लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

ब्लैक होल छिद्र नहीं है

  • 13 Jun 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

कृष्ण छिद्र/कृष्ण विविर या ब्लैक होल (Black Hole) को लेकर काफी समय से संशय जैसी स्थिति बनी हुई थी। हाल ही में वैज्ञानिकों ने इसके बारे में एक महत्त्वपूर्ण तथ्य का खुलासा किया है जिसके अनुसार वास्तव में कृष्ण कोई छिद्र (होल) नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले चार दशकों से यही माना जाता रहा है कि ब्लैक होल एक प्रकार के गड्ढे या छिद्र के सामान ही हैं जिनमें विशालकाय तारे भी समा जाते हैं।

प्रमुख बिंदु

  • तीन विश्वविद्यालयों- नार्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी (Northwestern University), ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) और एम्सटर्डम यूनिवर्सिटी (University of Amsterdam) के खगोल वैज्ञानिकों ने अलग-अलग आँकड़ों का विश्लेषण कर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) की मदद से इसका विश्लेषण किया है।
  • कृत्रिम उपग्रहों की सहायता से लिये गए विशालकाय ब्लैक होल (Black Hole) की तस्वीरों के अध्ययन के बाद खगोल वैज्ञानिकों का मानना है कि वे शीघ्र ही कृष्ण छिद्रों के निर्माण और विकास की प्रक्रिया को समझ पाएंगे।
  • किसी बड़े तारे के स्वतः विघटित होने से कृष्ण छिद्र/ब्लैक होल का निर्माण होता है। इनके नाम से ऐसा प्रतीत होता है कि गड्ढे/छिद्र होते हैं लेकिन सामान्यतः ऐसा नहीं होता है, बल्कि ये अत्यधिक सघन पदार्थों से बने पिंड हैं जिनका गुरुत्त्वाकर्षण खिंचाव (Gravitational Pull) इतना अधिक होता है कि कोई भी वस्तु यहाँ तक कि प्रकाश भी इसे पार नहीं कर पाता।
  • जब ब्लैक होल पदार्थ (Matter) का भक्षण करता है तब उसके चारों ओर एक अभिवृद्धि चक्र (Accretion Disk) का निर्माण होता है।
  • ‘अभिवृद्धि चक्र किसी बड़ी खगोलीय वस्तु के इर्द-गिर्द बहतु तेज़ी से परिक्रमा कर रहे ब्रह्माण्ड के सबसे चमकीले पदार्थों का समूह होता है।’ वर्ष अप्रैल 2019 में इवेंट होराइज़न टेलीस्कोप (Event Horizen Telescope) द्वारा ली गई तस्वीर में ब्लैक होल के चारों ओर एक धुंधला प्रभामंडल (Halo) दिखाई देता है। वही अभिवृद्धि चक्र कहलाता है।
  • अभिवृद्धि चक्र लगभग हमेशा ब्लैक होल के अभिविन्यास के कोण (जिसे ब्लैक होल के भूमध्यरेखीय तल के रूप में भी जाना जाता है) पर झुका होता है।
  • खगोल वैज्ञानिकों की एक टीम ने ग्राफिकल प्रोसेसिंग इकाइयों (Graphical Processing Units) का इस्तेमाल करते हुए यह जानने का प्रयास किया कि ब्लैक होल एवं अभिवृद्धि चक्र से आपस में कैसे अंतःक्रियाएँ करते हैं?
  • हालाँकि इस परिकल्पना के आधार पर खगोल वैज्ञानिकों को अभिवृद्धि चक्र में भिन्न-भिन्न गति वाले कणों के कारण होने वाली चुंबकीय अशांति के बारे में जानकारी एकत्र करने और उनके मापन में सहायता मिली तथा वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि विद्युत चुंबकीय प्रभाव (Electromagnetic Effect ) के कारण ही पदार्थ ब्लैक होल के केंद्र में पहुँच जाते हैं।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि जब कोई पदार्थ ब्लैक होल में गिरता है अथवा प्रवेश करता है उस समय वह घूर्णन कर रहा होता है लेकिन इस घूर्णन से हम यह पता नहीं लगा सकते कि ब्लैक होल में किस प्रकार का घूर्णन होता है क्योंकि ब्लैक होल तथा उसमें गिरने वाले पदार्थ दोनों घूर्णन की स्थिति में होते हैं।

ब्लैक होल

  • ब्लैक होल शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले अमेरिकी भौतिकविद् जॉन व्हीलर ने 1960 के दशक के मध्य में किया था।
  • ब्लैक होल्स अंतरिक्ष में उपस्थित ऐसे छिद्र हैं जहाँ गुरुत्व बल इतना अधिक होता है कि यहाँ से प्रकाश का पारगमन नहीं होता। चूँकि इनसे प्रकाश बाहर नहीं निकल सकता, अतः हमें ब्लैक होल दिखाई नहीं देते, वे अदृश्य होते हैं।

स्रोत- द टाइम्स ऑफ इंडिया

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2