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शासन व्यवस्था

डेटा गवर्नेंस क्वालिटी इंडेक्स

  • 03 Oct 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये 

डेटा गवर्नेंस क्वालिटी इंडेक्स, नीति आयोग, केंद्र प्रायोजित योजनाएँ

मेन्स के लिये:

केंद्र प्रायोजित योजनाओं की निगरानी प्रणाली, विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में नीति आयोग की भूमिका  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी ‘डेटा गवर्नेंस क्वालिटी इंडेक्स’ (Data Governance Quality Index- DGQI) की रिपोर्ट में केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय (Ministry of Chemicals and Fertilizers) के तहत आने वाले ‘उर्वरक विभाग’ (Department of Fertilizers) को 16 आर्थिक मंत्रालयों/विभागों में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है।

प्रमुख बिंदु:

  • डेटा गवर्नेंस क्वालिटी इंडेक्स की सर्वेक्षण रिपोर्ट में उर्वरक विभाग’ (Department of Fertilizers) को कुल 5 में से 4.11 अंक प्राप्त हुए।
  • इसके साथ ही उर्वरक विभाग को इस सर्वेक्षण रिपोर्ट में 65 मंत्रालयों/विभागों में तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है।
  • यह सर्वेक्षण नीति आयोग (NITI Aayog) के ‘विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय’ (Development Monitoring and Evaluation Office- DMEO) द्वारा संचालित किया गया था।

‘डेटा गवर्नेंस क्वालिटी इंडेक्स’

(Data Governance Quality Index- DGQI):  

  • DMEO द्वारा DGQI में अंकों के निर्धारण के लिये विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में डेटा तैयारियों के स्तर की स्व-मूल्यांकन आधारित समीक्षा की गई।
  • इसके लिये एक मानकीकृत ढाँचे पर विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा डेटा तैयारी के आकलन के लिये एक सर्वेक्षण शुरू किया गया।
  • इस सर्वेक्षण के दौरान स्पष्ट और अव्यवहारिक तुलना से बचने के लिये मंत्रालयों/विभागों को छह श्रेणियों (प्रशासनिक, सामरिक, अवसंरचना, सामाजिक, आर्थिक और वैज्ञानिक) में विभाजित किया गया था। 
  • इस सर्वेक्षण के लिये DGQI ने छह प्रमुख विषयों के तहत एक ऑनलाइन प्रश्नावली तैयार की थी
    1. डेटा जुटाना 
    2. डेटा की गुणवत्ता
    3. प्रौद्योगिकी का प्रयोग
    4. डेटा विश्लेषण, उपयोग और प्रसार,  
    5. डेटा सुरक्षा 
    6. मानव संसाधन क्षमता और मामलों का अध्ययन
  • इस सर्वेक्षण के दौरान कुल 65 मंत्रालयों/विभागों से 250 CS/CSS योजनाओं के अनुपालन के संबंध में जानकारी एकत्रित की गई। 

उद्देश्य और प्रभाव:  

  • इस सर्वेक्षण का उद्देश्य केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं (Central Sector Schemes- CS) और केंद्र प्रायोजित योजनाओं (Centrally Sponsored Schemes- CSS) के कार्यान्वयन में विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के प्रदर्शन का आकलन करना था
  • साथ ही इसका उद्देश्य विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के बीच सकारात्मक प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना और उन्हें एक दूसरे की सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखने के लिये प्रेरित करना है। 
  • यह सूचकांक सरकारी नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन ढांचे को बेहतर बनाने में सहायक होगा। 

विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय’

(Development Monitoring and Evaluation Office- DMEO):  

  • विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय की स्थापना सितंबर 2015 में पूर्ववर्ती 'कार्यक्रम मूल्यांकन कार्यालय' (Program Evaluation Office- PEO) और 'स्वतंत्र मूल्यांकन कार्यालय' (Independent Evaluation Office- IEO) का विलय कर की गई थी।
  • DMEO नीति आयोग का एक संबद्ध कार्यालय है, इसका उद्देश्य नीति आयोग के निगरानी और मूल्यांकन (Monitoring and Evaluation- M&E) संबंधी कार्यों को पूरा करना तथा देश में निगरानी एवं मूल्यांकन पारितंत्र का निर्माण करना है। 
  • DMEO का लक्ष्य लक्ष्य सरकारी कार्यक्रमों की उच्चस्तरीय निगरानी और मूल्यांकन को संभव बनाना है जिससे सेवा प्रदायगी की प्रभावकारिता, दक्षता, साम्यता, संधारणीयता, परिणाम और प्रभावों में वृद्धि हो सके।

केंद्रीय योजनाएँ:

  • राज्य स्तर पर लागू की जाने वाली केंद्रीय कल्याण योजनाओं को दो भागो- केंद्रीय क्षेत्रक योजनाएँ (Central Sector Schemes) और केंद्र प्रायोजित योजनाएँ (Centrally Sponsored Schemes) में विभाजित किया गया है।

1. केंद्रीय क्षेत्रक योजनाएँ (Central Sector Schemes): 

  • केंद्रीय क्षेत्रक योजनाएँ पूर्ण रूप (100%) से केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित होती हैं।
  •  साथ ही इनका कार्यान्वयन भी केंद्रीय तंत्र द्वारा ही किया जाता है।
  • केंद्रीय क्षेत्रक योजनाएँ मुख्य रूप से संघ सूची में उल्लेखित विषयों पर बनाई जाती हैं।
  • इसके अलावा केंद्रीय क्षेत्रक योजनाओं में कुछ अन्य कार्यक्रम भी शामिल हैं, जो विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा सीधे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू किये जाते हैं।

उदाहरण: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान), भारतनेट, नमामि गंगे आदि।

2. केंद्र प्रायोजित योजनाएँ (Centrally Sponsored Schemes): 

  • केंद्र प्रायोजित योजनाओं के कार्यान्वयन हेतु वित्त की व्यवस्था केंद्र तथा राज्य द्वारा मिलकर की जाती है।
  • केंद्र प्रायोजित योजनाओं को मुख्यतः 3 भागों में विभाजित किया जा सकता है।
    (I) कोर ऑफ द कोर स्कीम (Core of the Core Schemes): राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम , मनरेगा आदि।
    (II) कोर स्कीम (Core Schemes): हरित क्रांति’ योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना आदि।
    (III) ऑप्शनल स्कीम (Optional Schemes): सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम, श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन आदि।

स्रोत: पीआईबी

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