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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

COVID- 19 का बैंकों के NPA पर प्रभाव

  • 18 Apr 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

विशेष उल्लेख खाता, परिसंपत्तियों का वर्गीकरण 

मेन्स के लिये:

भारत में NPAs की समस्या  

चर्चा में क्यों?

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों’ (Public sector banks- PSBs) ने मार्च 2020 में 50,000 करोड़ रुपए से अधिक के ऋणों के ‘गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों’ (Non-Performing Assets- NPAs) में परिवर्तित हो जाने पर केंद्र सरकार से अपनी चिंता व्यक्त की है। 

मुख्य बिंदु: 

  • भारतीय रिजर्व बैंक’ (Reserve Bank of India- RBI) ने परिसंपत्तियों के वर्गीकरण को महामारी के दौरान स्थगित करने के PSBs के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।
  • उधारकर्त्ता जिन्हें विशेष उल्लेख खातों -2 (Special Mention Accounts- 2- SMA-2) के रूप में वर्गीकृत किया गया था, संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली में मार्च के अंत तक 50,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि NPA में बदल गई। यह NPA मुख्य रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (Micro, Small and Medium Enterprises- MSMEs) से संबंधित है।

विशेष उल्लेख खाता

(Special Mention Account- SMA):

  • SMA खाता उधारकर्त्ताओं द्वारा ऋण दायित्वों को पूरा न कर पाने पर ऋण के प्रारंभिक तनाव (Stress) को प्रदर्शित करता है। हालाँकि इस खाते को अभी तक NPA के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाता है। 
  • इस तरह के खातों की शीघ्र पहचान से बैंक परिसंपत्ति के NPA में बदलने से पूर्व ही आवश्यक उपचारात्मक कार्रवाई शुरू करने में सक्षम होते हैं। 
  •  SMA में निम्नलिखित प्रकार से ऋण/अग्रिम खातों को वर्गीकृत किया जाता है:
SMA उप-श्रेणियाँ  मूलधन या ब्याज का भुगतान में विलंब 
SMA- 0 1-30 दिन 
SMA- 1 31-60 दिन 
SMA- 2
61- 90 दिन 

गैर-निष्पादनकारी संपत्ति:

  • सामान्य रूप से वह संपत्ति जिस पर ब्याज/मूलधन 90 दिनों तक बकाया हो, उसे गैर-निष्पादनकारी संपत्ति कहा जाता है। 
  • NPA को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है।
  • सब-स्टैंडर्ड एसेट्स (Sub-­Standard Assets): 
    • 12 माह या इससे कम अवधि तक NPA के रूप में बने रहने वाली संपत्ति।
  • डाउटफुल एसेट्स (Doubtful Assets):
    • अगर कोई संपत्ति 12 माह तक सब-स्टैंडर्ड की श्रेणी में बनी रहे।
  • लॉस एसेट्स (Loss Assets):
    • यह न वसूल की जा सकने वाली और अत्यंत कम मूल्य वाली संपत्ति होती है। बैंक द्वारा इसके परिसंपत्ति के रूप में बने रहने की पुष्टि नहीं की जाती है।

RBI का पैकेज:

  • RBI ने क्रेडिट कार्ड और कार्यशील पूंजी (Working Capital) के साथ ही कृषि, खुदरा एवं सभी प्रकार के फसल ऋणों के भुगतान अवधि को तीन माह के लिये बढ़ा दिया है। ये लाभ 1 मार्च से 31 मई के दौरान उपलब्ध रहेंगे।
    • कार्यशील पूंजी ऋण एक ऐसा ऋण होता है, जो कंपनी के रोज़मर्रा के कामों को पूरा करने के लिये लिया जाता है। 

बैंकों का पक्ष:

  • बैंकों ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह RBI से आधिकारिक स्पष्टीकरण ले कि COVID- 19 प्रभाव से निपटने के लिये RBI द्वारा राहत पैकेज के हिस्से के रूप में ऋणों की वसूली पर लगाई गई रोक ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों’ (Non-Banking Financial Companies- NBFC) तक विस्तारित होगी या नहीं।
  • यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि RBI ने भुगतान अवधि को कार्यशील पूंजी और खुदरा ग्राहकों के लिये बढ़ाया है, जबकि NBFC के पास कार्यशील पूंजी की कोई अवधारणा नहीं होती है, अत: भुगतान के नियम उन पर लागू नहीं होंगे।

NBFC तक पैकेज विस्तार का फायदा:

  • पैकेज के NBFC तक विस्तार करने पर इनके द्वारा MSME को दिये गए ऋण की गारंटी सरकार द्वारा दी जाएगी। सरकार द्वारा सुनिश्चित किये जाने पर ऋण की वापसी की बैंकों को 100% गारंटी होगी। 

स्रोत: बिज़नेस स्टैन्डर्ड

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