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सामाजिक न्याय

विकलांगता अधिनियम के क्रियान्वयन में राज्यों की प्रगति धीमी

  • 05 Dec 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?


दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम (RPWD) के कार्यान्वयन पर डिसेबिलिटी राइट इंडिया फाउंडेशन (DRIF) द्वारा 24 राज्यों में किये गए एक अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि आधे से अधिक राज्यों ने पर्याप्त समय बीत जाने के बावज़ूद अभी तक राज्य के नियमों को अधिसूचित नहीं किया है।


प्रमुख बिंदु

  • सर्वेक्षण से ज्ञात हुआ है कि बिहार, चंडीगढ़, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सहित दस राज्यों ने राज्य के नियमों को अधिसूचित किया है।
  • दिव्यांग जनों के रोज़गार के संवर्द्धन हेतु राष्ट्रीय केंद्र (National Centre for Promotion of Employment for Disabled People-NCPEDP) और दिव्यांग जनों के अधिकारों पर राष्ट्रीय समिति (National Committee on the Rights of Persons with Disabilities-NCRPD) के सहयोग से आयोजित इस अध्ययन में कहा गया है कि दिसंबर 2016 में पारित इस अधिनियम को सभी राज्यों द्वारा छह महीने के भीतर अधिसूचित किया जाना था।
  • दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम के संबंध में राज्यों की प्रशासनिक मशीनरी पर केंद्रित इस अध्ययन से पता चलता है कि 79.2% राज्यों ने RPWD अधिनियम के कार्यान्वयन हेतु कोष का गठन नहीं किया था।
  • कोष का गठन करने वाले पाँच राज्यों में से तमिलनाडु द्वारा इस कोष के लिये 10 करोड़ रुपए आवंटित किये गए, जबकि हिमाचल प्रदेश द्वारा 5 करोड़ रुपए आवंटित किये गए।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि, "केवल तमिलनाडु द्वारा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में दिव्यांग जनों के लिये सहायता बढ़ाने के संबंध में कुछ कदम उठाए गए हैं।"
  • अध्ययन में कहा गया है, “हालाँकि 62.5% राज्यों ने दिव्यांग जनों के लिये आयुक्त नियुक्त किये हैं किंतु यह प्रगति पर्याप्त नहीं है। राज्य में आयुक्तों की सहायता के लिये केवल तीन राज्यों ने विशेषज्ञ सलाहकार समितियों का गठन किया है।”
  • इस अध्ययन के संबंध में प्रतिक्रिया देने वाले 24 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की रैंकिंग में मध्य प्रदेश उच्चतम स्थान पर रहा, इसके बाद ओडिशा, मेघालय और हिमाचल प्रदेश का स्थान रहा।
  • जम्मू-कश्मीर के साथ अंडमान और निकोबार द्वीप समूह इस अध्ययन में सबसे निचले स्थान पर थे, जबकि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली 12वें स्थान पर थी।
  • अध्ययन में कहा गया है कि 58.3% राज्यों ने अधिनियम के तहत अपराधों की सुनवाई के लिये ज़िलों में विशेष न्यायालयों को अधिसूचित नहीं किया है, जबकि 87.5% राज्यों ने कानूनी तौर पर अनिवार्य एक विशेष सरकारी अभियोजन को नियुक्त नहीं किया है।

अध्ययन से संबंधित आँकड़े

  • अध्ययन में प्रतिक्रिया देने वाले राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की संख्या 24 (66.7%) थी। केवल 41.7% राज्यों ने ही राज्य नियमों एवं विशेष न्यायालय को अधिसूचित किया था।
  • अध्ययन के अनुसार, 50% राज्य और केंद्रशासित प्रदेश ऐसे थे जिन्होंने राज्य सलाहकारी बोर्ड का गठन नहीं किया था। देश में 79.2% राज्य ऐसे थे जहाँ राज्य कोष का आवंटन नहीं किया गया था।
  • 37.5% राज्य और केंद्रशासित प्रदेश ऐसे थे जहाँ दिव्यांग जनों के लिये राज्य आयुक्तों की नियुक्ति नहीं की गई थी। 12.5% राज्यों में ही विशेष सरकारी अभियोजन की नियुक्ति की गई थी।

स्रोत : द हिंदू

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