 'अमेरिका-जापान सुरक्षा संधि' विवादित द्वीपों को भी कवर करती है। अत: सेनकाकू द्वीप विवाद में अमेरिका भी शामिल हो सकता है। 

निष्कर्ष:

  • बढ़ती राष्ट्रवादी भावना तथा राजनीतिक अविश्वास देशों को बड़े संघर्ष की ओर ले जा सकता है, अत: देशों को चाहिये कि वे विवाद का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान निकालने का प्रयास करें।

स्रोत: द हिंदू

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