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जैव विविधता और पर्यावरण

ग्रेट बैरियर रीफ और जलवायु परिवर्तन

  • 05 Dec 2020
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने इस तथ्य को रेखांकित किया है कि ऑस्ट्रेलिया का ग्रेट बैरियर रीफ (Great Barrier Reef) काफी गंभीर स्थिति में है और जलवायु परिवर्तन के कारण इसकी स्थिति और भी बिगड़ सकती है।

Great-Barrier

प्रमुख बिंदु 

  • ग्रेट बैरियर रीफ
    • यह विश्व का सबसे व्यापक और समृद्ध प्रवाल भित्ति पारिस्थितिकी तंत्र है, जो कि 2,900 से अधिक भित्तियों और 900 से अधिक द्वीपों से मिलकर बना है।
    • यह ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड के उत्तर-पूर्वी तट में 1400 मील तक फैला हुआ है।
    • इसे बाह्य अंतरिक्ष से देखा जा सकता है और यह जीवों द्वारा बनाई गई विश्व की सबसे बड़ी एकल संरचना है।
    • यह समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र अरबों छोटे जीवों से मिलकर बना है, जिन्हें प्रवाल पॉलिप्स के रूप में जाना जाता है।
      • ये समुद्री पौधों की विशेषताओं को प्रदर्शित करने वाला सूक्ष्म जीव होते हैं,  जो कि समूह में रहते हैं। चूना पत्थर (कैल्शियम कार्बोनेट) से निर्मित इसका निचला हिस्सा (जिसे कैलिकल्स भी कहते हैं) काफी कठोर होता है, जो कि प्रवाल भित्तियों की संरचना का निर्माण करता है।
      • इन प्रवाल पॉलिप्स में सूक्ष्म शैवाल पाए जाते हैं जिन्हें जूजैंथिली (Zooxanthellae) कहा जाता है जो उनके ऊतकों के भीतर रहते हैं। 
    • इसे वर्ष 1981 में  विश्व धरोहर स्थल के रूप में चुना गया था।
  • चिंताएँ
    • जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री तापमान में हो रही वृद्धि के प्रभावस्वरूप 1400 मील में फैले समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र में प्रवाल भित्तियों को गंभीर खतरे का सामना करना पड़ रहा है। विश्व भर में इस खतरे को ‘कोरल ब्लीचिंग’ (Coral Bleaching) अथवा प्रवाल विरंजन के रूप में देखा जा सकता है।
      • जब तापमान, प्रकाश या पोषण में किसी भी परिवर्तन के कारण प्रवालों पर तनाव बढ़ता है तो वे अपने ऊतकों में निवास करने वाले सहजीवी शैवाल ‘जूजैंथिली’ को निष्कासित कर देते हैं जिस कारण प्रवाल सफेद रंग में परिवर्तित हो जाते हैं, क्योंकि प्रवाल भित्तियों को अपना विशिष्ट रंग इन्हीं शैवालों से मिलता है। इसी घटना को ‘कोरल ब्लीचिंग’ (Coral Bleaching) के रूप में जाना जाता है।
      • यदि तनाव का कारण गंभीर नहीं है तो प्रवाल जल्द ही ठीक हो सकते हैं।
      • कोरल ब्लीचिंग’ या प्रवाल विरंजन की घटनाओं को प्रायः कैरेबियन सागर, हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में देखा जा सकता है।
    • अगस्त 2019 में ऑस्ट्रेलिया ने ग्रेट बैरियर रीफ के संबंध में दीर्घकालिक दृष्टिकोण (Great Barrier Reef's long-term outlook) को ‘पुअर’ (Poor) से ‘वेरी पुअर” (Very Poor) कर दिया था। इससे ग्रेट बैरियर रीफ को ‘संकटग्रस्त विश्व विरासत सूची’ (World Heritage in Danger) में शामिल करने की संभावना काफी बढ़ गई थी।
      • यह सूची अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को उन स्थितियों के बारे में सूचना देने के लिये डिज़ाइन की गई है, जो किसी विश्व विरासत स्थल की उन विशेषताओं के लिये खतरा हैं, जिनकी वजह से उस स्थल को विश्व विरासत की सूची में शामिल किया गया था।
      • यह सुधारात्मक कार्रवाई को भी प्रोत्साहित करती है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN)

  • यह एक एक विशिष्ट अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसमें सरकारों और नागरिक समाज दोनों को शामिल किया जाता है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1948 में की गई थी और यह प्रकृति के संरक्षण तथा प्राकृतिक संसाधनों के धारणीय उपयोग को सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करता है।
  • इसका मुख्यालय स्विटज़रलैंड में स्थित है।
  • IUCN द्वारा जारी की जाने वाली रेड लिस्ट दुनिया की सबसे व्यापक सूची है, जिसमें पौधों और जानवरों की प्रजातियों की वैश्विक संरक्षण की स्थिति को दर्शाया जाता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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