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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

कोर उद्योगों में संकुचन

  • 01 Aug 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक, कोर उद्योग

मेन्स के लिये:

कोर उद्योगों की वृद्धि में संकुचन का कारण एवं प्रभाव 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में लगातार चौथे माह अर्थात जून 2020 तक, अनुबंधित आठ कोर उद्योगों (कोयला, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली) के उत्पादन में 15 प्रतिशत की कमी दर्ज़ की गई है। 

प्रमुख बिंदु:

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक ( Index of Industrial Production-IIP) में आठ कोर उद्योगों का योगदान 40.27 प्रतिशत है।

  • उत्पादन में कुल संकुचन:
    • पिछले वर्ष की समान अवधि अर्थात अप्रैल-जून 2019  में 3.4 प्रतिशत की सकारात्मक उत्पादन वृद्धि दर की तुलना में अप्रैल-जून 2020 की समयावधि में इन क्षेत्रों में 24.6 प्रतिशत की दर से उत्पादन वृद्धि में कमी दर्ज़ की गई है।
    • मई 2020 तक उद्योगों के उत्पादन में 22 प्रतिशत की कमी देखी गई है। हालाँकि जून 2020 में यह संकुचन 15 प्रतिशत था, जो कुछ आर्थिक सुधार को इंगित करता हैं।
    • अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि कोर उद्योगों के उत्पादन वृद्धि में यह नकारात्मक प्रवृत्ति कम से कम दो महीने और बनी रहेगी।
  • क्षेत्रवार प्रदर्शन
    • केवल उर्वरक उद्योग एक ऐसा उद्योग है जिसमें जून 2019 की तुलना में जून, 2020 में  4.2 प्रतिशत की वास्तविक वृद्धि दर्ज़ की गई है।
      • हालाँकि, उर्वरक उद्योग में यह वृद्धि मई 2020 की 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर से कम है फिर भी कृषि क्षेत्र में यह सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रदर्शित करती है जिसमें सामान्य मानसून में अच्छी खरीफ फसल की उम्मीद की जा सकती है। 
    • अन्य सभी सात सेक्टर/क्षेत्रों कोयला (-15.5 प्रतिशत), कच्चा तेल (-6.0 प्रतिशत), प्राकृतिक गैस (-12 प्रतिशत), रिफाइनरी उत्पाद (-9 प्रतिशत), स्टील (-33.8 प्रतिशत), सीमेंट (-6.9 प्रतिशत), और बिजली (-11प्रतिशत) में जून मे माह में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई।
      • इस्पात उद्योग का उत्पादन क्षेत्र में सर्वाधिक खराब प्रदर्शन रहा है। इस्पात उद्योग के  उत्पादन में पिछले वर्ष की तुलना में  33 प्रतिशत की गिरावट दर्ज़ की गई है।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक:

  • औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production-IIP) अर्थव्यवस्था के विभिन्न उद्योग समूहों में एक निश्चित समय अवधि में विकास दर को प्रदर्शित करता है।
  • इसका संकलन मासिक आधार पर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office-NSO) सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation) द्वारा किया जाता है।
  • IIP एक समग्र संकेतक है जो वर्गीकृत किये गए उद्योग समूहों की वृद्धि दर को मापता है जिनमें शामिल है:
    • व्यापक क्षेत्र- खनन, विनिर्माण और बिजली।
    • उपयोग आधारित क्षेत्र- मूलभूत वस्तुएँ, पूँजीगत वस्तुएँ और मध्यवर्ती वस्तुएँ शामिल हैं।
  • IIP में शामिल आठ कोर उद्योग क्षेत्रों की वस्तुएँ अपने कुल भार का लगभग 40 प्रतिशत  प्रतिनिधित्व करती हैं।
    • आठ कोर उद्योग घटते भारांश के क्रम में: रिफाइनरी उत्पाद> विद्युत> इस्पात> कोयला> कच्चा तेल> प्राकृतिक गैस> सीमेंट> उर्वरक।
  • IIP के आकलन के लिये आधार वर्ष 2011-2012 है।

IIP का महत्व:

  • IIP उत्पादन की भौतिक मात्रा पर माप है।
  • इसका उपयोग नीति-निर्माण के लिये  वित्त मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक सहित अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा किया जाता है।
  • IIP, त्रैमासिक और अग्रिम सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के अनुमानों की गणना के लिये  अत्यंत प्रासंगिक बना हुआ है।

आगे की राह: 

  • वर्तमान में कोरोना महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था को दी जा रही रियायतों के सकारात्मक प्रभाव लॉकडाउन के नकारात्मक प्रभाव के सापेक्ष प्रभावशाली नहीं है। अतः सरकार को आर्थिक सुधारों को स्थायी बनाने के लिये कोरोनोवायरस महामारी के प्रसार को रोकने के लिये प्राथमिकता दिखानी होगी।

स्रोत: द हिंदू

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