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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

COVID-19: आर्थिक संकट

  • 14 Apr 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये

आर्थिक मंदी (Recession)

मेन्स के लिये

COVID-19 से उत्पन्न आर्थिक संकट और वर्ष 2008 की आर्थिक मंदी में समानताएँ तथा असमानताएँ

चर्चा में क्यों?

COVID-19 लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों में अभूतपूर्व गिरावट आई है। इसका अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों पर वर्ष 2008 के आर्थिक संकट (लेहमन संकट) से भी बुरा प्रभाव देखने को मिलता है। 

असमानताएँ: 

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  • वर्ष 2008 का आर्थिक संकट का प्रभाव धीमी गति से लंबी अवधि के पश्चात् प्रकट हुए, जबकि वर्तमान संकट के समय 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा के पश्चात् आर्थिक गतिविधियों में अचानक गिरावट आई हैबिजली उत्पादन और यात्री वाहनों की बिक्री पर इसका तत्काल प्रभाव पड़ा है।
  • नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर के आँकड़ों के अनुसार, 24 मार्च के पश्चात् बिजली उत्पादन में 26 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसके विपरीत सितंबर और अक्तूबर 2008 में आर्थिक संकट के चरम पर होने के बावजूद बिजली उत्पादन स्थिर था, क्योंकि आर्थिक गतिविधियों में कोई रुकावट नहीं थी
  • दिसंबर 2008 की तिमाही में कारों की बिक्री में गिरावट आई, लेकिन बाद में इसमें तीव्र गति से सुधार भी हो गया। मार्च 2020 में यात्री कारों की बिक्री वार्षिक आधार पर 51%और मासिक आधार पर 47% कम रही। यह अब तक की सबसे तीव्र गिरावट है। 
  • COVID-19 संकट उत्पन्न होने के मूल कारणों में स्वास्थ्य और स्वच्छता संबंधी कारक हैं। वर्तमान संकट से पहले चीन तथा बाद में अन्य देशों में उत्पादन की आपूर्ति शृंखला प्रभावित हुई। इसके विपरीत वर्ष 2008 की मंदी ने पहले अमेरिकी वित्तीय प्रणाली को प्रभावित किया, जिससे अमेरिका में आवास की कीमतों और उत्पादन में गिरावट आई। बाद में इसने अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग क्षेत्र और वित्तीय बाज़ारों के साथ वैश्विक आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित किया
  • वर्तमान लॉकडाउन में एक स्वैच्छिक और अस्थायी प्रावधान के साथ अर्थव्यवस्था पर रोक लगाई गई है ताकि संक्रमण फैलने की दर को कम किया जा सके। 2008-09 में सभी कार्यों का उद्देश्य वित्त को पुनर्जीवित करना था ताकि अर्थव्यवस्था को बढ़ती सुस्ती से बाहर निकाला जा सके। इस समय वित्तीय संस्थानों में धन की कमी प्रमुख समस्या थी।

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समानताएँ 

  • दोनों ही संकटों के उद्भव और प्रसार में अनिश्चितता की विद्यमानता रही है। वर्तमान संकट में कोरोना वायरस के प्रसार के बारे में सटीक अनुमान नहीं लगाया जा सकता। वर्ष 2008 के संकट के समय बिना नौकरी और संपत्ति वाले अमेरिकियों को ऋण दिया गया तथा उसके बुरे प्रभावों को छुपाए जाने के कारण अनिश्चितता में वृद्धि हुई। वर्तमान में चीन पर भी COVID-19 के जोखिमों को भी छुपाए जाने का आरोप लगाया जा रहा है। 
  • प्रमुख देशों के स्टॉक एक्सचेंजों में उनके मूल्य के एक-चौथाई भाग तक शुरुआती गिरावट दोनों संकटों के बीच समानता है।
  • वर्ष 2008 के आर्थिक संकट द्वारा ‘ग्लोबल सिस्टमिक’ रूप से महत्त्वपूर्ण बैकों को तथा COVID-19 द्वारा वैश्विक आपूर्ति शृंखला को प्रभावित करने के कारण दोनों समय सार्वजनिक प्राधिकरणों की भूमिका में वापसी हुई, क्योंकि सरकारों द्वारा मौद्रिक और राजकोषीय सहायता करनी पड़ी।

मंदी (Recession): इसके निम्नलिखित लक्षण हैं -

  • अर्थव्यवस्था में मांग का निम्न स्तर।
  • तुलनात्मक रूप से कम मुद्रास्फीति।
  • बेरोज़गारी दर में वृद्धि।
  • मज़दूरों की जबरन छंटनी। 

आगे की राह:

अपने उद्भव, प्रसार और प्रभावों के मामले में परस्पर कुछ समानताओं के साथ व्यापक असमानताएँ देखने को मिलती है। COVID-19 के प्रसार को देखते हुए इसके प्रभावों के बारे में अभी से मूल्यांकन करना जल्दबाजी होगी। 

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड

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